ग्राम पंचायतों में नहीं जलेगी पराली,चलेगा जन जागरूकता अभियान
किसान खेत जोतवाकर पराली को मिट्टी में दबवा दे रहे हैं।

संतकबीर नगर: वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई है। पहले की तुलना में पराली का अधिक सदुपयोग होने लगा है। किसान खेत जोतवाकर पराली को मिट्टी में दबवा दे रहे हैं। इससे पराली का उपयोग जैविक खाद के रूप में हो रहा है। पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में कटवाकर चारा के रूप में इसे गो-आश्रय स्थलों में भेजा गया। इस साल पराली जलाने की एक भी घटना सामने न आए, इसके लिए डीएम ने जनपद के सभी 754 ग्राम पंचायतों के प्रधानों को पत्र भेजा है। ग्राम पंचायतों में जन जागरूकता के लिए गोष्ठी आयोजित करने की तैयारियां चल रही हैं।
वर्ष 2019 में पराली जलाने के मामले में 59 किसानों को नोटिस भेजा था। किसानों से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में एक लाख 45 हजार रुपये वसूले गए थे। 33 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। 21 कंबाइन मालिकों को नोटिस भेजा गया था। एक कंबाइन मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। तीन कंबाइन को सीज कर दिया गया था। लापरवाही बरतने पर 13 कर्मियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी। 62.03 मीट्रिक टन (एमटी) पराली को छोटे आकार में काटकर उसे चारा के रूप में गो आश्रय स्थलों पर भेजा गया था। जबकि वर्ष 2020 में पराली जलाने के मामले में 122 किसानों को नोटिस भेजा गया था। किसानों से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में दो लाख 17 हजार 500 रुपये वसूले गए थे। 30 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। चार कंबाइन मालिकों को नोटिस भेजा गया था। चार कंबाइन मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। चार कंबाइन को सीज कर दिया गया था। लापरवाही मिलने पर 18 कर्मियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई थी। 239.55 एमटी पराली को छोटे आकार में काटकर उसे चारा के रूप में गो आश्रय स्थलों पर भेजा गया था। पहले की अपेक्षा किसान ज्यादा जागरूक हुए हैं। पराली जलाने से होने वाली क्षति और न जलाने से मिलने वाले फायदे के बारे में वाकिफ हुए हैं। इसी वजह से वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में पराली जलने की कम घटनाएं हुई हैं।
दिव्या मित्तल,डीएम
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