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    बाइक सवार की डिवाइडर से टकराकर मौत, बेसहारा पशु को बचाने की कोशिश में हुआ हादसा

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 11:37 PM (IST)

    शाहजहांपुर के जलालाबाद में सरैया गांव के पास एक बाइक सवार की बेसहारा पशु को बचाने की कोशिश में डिवाइडर से टकराकर मौत हो गई। गयापाल नाम का यह व्यक्ति अपने साढ़ू को छोड़कर लौट रहा था जब यह हादसा हुआ। जिले में बेसहारा पशुओं के कारण लगातार हादसे बढ़ रहे हैं लेकिन प्रशासन इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है।

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    साढ़ू को छोड़कर घर लौट रहे बाइक सवार की डिवाइडर से टकराकर मृत्यु

    जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। साढ़ू को छोड़कर घर लौट रहे बाइक सवार की बेसहारा पशु को बचाने के चक्कर में डिवाइडर से टकराकर मृत्यु हो गई। टक्कर लगने के बाद करीब 20 मीटर तक बाइक के साथ घिसटते चले गए।

    जिले में बेसहारा पशुओं की वजह से आये दिन हादसे हो रहे हैं, लेकिन प्रशासन इसको लेकर ध्यान नहीं दे रहा है। अल्लाहगंज क्षेत्र के कनारी गांव के मजरा करनापुर निवासी गयापाल मंगलवार को अपने साढ़ू जितेंद्र को बाइक से उनके घर मीरानपुर कटरा के कटैया गांव छोड़े गए थे।

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    देर रात वापस घर लौटते समय जलालाबाद के सरैया गांव की मोड के पास गाय को बचाने के चक्कर में उनकी बाइक डिवाइडर से टकरा गई। टक्कर लगने के बाद वह बाइक के साथ 20 मीटर से ज्यादा दूर तक घिसटते चले गए। उनका हेलमेट भी टूट गया।

    घायल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भिजवाया गया जहां से मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके तीन बच्चे चार वर्षीय बेटा किशन, दो वर्षीय सुधीर व एक दो माह का बेटा है।

    पति की मृत्यु के बाद तीनों बच्चों की अब पूरी जिम्मेदारी मूर्ति पर आ गई। प्रभारी राजीव कुमार ने बताया डिवाइडर की टक्कर से मृत्यु हुई थी।

    बढ़ते जा रहे हादसे

    बेसहारा पशुओं की वजह से जिले में हादसे बढ़ते जा रहे हैं। 23 सितंबर को तिलहर क्षेत्र के गुलामखेड़ा गांव निवासी राममूर्ति को सांड़ ने पटककर मार डाला था। 17 सितंबर को खुटार क्षेत्र के रसूलपुर गढ़िया गांव निवासी भूपराम की बेसहारा पशु के हमले से जान चली गई थी, जबकि उनका बेटा रामदेव घायल हो गया था।

    16 सितंबर रात चौक कोतवाली क्षेत्र में लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो अलग-अलग स्थानों पर आठ गोवंशीय पशुओं की हादसे में मृत्यु हो गई थी।

    इसी तरह आये दिन हादसे हो रहे हैं। कभी इंसान तो कभी खुद पशुओं की जान जा रही है, लेकिन प्रशासन पशुओं को संरक्षित कराने को लेकर लापरवाही बरत रहा है। जिले में एक माह में 15 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।