कोर्ट ने 13 साल बाद निर्दोष पिता-पुत्र को बरी किया, झूठा केस दर्ज कराने वालों पर अब होगा मुकदमा
संत कबीर नगर में एससी-एसटी कोर्ट ने 2012 के एक मामले में पिता-पुत्र को दोषमुक्त कर दिया। वादी किरण बाला ने आरोप लगाया था कि प्रधान कृष्णनाथ यादव और उनके बेटे ने उन्हें जातिसूचक गालियाँ दीं और मारपीट की। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया और वादी के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।

जागरण संवाददाता, संत कबीर नगर। विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट कोर्ट ने वर्ष 2012 के एक मुकदमे में आरोपित बनाए गए पिता-पुत्र को दोषमुक्त कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल करने वाली वादिनी के खिलाफ वाद दर्ज करने का आदेश दिया है।
वादिनी किरण बाला का कहना है कि वह वर्ष 2012 में प्राथमिक विद्यालय-हाड़ापार की इंचार्ज प्रधानाध्यापक थी। प्रधान कृष्णनाथ यादव उन्हें अपने घर बुलाए थे। इस पर वह अपने पति विजय के साथ उनके घर गयी थी। घर पर पहुंचने पर प्रधान व उनके बेटे अलगू उर्फ कैलेश ने उन्हें व उनके पति को जाति सूचक गाली देते हुए मारा-पीटा था।
जिससे हम दोनों काफी चोटें लगी थी। वह किसी तरह वहां से भागकर जान बचायी थी। बखिरा पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। इनके खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र प्रेषित किया था। विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष से वादिनी समेत चार साक्षी न्यायालय में पेश हुए थे। बचाव पक्ष द्वारा भी साक्षी पेश किया गया।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता जय प्रकाश पाठक ने बताया कि कोर्ट ने दोनों पक्षों के साक्ष्यों का अवलोकन करने व तर्कों को सुनने के बाद एससी-एसटी आदि धारा के आरोपित पिता-पुत्र को दोषमुक्त कर दिया। वहीं न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग पाए जाने पर वादिनी के खिलाफ वाद दर्ज करने का आदेश दिया है।
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