न कोई बंदा रहा, न बंदा नवाज
शाहजहांपुर : एक ही सफ में खड़े हो गए महमूद ओ अयाज, न कोई बंदा रहा, न कोई बंदा नवाज.। इन दिनों बैंकों ...और पढ़ें

शाहजहांपुर : एक ही सफ में खड़े हो गए महमूद ओ अयाज, न कोई बंदा रहा, न कोई बंदा नवाज.। इन दिनों बैंकों के बाहर लग रही लोगों की लाइन पर शायर अल्लामा इकबाल का शेर मौजू है। यहां न कोई राजा है न कोई रंक, न कोई अमीर है, न गरीब..। सब एक लाइन मे खड़े होकर बस अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। किसी के पास नोटों की गड्डी है तो कोई मुट्ठी में जमा पूंजी दबाकर लाया है।
किसी को व्यापार के संबंध में नकदी जमा करनी है तो किसी को रोजमर्रा का सामान खरीदने के लिए नोट बदलने हैं। पांच सौ व एक हजार रुपये के नोट जमा करने के लिए चल रही जद्दोजहद में हर कोई एक कतार में आकर खड़ा हो गया है। जो धनाढ्य लोग हैं उन्हें भी रुपये जमा करने हैं और जो मजदूरी पेशा हैं उन्हें भी। बैंक के नियम कायदों से सभी को लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि शहर का क्रीमीलेयर लाइन में कहीं नजर नहीं आया है, क्योंकि उनके पास रुपये जमा करने के लिए कर्मचारी हैं और बैंकों में परिचित भी। बावजूद इसके तमाम साधन संपन्न लोग लाइन में जरूर दिख रहे हैं।
एसबीआइ में आए चौक निवासी प्रवीण अग्रवाल ने बताया है कि उन्हें मैसेज मिला था कि पुराने नोट से अपना वैट किसी भी बैंक की शाखा में जमा कर सकते हैं। वह पांच सौ व एक हजार के रुपये लेकर यहां आए थे, लेकिन शाखा प्रबंधक ने मना कर दिया। कहा कि चेक से ही टैक्स लेंगे।
शहर के मल्हार टाकीज के पास रहने वाले हिमांशु वैश्य को भी वैट के चार लाख रुपये जमा करने थे। काफी देर तक लाइन में लगने के बाद उनका नंबर आया भी, लेकिन पुराने नोट देखकर प्रबंधक ने मना कर दिया। अब वह परेशान हैं कि आखिर करें तो क्या करें।

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