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    बीमारियों का कारक है विरुद्ध आहार, पथ्य अपथ्य का भी समझे सार

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 07 Jan 2021 01:57 AM (IST)

    जागरण प्रश्न पहर में बुधवार को आयुर्वेद मास्टर सर्जन (एमएस) व चिकित्साधिकारी डा. मोनिका श्रेष्ठ ने पाठकों को सुस्वास्थ्य का सार समझाया। उन्होंने सवालों के जवाब में कहा कि आहार विहार योग व्यायाम यम नियम आयुर्वेद का आधार है।

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    बीमारियों का कारक है विरुद्ध आहार, पथ्य अपथ्य का भी समझे सार

    जेएनएन, शाहजहांपुर : जागरण प्रश्न पहर में बुधवार को आयुर्वेद मास्टर सर्जन (एमएस) व चिकित्साधिकारी डा. मोनिका श्रेष्ठ ने पाठकों को सुस्वास्थ्य का सार समझाया। उन्होंने सवालों के जवाब में कहा कि आहार विहार, योग व्यायाम, यम नियम आयुर्वेद का आधार है। जो व्यक्ति विरुद्ध आहार नहीं करता और पथ्य अपथ्य का ध्यान रखता वह सौ साल तक जीवित रहता है। उन्होंने पाठकों के सवाल में बात पित्त कफ के साथ मौसम आधारित बीमारियों व संक्रामक रोगों से सावधान रहने को प्रेरित किया।

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    प्रश्न : पत्नी को शीतपित्त (अल्टीकेरिया) उछल आती है। इससे परेशानी होती है, क्या करें।

    सुरेश कुमार गदियाना

    उत्तर : पथ्य अपथ्य की वजह से समस्या होती है। हल्दी का सेवन बढ़ा दें। जलन पड़ने पर गेरू लगाए। मसालेदार, गरिठ चीजों के खाने से बचे।

    प्रश्न : पेट में दर्द होता है। अपच बना रहता है। शौच में ऐंठन व आंव आती है।

    अंजू सिंह शेरपुर

    उत्तर : दूध से बनी चीजें मत खाइए। बैगन, चावल समेत गरिष्ठ चीजों का सेवन बंद कर दें। रोजाना 15 दिन तक नियमित बेल का मुरब्बा खाएं। आयुर्वेद अस्पताल आकर नियमित उपचार भी कराएं। प्रश्न : आयुर्वेद में सर्जरी कितना प्रभावी है। यह एलोपैथ प्रभावी है।

    आनंद मिश्रा, खलील गर्बी, आलोक सक्सेना सिजई

    उत्तर : सर्जरी का जनक ही आयुर्वेद है। सेंट्रल काउंसिल इंडियन मेडिसन ने भी 58 तरह की सर्जरी की अनुमति देता है। 19 तरह की सर्जन आंख, कान, नाक, गले से जुड़ी है। क्षारसूत्र से बवासीर, भगंधर सरीखे गंभीर रोगों का सफल उपचार संभव है। जो एलोपैथ में काफी कष्टकारी व महंगा है। शोधन और शमन विधि से शरीर की विकृति को दूर किया जा सकता है। आयुर्वेद की आठ शाखाओं में शल्य चिकित्सा भी एक शाखा है। जिसमें खुद एमएस करने के साथ शोध किया है। आयुर्वेद शल्य क्रिया बेहद प्रभावी है। पंचकर्म में विविध मिश्रण बनाकर उत्सर्जन तंत्र को प्रभावी बनाकर उपचार किया जाता है। एलोपैथ वाले भी आयुर्वेद सर्जरी को अपना रहे हैं।

    प्रश्न : बहुत पहले चोट लग गई थी। अब घुटनों प हड्डियों में दर्द होता रहता है।

    ऊपा पाठक, मदराखेल

    उत्तर : आयुर्वेद में वस्ति से दर्द को दूर किया जा सकता है। उड़द की दाल अश्वगंधा समेत कई अन्य चीजों मिश्रण बनाकर उपचार से दर्द दूर हो जाएगा। जानू वस्ति इसमें कारगर है। आयुर्वेद दवाओं तथा योगासन भी जरूरी है। ठंडी चीजों के सेवन से बचें। प्रश्न : फरवरी से मार्च के बीच पैरों में खुजली होती है।

    कुलवेंद्र सिंह, पुवायां उत्तर : हेमंत ऋण के बाद जब शिशिर ऋतु आती है तो त्वचा शुष्क हो जाती है। इस दौरान घी का प्रयोग बढ़ा दें। त्वचा पर तेल की मालिश करें। मटर, चना का प्रयोग कम करना चाहिए। प्रश्न : विरुद्ध आहार क्या है?, किन खाद्य पदार्थों का एक साथ निषिद्ध है।

    लक्ष्मी शर्मा शिक्षक, खलील गर्बी

    उत्तर : आयुर्वेद में आहार, काल, संस्कार समेत 18 तरह के विरुद्ध आहार हैं। जो बीमारियों के कारक है। दूध के साथ कटहल, नमक, मूली, कच्चा सलाद, नींबू, गुड़, उड़द, खट्टे फल, मछली, इमली, खरबूजा, बेलफल आदि का प्रयोग निषिद्ध है। इसी तरह दही गर्म करके नही खाना चाहिए। शहद और घी को समान मात्रा प्रयोग विष के समान है। रात में दही, भोजन के तुरत बाद जल नहीं लेना चाहिए। शहद को गर्म करके सेवन करना भी अहितकर होता है। तेज बुखार में तेज हवा और दिन में देर तक सोना, अधिक परिश्रम के बाद स्नान भी हानिकारक है। प्रश्न : शरीर मे तिल मस्सा बहुत है। बेटी भी इसी समस्या से पीड़ित हे

    ऊषा सक्सेना, साल बीबी जई

    उत्तर : मिर्ची व तली चीजों से खाने से समस्या बढ़ जाती है, इनसे बचे। अग्नि कर्म से इनका उपचार संभव है। प्रश्न : बात, पित्त, कफ का क्या महत्व है। किन चीजों के खाने से रोग बढ़ते हैं।

    परमाला, जलालाबाद

    उत्तर : आयुर्वेद का आधार ही बात पित्त कफ है। मटर, चना, राजमा, अरबी, तेल को बात कारक माना जाता है। जबकि तीखी, मिर्च मसाल, कई बार प्रयोग किया तेल पित्त कारक है। ज्यादा मीठा, मीठे फल, घी, ज्यादा सोना भी कफ संबंधी रोग बढ़ते हैं।

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    प्रश्न : मेरी उम्र 40 साल है। आंखों की रोशनी कम होने लगी है।

    सुरभि शर्मा, सिटी पार्क

    उत्तर : नेत्रज्योति के लिए आवंला, त्रिफला तथा घी का प्रयोग करें। लगातार मोबाइल व टीवी को न देखें। हर 15 मिनट बाद आंखों को रेस्ट दें। पैरों की मसाज नेत्रज्योति में हितकर है। सोने से पहले आधा घंटा तक स्क्रीन न देखें। त्राटक क्रिया व एक्सरसाइज करना चाहिए।

    -------------------------- मौसम संबंधी टिप्स

    - गर्म पानी अवश्य पिएं

    - हल्दी का सेवन बढ़ा दें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एलर्जी भी कम होती है।

    - सूजन में भी हल्दी फायदा करती है।

    - दिन में दस मिलीतक तक गिलोय का काढ़ा पिएं, 30 ग्राम तक पाउडर का प्रयोग करें।

    - एक चम्मच च्यवनप्राश सुबह शाम दूध के साथ लें। मुधमेह रोग न लें।

    - सोंठ, काली मिर्च, दालचीनी, तुलसी समान मात्रा में आयुष काढ़ा का बनाकर प्रयोग करें।