NRI Murder Case: बुजुर्ग मां की जिद के आगे नाकाम हुई अभियुक्तों की कोशिश... आखिरकार हुआ इंसाफ
NRI Murder Caseबुजुर्ग वंश कौर की जिद के आगे उसके हर प्रयास नाकाम होते गए। शनिवार को जब फैसला आया तो भावुक हो गईं। आंखों में आंसू थे लेकिन चेहरे पर सुकुन के भाव...। बोलीं ईश्वर ने आज मेरी सुन ली। सुखजीत ने जब होश संभाला तो वंश कौर ने उन्हें बेटी के पास पंढ़ने के लिए पंजाब भेज दिया था। स्वयं यहां अकेले फार्म की देखभाल करती रहीं।

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुरः फांसी की सजा जरूरी थी, ताकि फिर कोई मां इस तरह अपना बेटा न खोए...। यह शब्द हैं उस बुजुर्ग मां के हैं जो जिन्होंने सात साल तक अपने इकलौते बेटे के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया। तय कर लिया था कि चाहें कुछ हो जाए कदम पीछे नहीं हटाएंगी।
अभियुक्तों को फांसी के तख्ते तक पहुंचवाएंगी। परिवार के लोग व परिचित ताकत बनकर साथ में खड़े रहे। जिस बहू ने उनसे बेटा छीना उसने अपने बचाव के लिए 22 वकील बदले, लेकिन बुजुर्ग वंश कौर की जिद के आगे उसके हर प्रयास नाकाम होते गए।
शनिवार को जब फैसला आया तो भावुक हो गईं। आंखों में आंसू थे, लेकिन चेहरे पर सुकुन के भाव...। बोलीं ईश्वर ने आज मेरी सुन ली। सुखजीत ने जब होश संभाला तो वंश कौर ने उन्हें बेटी के पास पंढ़ने के लिए पंजाब भेज दिया था। स्वयं यहां अकेले फार्म की देखभाल करती रहीं।
उसके बाद वहां से सुखजीत को इंग्लैंड में रह रही बड़ी बेटी कुलविंदर कौर के पास भेज दिया। ताकि वह भी अपना भविष्य बना सके। बीच-बीच में सुखजीत घर आते तो वह कई बार गुरप्रीत भी उनके साथ होता। वह उसे भी अपने बेटे की तरह मानती थीं। उनको जरा भी अहसास नही था कि एक दिन वही उनके बेटे का हत्यारा बन जाएगा। शनिवार को फैसला आने के बाद उन्होंने न्यायालय के साथ-साथ पैरवी में लगे अधिवक्ताओं का आभार जताया। एसपी अशोक कुमार मीणा से मिलीं।
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छोटी बेटी व दामाद कर रहे देखभाल
सुखजीत की हत्या के बाद उनके दोनों बेटे इंग्लैंड में बड़ी बुआ के पास रहकर पढ़ रहे हैं। जबकि वंश कौर के पास उनकी छोटी बेटी कोमलजीत कौर व दामाद हरविंदर सिंह रहते हैं। उन लोगों का कहना है कि अभियुक्त सजा से बचने के लिए जहां अपील करेंगे वहां वे लोग भी जाएंगे। गुरप्रीत को भी फांसी की सजा दिलाने के लिए पैरवी करेंगे।
वंश कौर को मिलेगा प्रतिकर
न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों पर कुल आठ लाख 10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। जिसे प्रतिकर के रूप में सुखजीत के वारिस यानी वंश कौर को दिया जाएगा।
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