'बाहर घूम रहे आसाराम से परिवार को खतरा', दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने कहा- जमानत रद कर जेल में रखा जाए
जेल से बाहर घूम रहे दुष्कर्मी आसाराम को दोबारा सलाखों के पीछे भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया गया है। सोमवार को पीड़िता के पिता ने कहा कि आसाराम को कोई बीमारी नहीं है। वह ऋषिकेश तो कभी महाराष्ट्र घूम रहा है। उसके जेल से बाहर रहने पर उनके परिवार को खतरा है।

जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। जेल से बाहर घूम रहे दुष्कर्मी आसाराम को दोबारा सलाखों के पीछे भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया गया है। सोमवार को पीड़िता के पिता ने कहा कि आसाराम को कोई बीमारी नहीं है। वह ऋषिकेश तो कभी महाराष्ट्र घूम रहा है। उसके जेल से बाहर रहने पर उनके परिवार को खतरा है। उसकी जमानत रद कर जेल में रखा जाए। यदि उसे कोई सामान्य बीमारी है तो अन्य बंदियों की तरह जेल चिकित्सालय में उपचार कराया जाए।
शाहजहांपुर निवासी परिवार आसाराम का अनुयायी था। अगस्त 2013 में जोधपुर (राजस्थान) में परिवार की नाबालिग बेटी से आसाराम ने दुष्कर्म किया था। उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया था। वर्ष 2018 में जोधपुर की अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद से वह जोधपुर जेल में बंद था।
सात जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बीमारी के आधार पर उसे 31 मार्च तक जमानत की जमानत दी थी। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को आसाराम की बढ़ती उम्र व बीमारी का हवाला देकर छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी। शाहजहांपुर में रहने वाली पीड़िता व उसके स्वजन ने इस पर चिंता जताई थी।
उनका कहना था कि आसाराम के गुर्गे कई बार धमकियां दे चुके, वे हमला कर सकते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए उनके घर की सुरक्षा बढ़ा दी गई, सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही।
पीड़िता के पिता ने बताया कि 20 दिन पहले अधिवक्ता एल्जो जोसफ से संपर्क किया था, ताकि आसाराम की जमानत के विरुद्ध प्रार्थनापत्र दिया जा सके। शनिवार को उन्होंने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे दिया गया है, अब सुनवाई का इंतजार है।
अगस्त में हाईकोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन किया था, जिसमें आसाराम को कोई गंभीर बीमारी नहीं बताई गई। ऐसे में उसकी जमानत रद की जानी चाहिए। पीड़िता के पिता ने कहा कि आसाराम पूरी तरह स्वस्थ है।

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