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    तीन सौ साल पुरानी है यह सात किमी लंबी सुरंग

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 27 Dec 2018 10:12 PM (IST)

    दिलीप पांडेय, संतकबीर नगर : खलीलाबाद के शासक खलीलुर्रहमान का प्राचीन किला और महान संत कबीर की स्थली ...और पढ़ें

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    तीन सौ साल पुरानी है यह सात किमी लंबी सुरंग

    दिलीप पांडेय, संतकबीर नगर : खलीलाबाद के शासक खलीलुर्रहमान का प्राचीन किला और महान संत कबीर की स्थली मगहर को जोड़ने की एक मजबूत कड़ी है लगभग सात किमी लंबी सुरंग। बुजुर्गों की मानें तो यह खलीलुर्रहमान का किला और यह सुरंग लगभग तीन सौ साल पुराने हैं। सुरक्षा के ²ष्टिकोण से और मस्जिद में इबादत के लिए शासक ने यह सुरंग बनवाई थीं। कोतवाली खलीलाबाद थाने के पास स्थित खलीलुर्रहमान के किले से संत कबीर स्थली मगहर में स्थित जामा मस्जिद तक यह सुरंग है। यह सुरंग सदैव लोगों के जिज्ञासा का केंद्र बना रहा। सपा शासनकाल में जब इंटेक की टीम इस जिले में आई और इस सुरंग का जायजा लिया तो इन्हें इसमें पर्यटन की असीम संभावनाएं दिखीं थीं। तत्कालीन प्रमुख सचिव पर्यटन-श्रीमती रेणुका कुमार ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई थीं।

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    बगैर छेड़छाड़ के इसे सुरक्षित रखते हुए सुंदरीकरण के लिए गैर सरकारी संस्था इंटेक ने पहल कीं। डिजायन तैयार कर इस पर काम शुरु होना था। सूत्रों की मानें तो इसके सुंदरीकरण पर होने वाले खर्च को वहन करने में शासन ने कोई रुचि नहीं दिखाई। इसके कारण इस संस्था ने अपने कदम पीछे कर लिए। इससे पर्यटन के ²ष्टिकोण से इस सुरंग के सुंदरीकरण करने की कवायद धरी की धरी रह गई। यदि इस पर सही से काम हो जाए तो न केवल गैर जनपद व प्रांत से कबीर पंथी अपितु गैर कबीर पंथी भी इस सुरंग को देखने के लिए यहां आ सकते हैं। इससे आय का जरिया बढ़ सकता है, स्थानीय लोगों को इससे जीविका मिल सकती है। इससे इस पिछड़े जिले की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हो सकती है।

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    तीन दिन तक ठहरी थीं इंटेक की टीम

    तत्कालीन एडीएम वित्त एवं राजस्व अजयकांत सैनी के कार्यकाल में इस जिले में आई इंटेक की टीम तीन दिन तक ठहरी थीं। एडीएम की मौजूदगी में कोतवाली खलीलाबाद स्थित खलीलुर्रहमान के किले के पास से शुरू होने वाले इस सुरंग का दरवाजा खोला गया था। टीम के सदस्यों ने मास्क, आक्सीजन गैस सिलेंडर सहित अन्य संसाधन से लैस होकर इस सुरंग में प्रवेश किया था। इसकी लंबाई, चौड़ाई व उंचाई सहित अन्य ¨बदुओं का अध्ययन किया था।

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    खलीलुर्रहमान का किला: संभावनाएं अधिक पर पहल नहीं

    केंद्र सरकार ने राजाओं, नवाबों के पुराने महलों, किलों आदि को उनकी वास्तविक स्थिति को बरकरार रखते हुए सुरक्षित रखने के लिए पहल की हुई है। इन्हें पर्यटन के ²ष्टिकोण से होटल चलाने की पहल हुई है ताकि पर्यटकों के जरिए अच्छी खासी रकम प्राप्त हो सके। खलीलुर्रहमान का किला जिसमें पर्यटन की संभावनाएं अधिक हैं, उसे संरक्षित और सुरक्षित रखने की पहल अभी तक नहीं की जा सकी है। यदि इस किले के सुंदरीकरण पर पहल की जाए तो यह भी पर्यटकों को अपनी ओर खींच लाने में सहायक साबित होगा।

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    क्या कहते हैं बुजुर्ग ?

    मगहर महोत्सव समिति के संस्थापक सदस्य वेद प्रकाश चौबे का कहना है कि वर्ष 1857 तक मुगल का शासनकाल रहा। अंतिम मुगह बादशाह बहादुर शाह जफर रहे। लगभग सात किमी लंबी सुरंग खलीलाबाद के शासक खलीलुर्रहमान का किला व महान संत कबीर की स्थली मगहर को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी है। खलीलुर्रहमान का किला और यह सुरंग लगभग तीन सौ साल पुराना है। सुरक्षा के ²ष्टिकोण से और जामा मस्जिद मगहर में नमाज अदा करने के लिए शासक ने यह सुरंग बनवाई थीं। पर्यटन के ²ष्टिकोण से इसमें असीम संभावनाएं हैं, इससे जिले को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकती है। इस पर सार्थक पहल होनी चाहिए।

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