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    Shahjahanpur News: मासूम से छेड़छाड़ के दोषी को न्यायालय ने सुनाई कठोर सजा, जुर्माना भी लगाया

    शाहजहांपुर में पॉक्सो कोर्ट ने 5 साल की बच्ची से छेड़छाड़ के दोषी को 5 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। 9 नवंबर 2020 को कलान थाना क्षेत्र में एक बच्ची के साथ पड़ोसी श्रीकृष्ण ने गलत हरकत की थी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे मामलों में उदारता नहीं दिखानी चाहिए।

    By Ambuj Kumar Mishra Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sun, 17 Aug 2025 11:17 AM (IST)
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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। पांच वर्ष की मासूम से छेड़छाड़ के मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट शिवकुमार तृतीय ने दोषी को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। उस पर दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। हालांकि बचाव पक्ष की ओर से तमाम दलील दी गईं, लेकिन न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि सजा देते समय न्यायालय को उदारता या सहानुभूति नहीं प्रकट करनी चाहिए।

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    कलान थाना क्षेत्र के एक मोहल्ले में रहने वाले व्यक्ति ने बताया कि नौ नवंबर 2020 को दोपहर 12 बजे उसकी बेटी घर के बाहर अकेली खेल रही थी। तभी पड़ोस के रहने वाले श्रीकृष्ण ने उसे गलत नीयत से पकड़ लिया। पड़ोस में रहने वाली महिला ने यह देखा तो उनकी पत्नी को भी बुला लाई, जिस पर बच्ची को छोड़कर भाग गया।

    कलान क्षेत्र में पांच वर्ष पूर्व हुई थी घटना, लगाया गया अर्थदंड भी

    घटना की रिपोर्ट थाने पर लिखने के बाद पुलिस ने विवेचना की व आरोप पत्र न्यायालय भेजा। जहां इस मुकदमे का विचारण हुआ। पीड़िता व अन्य के बयान, शासकीय अधिवक्ता दीप कुमार गुप्ता के तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने दोषी को पाक्सो सहित छेड़छाड़ की धाराओं में दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

    न्यायालय की टिप्पणी

    सजा देते समय न्यायालय को उदारता या सहानुभूति नहीं प्रकट करनी चाहिए। अगर अभियुक्त को पर्याप्त सजा न दी जाए तो इससे विधि की क्षति ही नहीं होती बल्कि जन सामान्य का विश्वास भी प्रभावित होता है। दंडादेश का सिद्धांत है कि अभियुक्त को उसके किए कृत्य की सजा ही न मिले बल्कि जन समाज में भी संतुष्टि हो कि न्याय हुआ है।

    दोषसिद्ध का कृत्य अव्यस्क पीड़िता को अकेल पाकर अश्लील हरकत किए जाने के संबंध में दंड दिया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति अकेले अव्यस्क बच्चे के साथ ऐसा कृत्य न करे। समाज में सुरक्षा की भावना हो। कोई भी व्यक्ति या अव्यस्क बच्चा निर्भीक होकर बाहर जा सके।

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