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    चेक बाउंस मामले में आरोपित को एक साल की सजा, 1.36 करोड़ रुपये का जुर्माना

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 08:41 PM (IST)

    संतकबीरनगर में चेक बाउंस के एक मामले में अदालत ने आरोपी को एक साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, अदालत ने आरोपी पर 1.36 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाय ...और पढ़ें

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    चेक बाउंस मामले में आरोपित को एक साल की सजा।

    जागरण संवाददाता, संतकबीरनगर। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) सुनील कुमार सिंह पंचम ने शुक्रवार को चेक बाउंस के एक बड़े मामले में आरोपित को दोषी ठहराते हुए एक वर्ष के कारावास और एक करोड़ 36 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि अर्थदंड की राशि जमा न करने की स्थिति में आरोपित को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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    सजा पाने वाला आरोपित महुली थाना क्षेत्र के ग्राम भिटहा का निवासी संतोष चतुर्वेदी है। उस पर बालू घाट में मैनेजर के पद पर रहते हुए लाखों रुपये के गबन और बालू आपूर्ति के नाम पर एडवांस लेने का आरोप था। बकायेदारों के दबाव में आरोपित द्वारा जारी किए गए चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बाउंस हो गए थे।

    इस संबंध में महुली थाना क्षेत्र के ग्राम मझौवा एगडंगा निवासी सुनील कुमार मौर्य, धनघटा थाना क्षेत्र के ग्राम निरंजनपुर माधोपुर निवासी प्रत्युष कुमार, ग्राम नीबा होरिल निवासी गुलाब चौधरी, तामा खास निवासी बलराम यादव तथा ग्राम बलही निवासी अभयनंद सिंह द्वारा अलग-अलग प्रत्यावेदन न्यायालय में दाखिल किए गए थे।

    न्यायालय में बलराम यादव ने बताया कि वर्ष 2021 में उनके नाम से धनघटा तहसील क्षेत्र में बालू भंडारण का पट्टा आवंटित हुआ था। बेरोजगारी का हवाला देकर संतोष चतुर्वेदी ने उनसे रोजगार की मांग की, जिस पर उसे नौ हजार रुपये मासिक वेतन पर मैनेजर नियुक्त किया गया।

    बाद में आरोपित ने करीब 78 लाख रुपये का हिसाब नहीं दिया। दबाव बनाने पर जमीन, कार व अन्य वाहन खरीदने का हवाला देते हुए 67 लाख रुपये का चेक दिया गया, जो बैंक में बाउंस हो गया।

    इसी तरह आरोपित ने सुनील मौर्य, प्रत्युष कुमार, गुलाब चौधरी और अभयनंद सिंह से भी बालू आपूर्ति के नाम पर लाखों रुपये वसूले। भुगतान के लिए दिए गए सभी चेक बाउंस होने पर बकायेदारों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

    न्यायालय ने न्यायिक परीक्षण में आरोपों को सिद्ध पाते हुए आरोपित संतोष चतुर्वेदी को अलग-अलग मामलों में एक वर्ष के कारावास और कुल एक करोड़ 36 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही अर्थदंड अदा न करने पर छह माह के अतिरिक्त कारावास का आदेश भी दिया।