नवरात्र में तीन दिन ही खुलते हैं कुर्रिया कलां में मंदिर के कपाट
जासं, शाहजहांपुर : कांट ब्लाक के कुर्रिया कलां गांव स्थित देवी का मंदिर तीर्थ से कम नहीं है। विशेषता
जासं, शाहजहांपुर : कांट ब्लाक के कुर्रिया कलां गांव स्थित देवी का मंदिर तीर्थ से कम नहीं है। विशेषता है कि साल में दो बार नवरात्र के मौके पर ही इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। देवी के दर्शन करने के लिये दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यहां आकर एक बार जो मनौती मांगी जाती है, वह साल भर के अंदर पूरी जरूर होती है। मंदिर चैत्र व शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि को रात में खुलता है और द्वादशी को दोपहर में कपाट बंद कर दिये जाते हैं। इन तीन दिनों में हजारों की संख्या में लोग यहां आकर हाजिरी लगाते हैं।
पान खिलाने से हंसी थी भगवान शिव की प्रतिमा
बताते हैं कि ओयल के राजा एक बार भगवान शंकर की मूर्ति बनवा रहे थे, जो एक बार हंसी। काफी प्रयास हुए, लेकिन मूर्ति नहीं हंसी। यह देख उन्होंने घोषणा की कि जो इस मूर्ति को हंसा देगा वह उस व्यक्ति को मूर्ति ईनाम में दे देंगे। कुर्रिया गांव के पंडित सतावन लाल भी वहां पहुंचे। उन्होंने मूर्ति को एक पान खिलाया, कुछ मंत्र पढ़े तो वह मुस्कुरा दी।
वास्तुकला
लकड़ी से बनी है मां दुर्गा की प्रतिमा
जिसके बाद भगवान शिव की मुस्कुराती हुई मूर्ति यहां पर स्थापित है। साथ में राजा ने सतावन लाल की मां दुर्गा की लकड़ी से बनी भव्य मूर्ति भी उपहार में दी थी। यह मूर्ति स्थापित होने करने के बाद नवरात्र में कपाट स्वयं खुलते थे और तीन दिन बाद स्वयं बंद हो जाते थे। जिसके बाद से तीन दिन कपाट खुलने की परंपरा शुरू हो गई।
नर्तकी के नृत्य के साथ खुलते कपाट
मंदिर के कपाट खुलने के समय नर्तकी का नृत्य होता है। इसको रोकने के लिये कई बार पुलिस प्रशासन ने कोशिश की, लेकिन आस्था और परंपरा से जुड़ी होने के कारण हर बाद पीछे हटना पड़ा। यहां पर बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें जमकर खरीदारी होती है।
वर्जन
पंडित सतावन लाल की सातवीं पीढ़ी के मनुज दीक्षित ने बताया कि इस बार भी तैयारियां पूरी हो गई हैं। आज तक इस मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं गया है।
- पुजारी मनुज दीक्षित
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