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    ननिहाल में छत पर सो रही लड़की की अचानक मौत, रोते-बिलखते पहुंची सौतेली मां

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 05:33 PM (IST)

    महुली में एक 16 वर्षीय छात्रा की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। वह अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी। शनिवार रात छत पर सोने के बाद वह सुबह मृत पाई गई। पिता दिल्ली में होने के कारण नहीं आ सके जबकि सौतेली माँ ने अंतिम संस्कार किया। मौत का कारण अज्ञात है जिससे परिवार और गांव में शोक है।

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    सोते समय रहस्यमय परिस्थितियों में छात्रा की मौत। जागरण

    संवाद सूत्र, महुली । 16 वर्षीय किशोरी की शनिवार की देर रात रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। किशोरी 10वीं की छात्रा थी और ननिहाल में रहकर पढ़ाई कर रही थी।

    महुली थाना क्षेत्र के गोपालपुर में उसकी ननिहाल है जबकि वह बस्ती जिले के लालगंज थाना क्षेत्र के बहसापार गांव की रहने वाली थी। इसके मामा जितेंद्र क्षेत्र पंचायत सदस्य हैं। वह मामा के घर के पास स्थित एक स्कूल में पढ़ती थी।

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    छत पर सोई थी लड़की

    शनिवार की रात रोज की तरह वह छत पर सोई थी। देर रात मौसम ठंडा होने पर वह नीचे कमरे में आकर सो गई। रविवार की सुबह देर तक जब वह नहीं उठी तो लोग उसे जगाने पहुंचे। हिलाने-डुलाने पर पता चला कि उसकी सांसें थम चुकी हैं।

    इस घटना की जानकारी उसके पिता कमल प्रसाद को सूचना दी गई। लेकिन वह दिल्ली से नहीं आए। सौतेली मां बेटी की मौत की खबर सुनकर रोते-बिलखते पहुंची। शव को लेकर परिजन सरजू घाट ले गए और वहां उसका अंतिम क्रियाकर्म किया।

    मौत का कारण बना रहस्य

    छात्रा की मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी है। ननिहाल के लोगों का कहना है कि कविता अपने अतीत से अवगत थी, लेकिन कभी हार नहीं मानी। पढ़ाई में पूरी लगन से जुटी रही। अचानक हुई उसकी मौत से मामा सहित पूरा परिवार सदमे में है। गांव के लोग भी उसकी असमय मौत से बेहद दुखी हैं। प्रभारी निरीक्षक रजनीश राय ने बताया कि इस घटना की जानकारी नहीं है।

    मामा को ही पापा कहकर पुकारती थी कविता

    कविता के मामा महेंद्र ने बताया कि बहन की मौत उसके जन्म के दो वर्ष बाद ही हो गई थी। पिता दिल्ली में रहते थे। जहां पर उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी। ऐसे में कविता की परवरिश पर संकट खड़ा हो गया।

    बचपन में ही 13 साल पहले उसके दोनों मामा महेंद्र और जितेंद्र ने बहन के पति से मिन्नतें करके दिल्ली से हैंसर बाजार आने वाली बस के चालक से उसे मंगवाया था। तभी से कविता ननिहाल मेे रह रही थी। वह अपने मामा महेंद्र को ही ‘पापा’ कहकर पुकारती थी। मामा ने उसे न सिर्फ प्यार-दुलार दिया बल्कि अच्छे भविष्य के लिए निकटवर्ती इंटर कॉलेज में दाखिला भी करवाया। वह पढ़ाई में होनहार थी और हमेशा मेहनत करती थी।