कार्बोफ्यूरान का छिड़काव व 15 दिन के अंतराल पर, करें ¨सचाई
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : गन्ना पर रोगों का तेजी से प्रकोप हो रहा है। बारिश न होने से बढ़वार भी
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर : गन्ना पर रोगों का तेजी से प्रकोप हो रहा है। बारिश न होने से बढ़वार भी प्रभावित हुई है। यूपी समेत पांच प्रांतों को नई गन्ना प्रजातियां मुहैया कराने वाले उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने रोगों की रोकथाम के साथ ही उपज दर वृद्धि के टिप्स दिए हैं। बुधवार को जागरण के प्रश्न पहर में आए गन्ना शोध परिषद के प्रबंध प्रक्षेत्र अधिकारी डा. अनिल ¨सह तथा प्रसार अधिकारी डा. संजीव कुमार पाठक ने दूरभाष पर किसानों की समस्याओं का समाधान किया। उन्हें अच्छी पैदावार के टिप्स दिए। वैज्ञानिक अधिकारी दैहिकी डा. एसपी ¨सह ने किसानों को कम पानी में तैयार होने वाली गन्ना प्रजातियों के बारे में बताया।
प्रश्न : गन्ने की फसल में दीमक का प्रकोप हो गया है, उपचार बताएं।
-प्रेम किशोर गौतम- मुड़िया मिश्रा, लाल सहाय - भित्तिया पौकी, सुखपाल ¨सह- दारापुर चठिया
उत्तर : क्लोरोपाइरीफॉस 50 ईसी, पांच लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इससे दीमक पर नियंत्रण हो जाएगा।
प्रश्न : गन्ने की पत्तियां भूरी व काली हो रही है, बढ़वार भी प्रभावित है। यह बीमारी है अथवा कीट के लक्षण है?
-हरिओम वर्मा - अकर्रारसुलपुर
उत्तर : लगता है गन्ने पर टाप बोरर का प्रकोप है। इससे निजात के लिए कार्बोफ्यूरान 3जी, को 33 किग्री प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना उचित रहेगा। प्रभावित फसल को गन्ना शोध परिषद ले आएं। इससे रोग परीक्षण में आसानी रहेगी। बहरहाल दस दिन के भीतर अकर्रा रसूलपुर में एक गोष्ठी का आयोजन करा दिया जाएगा। इससे पास पड़ोस के अन्य गन्ना किसानों को भी लाभ हो सकेगा।
प्रश्न : हमारे खेत में खड़ी गन्ने की फसल में चोटी बेधक कीट लग गया है। नियंत्रण के लिए क्या करें?
-प्रभात ¨सह- निगोही, राजीव यादव - पिथनापुर, लाल ¨सह - बंधीचक
उत्तर : कार्बोफ्यूरान 3जी, का छिड़काव करें। मानसून आने तक 15 दिन के अंतराल पर ¨सचाई भी करते रहे। शरदकालीन बुवाई से पूर्व मृदा का परीक्षण जरूर करा लें, इससे कीट रोग नियंत्रण में मदद मिलेगी।
प्रश्न : गन्ना फसल की जड़ें सूख रही हैं। बढ़वार भी रुक गई, उपचार बताएं?
-सुरेश पाल ¨सह यादव- पिथनापुर
उत्तर : गन्ने में शूट बोरर का प्रकोप है। नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें, खेत में नमी अवश्य रहे। यूरिया की टाप ड्रे¨सग करना भी न भूले।
प्रश्न : गन्ने की बढ़वार नहीं हो रही। इससे उपज दर पर प्रभाव पड़ सकता है। बढ़वार के उपाए बताएं?
-सुनील मिश्र- बेला, बागीश यादव - नियामतपुर
उत्तर : ¨सचाई के तत्काल बाद यूरिया की टाप ड्रे¨सग करा दें। बढ़वार के लिए प्रति एक तीन बोरी यूरिया की जरूरत होती है। इसमें एक बोरी बुवाई के समय शेष दो बोरी यूरिया बाद में डालनी चाहिए। इस समय गर्मी अधिक है। इसलिए खेत में नमी के लिए ¨सचाई करते रहे। यूरिया की टाप ड्रे¨सग से फसल को अपेक्षित नाइट्रोजन मिल जाता है और बढ़वार अच्छी होती है।
प्रश्न : गन्ने में पोक्का बोइंग का प्रकोप हो गया है, बढ़वार भी रुक गई?
-मंजीत ¨सह, कढेरचावर, बंडा। ्र
उत्तर : आमतौर पर पोक्का बोइंग का प्रकोप जुलाई में होता है। जून में इस रोग का ¨चताजनक है। रोग प्रभावित गन्ने की जांच करा लें, तो बेहतर रहेगा। फिलहाल नियंत्रण के लिए कॉपर आक्सी क्लोराइड 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें। बावस्तीन का 0.1 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करने से भी पोक्का बोइंग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
प्रश्न : कम ¨सचाई की दशा में किस गन्ना प्रजाति की बुवाई उचित रहेगी।
-देवी प्रसाद मिश्र, चौधरी विनोद ¨सह यादव- कलान
उत्तर : उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने मिट्टी, ¨सचाई, मौसम आदि कारकों के अनुरूप गन्ना प्रजातियां विकसित की है। यूं तो गन्ना समेत सभी तरह की फसलों को पानी की जरूरत होती है, लेकिन कम पानी में भी अच्छी पैदावार देने वाली गन्ना प्रजाति कोशा 97261, कोशा 8279, कोसे 01434, कोशा 767, कोशा 96275 आदि प्रजातियां प्रमुख है।
प्रश्न : गन्ना का वजन बढ़ाने के तरीके बताएं।
संजय वर्मा- ईश्वरी गंज
उत्तर : ¨सचाई में कमी से वजन प्रभावित होता है। वर्तमान में गर्मी बहुत है। यदि इस समय ¨सचाई पर ध्यान न दिया गया तो वजन गिर सकता है। ¨सचाई का साल भर ध्यान रखना चाहिए। मृदा परीक्षण और गन्ना बुवाई का भी गन्ना वजन में प्रमुख रोल है। बुवाई से पूर्व मृदा परीक्षण करा लेने से मिट्टी के पोषक तत्वों की पूर्ति का मौक मिल जाता है। गन्ना बुवाई के लिए तैयार लाइनों की दूरी 90 से 120 सेमी तक होनी चाहिए। इससे कम दूरी होने पर गन्ना वजन घट जाता है। गन्ना शोध परिषद में मृदा जांच की सुविधा उपलब्ध है।
प्रश्न : गन्ने की पोनी सूख रही है।
आलोक मिश्रा- मुड़िया पवार
उत्तर : गन्ने की बीच वाली पत्तियों के सूखने की बड़ी वजह टाप बोरर है। अभी प्राथमिक दशा है। कार्बोफ्यूरान 3जी 33 किग्रा के छिड़काव से पत्तियों का सूखना बंद हो जाएगा। बढ़वार भी अच्छी हो जाएगी। खेत में नमी का खास ख्याल रखने की जरूरत है।
प्रश्न : गन्ने की पत्तियां काली पड़ रही है। उनमें से काला पाउडर सा निकलता है
-भानु ¨सह बरंडा
उत्तर : यह कंडुआ रोग का लक्षण है। प्रभावित गन्ने को काट कर उसे दूर जाकर जला दें। कंडुआ खतरनाक रोग है। इससे उपज पर प्रभावी असर पड़ता है।
प्रश्न : मैने सीओ 0238 गन्ना बोया है, उसकी बीच की पत्तियां सूख रही हैं, क्या यह कोई रोग का लक्षण है?
-जगपाल ¨सह - पींग, सुखपाल ¨सह - दिलावलपुर
उत्तर : अरली गन्ना प्रजाति सीओ 0238 की बीच की पत्तियां सूखने पर घबराएं नहीं। दरअसल पत्तियां सूखना इस गन्ना प्रजाति का विलक्षण गुण है। गर्मी के दिनों में इस प्रजाति में दैहिकीय प्रक्रिया तीव्र होती है। इससे पत्तियां सूखने लगती है। लेकिन वास्तविकता में पत्तियां सूखती नहीं, बल्कि इससे गन्ने की बढ़वार में इजाफा होता है।
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यूपीसीएसआर के वैज्ञानिकों के टिप्स
- मानसून के आने तक 15 दिन के अंतराल पर नियमित रूप से ¨सचाई करें।
- बढ़वार के लिए जून के अंतिम सप्ताह तक यूरिया की टाप ड्रे¨सग अवश्य कर दें।
- टाप बोरर की तीसरी पीढ़ी के प्रकोप से बचने के लिए जून के अंतिम सप्ताह में कार्बोफ्यूरान 3जी, 33 किग्रा मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- सीओ 0238 गन्ना प्रजाति की पत्तियां गर्मी के दिनों में सूखने लगती है, इससे घबराए नहीं। दरअसल दैहिकी क्रिया के विशेष लक्षण की वजह से पत्तियां सूखती है।
- गन्ने की गिरने से बचाने के लिए मिट्टा चढ़ाना शुरू करा दें। जुलाई से गन्ने की बंधाई भी कराएं।
- शरदकालीन गन्ना बुवाई के लिए खेतों में हरी खाद की बुवाई कर दें। इससे समय से गन्ने की बुवाई तो होगी ही मृदा की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाएगी।
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