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    11 करोड़ की GST चोरी करने तीन शातिर गिरफ्तार, लोन के नाम पर लोगों की ID हास‍िल कर रज‍िस्‍टर कराते थे फर्म

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 06:09 PM (IST)

    जीएसटी की बोगस फर्म बनाकर पौने 11 करोड़ रुपये की कर चाेरी करने वाले तीन शातिरों को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली निवासी गौरव यादव, दीपक व प्रयागराज का ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। जीएसटी की बोगस फर्म बनाकर पौने 11 करोड़ रुपये की कर चाेरी करने वाले तीन शातिरों को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली निवासी गौरव यादव, दीपक व प्रयागराज का सिद्धार्थ पांडेय गिरोह बनाकर पिछले पांच वर्षों से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे।

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    इंटरनेट मीडिया पर स्वयं की फाइनेंस कंपनी बताकर बिना कोई वस्तु बंधक बनाए लोन का विज्ञापन देते थे। जो छात्र व जरूरतमंद इनके जाल में फंसते उनके अभिलेखों से किराए के भवन का एग्रीमेंट व बोगस फर्म बनाते। उसके आधार पर व्यापार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट आइटीसी से कर चोरी करते। गत एक वर्ष में इस तरह की 150 से अधिक फर्जी फर्म बनाने की बात सामने आई है। तीनों को जेल भेजा गया है। अभी कई और नाम सामने आने बाकी हैं।

    राज्य कर विभाग की सहायक आयुक्त भावना चंद्रा ने 28 मई को इटावा निवासी मंदीप सिह के नाम से रोजा में बोगस फर्म बनाकर दस करोड़ 78 लाख की कर चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। एसपी राजेश द्विवेदी ने जांच के लिए एसआइटी का गठित की थी। शुक्रवार को फर्जीवाड़े से जुड़े लोगों के सुभाष चौराहे पर आने की जानकारी मिली तो उन्हें धर दबोचा।

    गिरफ्तार किए गए दिल्ली के व्हाइट हाउस अपार्टमेंट निवासी गौरव यादव ने बताया कि वह अपने सथियों के साथ इंस्टाग्राम पर लोन दिलाने के लिए विज्ञापन देता था। इच्छुक लोगों से वे लोग वाटसएप काल के जरिए या फिर स्वयं मिलकर संपर्क करते थे। प्रक्रिया पूरी करने के नाम पर आधार, पैन कार्ड, बिजली बिल लेते थे।

    इन अभिलेख व आवेदक के फर्जी साइन से किराये के भवन का एग्रीमेन्ट तैयार करके उसी पते पर बोगस जीएसटी फर्म पंजीकृत कर लेते थे। इन फर्मों का बैंक में चालू खाता खुलवाया जाता था। बिना कोई सामान खरीदे या बेचे चार से पांच बोगस फर्म की चेन बनाकर व्यापार दर्शाया जाता था।

    इसके लिए फर्जी फर्मों से जीएसटी टू-ए में खरीद दिखाई जाती थी। उसके बाद आर-वन में फर्जी बिल बनाकर बिक्री दिखाते असल व्यापारी तक लाभ पहुंचाया जाता है। इस पूरे फर्जीवाड़े की एवज में इन लोगों को अच्छा कमीशन मिलता था। गौरव ने बताया कि फर्जी बिल जीएसटी पोर्टल पर भी अपलोड कर दिए जाते हैं ताकि व्यापारी की आइटीसी दिखती रहे। इस तरह से करोड़ों रुपयों के फर्जी बिल के माध्यम से आइटीसी पास हो जाती है। उसने बताया कि कुछ व्यापारी माल खरीदे बिना फर्जी बिलों के आधार पर आइटीसी लेते है जिससें उनकी कर की देनदारी कम दिखती है। जबकि कुछ व्यापारी इस तरह के नकली बिलों से अपना टर्नओवर ज्यादा दिखाते है जिसका लाभ उन्हें बैंक लोन में मिलता है। आपूर्तिकर्ता की क्रेडिट सीमा भी ज्यादा हो जाती है।

    डुप्लीकेट सिम करते हैं प्रयोग

    फर्म बनाने व खाता खुलवाने में जिन मोबाइल नंबरों का प्रयोग होता है। वह बिना आइडी के सिम बेचने वालों से अधिक रुपये देकर खरीदे जाते थे। कुछ बैंककर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई है। आरोपितों के पास से फर्जी प्रपत्र, इलेक्ट्रानिक्स डिवाइस, प्रपत्र तैयार करने के लिए टैबलेट, सीपीयू, हार्ड डिस्क, पैन ड्राइव, बड़ी संख्या में डेबिट कार्ड, लग्जरी कार, दो आइफोन सहित सात मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।

    एसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि तीनों पर इन पर जीएसटी एक्ट की धारा 132 सहित विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।