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    Karwa Chauth 2025: 10 को मनेगी करवा चौथ, सुहागिनें नोट करें चांद निकलने की टाइमिंग और पूजन की विधि

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 03:45 PM (IST)

    Karwa Chauth 2025 इस साल करवाचौथ का त्योहार शुक्रवार को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखेंगी और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ेंगी। दुर्गा माता मंदिर के पुजारी अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि चंद्रमा रात 7 बजकर 58 मिनट पर दिखाई देगा। उन्होंने पूजा विधि बताते हुए कहा कि निर्जला व्रत रखने में असमर्थ महिलाएं प्रतीकात्मक व्रत भी रख सकती हैं।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। करवाचौथ का पर्व इस वर्ष शुक्रवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। दिनभर जल और अन्न का त्याग करते हुए महिलाएं रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारायण करेंगी।

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    सात बजकर 58 मिनट पर होगा करवाचौथ के चंद्रमा का उदय

    दुर्गा माता मंदिर, चौक मंडी के पुजारी अरुण कुमार शुक्ला ने बताया कि शास्त्रीय गणना के अनुसार चंद्रमा का उदय रात्रि सात बजकर 58 मिनट पर होगा। इसी समय सुहागिन महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन कर चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करेंगी और पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का समापन करेंगी।

    शुक्रवार को सुहागिनें करेंगी चंद्रदर्शन के बाद अर्घ्य अर्पण, पूर्ण होगा व्रत

    पूजन विधि से अवगत कराते हुए बताया कि करवाचौथ व्रत की शुरुआत प्रातः स्नान के बाद व्रत संकल्प से करें। इसके पश्चात भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव का ध्यान करें। संध्या के समय महिलाएं पूजा की तैयारी करें और करवाचौथ की कथा का पाठ करें। फिर भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा करें।

    दुर्गा माता मंदिर के पुजारी ने बताया पूजन का शुभ मुहूर्त और विधि

    करवा (कलश) में जल भरकर उसमें अक्षत, पुष्प और दक्षिणा रखें। रात्रि में चंद्रमा उदय होने पर छलनी से चंद्र दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करें और पति की दीर्घायु की कामना करें। इसके बाद पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत का पारायण करें।

    पूर्ण निर्जला व्रत कठिन, प्रतीकात्मक व्रत भी लाभकारी

    पुजारी ने बताया कि यदि महिलाएं पूर्ण निर्जला व्रत रखने में असमर्थ हों, तो वे मौन रहकर या कुछ घंटों का प्रतीकात्मक व्रत भी रख सकती हैं। ऐसा करने से भी दंपती को आरोग्यता, मानसिक शांति और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।