12 घंटे में चली गई भाई-बहन की जान, शाहजहांपुर में बुखार का प्रकोप
सेहरामऊ दक्षिणी कस्बे में बुखार से 12 घंटे के अंदर भाई-बहन की मौत हो गई। दो अन्य बच्चे मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में शिविर लगाकर मरीजों की जांच की और दवाइयां दीं। पांच दिन पहले भी एक व्यक्ति की बुखार से मौत हो गई थी। इलाके में बुखार के बढ़ते प्रकोप से दहशत का माहौल है।

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।
संवाद सूत्र, सेहरामऊ दक्षिणी/शाहजहांपुर। बुखार ने 12 घंटे के अंदर भाई-बहन की जान ले ली। जबकि बुखार से पीड़ित उनके दो भाई-बहन का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। भाई-बहनों की मृत्यु के बाद जब स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच करने पहुंचीं तो 16 लोग और बुखार से पीड़ित मिले। मौसम में बदलाव के साथ बीमारियांं भी पैर पसारने लगीं हैं।
सेहरामऊ दक्षिणी कस्बा निवासी रामू सक्सेना मजदूरी करते हैं। उनके आठ वर्षीय बेटे अजय, छह वर्षीय बेटी किरण को चार दिन पहले बुखार आ गया था। दोनों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। किरण की रविवार रात मृत्यु हो गई। सोमवार को उसे दफन किया गया। इसके बाद अजय की तबीयत और बिगड़ गई। उसे रेफर कर दिया गया। बरेली ले जाते समय अजय ने भी दम तोड़ दिया।
बुखार से पीड़ित हैं अन्य बच्चे
रामू की तीन वर्षीय बेटी नैना, नौ माह का बेटा कृष्णा भी सोमवार से बुखार से पीड़ित हैं। दोनों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां दोनों का इलाज चल रहा है। भाई-बहनों की मृत्यु के बारे में जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जानकारी हुई तो वहां टीम भेजी गई।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीके श्रीवास्तव ने भी गांव पहुंचकर जांच की। इसके बाद प्राथमिक विद्यालय परिसर में शिविर लगाया गया। डॉ. राजीव भारती, डॉ. उस्मान और डॉ. विक्रम ने मरीजों को देखने के बाद दवा दीं। 16 लोग बुखार से पीड़ित मिले। इसके अलावा 12 लोगों की मलेरिया की जांच की गई। जबकि दो लोगों की डेंगू की जांच की गई।
भाई के तीन बच्चे भी भर्ती
रामू के भाई श्यामू के तीन बच्चे सात वर्षीय बेटा सनी, नौ वर्षीय बेटी मानसी, चार वर्षीय बेटा लवकुश को भी बुखार आ रहा है। ऐसे में इन बच्चों को भी मंगलवार शाम को मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया गया।
पांच दिन पहले भी बुखार ले चुका जान
पांच दिन पहले क्षेत्र के सहजापुर गांव निवासी श्याम बहादुर शुक्ला को बुखार आ गया था। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां से मेडिकल कालेज भेज दिया गया। वहां भी जब तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया था। रास्ते में उनकी मृत्यु हो गई।
भाई-बहनों की मृत्यु हुई है। गांव जाकर निरीक्षण भी किया था। बीमार बच्चों का मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है। शिविर लगाकर मरीजों को दवाएं भी दी गई। बुधवार को फिर टीम को भेजा जाएगा। डॉ. राजीव भारती, चिकित्साधिकारी भावलखेड़ा
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