कालिया मर्दन व गोवर्धन पूजा का सुनाया प्रसंग
संतकबीर नगर: रोसया बाजार में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा के सप्तम दिवस की में अयोध्या धाम से पधारे सूर्य ...और पढ़ें

संतकबीर नगर: रोसया बाजार में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा के सप्तम दिवस की में अयोध्या धाम से पधारे सूर्यकांताचार्य जी महाराज ने कथा श्रवण कराते हुए कालिया मर्दन,गोवर्धन पूजा महारास का दिव्य वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जब कंस ने बहुत प्रकार से कृष्ण को मारने का प्रयास कर लिया और मार नहीं पाया। तब अक्रूर के माध्यम से उसने श्री कृष्ण और बलराम को मथुरा बुला लिया। मथुरा में पहुंचकर के भगवान ने वहां पर कंस का वध करके अपने माता पिता जी से मिले हैं। सांदीपनि आश्रम में पहुंचकर के वहां पर यज्ञोपवीत संस्कार एवं विद्या का अध्ययन किया। जरासंध ने अठ्ठारहवीं बार कालयवन के द्वारा भगवान पर आक्रमण कराया। भगवान रणछोड़ बनकर भाग चले,रातों-रात द्वारिका पहुंचे हैं। जहां पर द्वारिकाधीश बन करके विराजित हुए। विदर्भ नरेश श्री भीष्मक जी के कन्या रुकमणी से भगवान का प्रथम विवाह संपन्न हुआ। रुकमणी मैया का भाई रुक्मी चाहता था कि मैं अपनी बहन का विवाह शिशुपाल से करूं। लेकिन मैया को पता था कि शिशुपाल दुष्ट राक्षस है। उसके साथ मेरा विवाह होगा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी। रुकमणी मैया ने पत्र लिखकर के भगवान को सूचना दिया और भगवान नें रुक्मणी का अपहरण करके द्वारिका में ला करके विवाह संपन्न किया इस अवसर पर
इस अवसर पर अवध रामप्रकाश दास,पंकज मिश्रा,अभिनव पांडे, जय प्रकाश मिश्रा,ग्राम प्रधान मदनलाल, धरमवीर,रामजी,हरिद्वार,दीपक शुभम,रिषभ,मिन्टू कसौधन,राजकुमार, धर्मवीर,जगत नारायण,महेंद्र, गुद्दुन लाल सहित बहुत लोग उपस्थित रहे।

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