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    यज्ञ भगवान विष्णु का स्वरूप है

    By Edited By:
    Updated: Thu, 24 May 2012 10:45 PM (IST)

    संत कबीर नगर:

    स्थानीय जूनियर हाई स्कूल परिसर में चल रहे श्रीविष्णु महायज्ञ में गुरु वार को काशी से पधारे स्वामी दयानंद जी महराज ने श्रद्धालुओं को कथा सुनाते हुए कहा कि यज्ञ भगवान विष्णु के स्वरूप हैं।

    उन्होंने कहा कि यज्ञ कराने का मूल उद्देश्य भगवान विष्णु का भजन पूजन ही होता है। इसी लिए भगवान विष्णु यज्ञेश्वर, यज्ञ भोक्ता,यज्ञ कर्ता, यज्ञ स्वामी,यज्ञ पोषक, यज्ञ पुरुष व परमेश्वर कहे जाते हैं। स्वामी जी ने कहा कि हमेशा यज्ञ के महत्व को समझकर यज्ञ करना चाहिये। जो मनुष्य भगवान विष्णु के यथार्थ स्वरूप और महत्व को न जानकर यज्ञ करता है उसे पाखंडी कहते हैं।

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    इस अवसर पर पंडित रमेश,जयराम, अतुल, अमित, राकेश, रामानंद, सुजीत, आशीष व काशी से पधारे पंडित गण उपस्थित रहे।

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    संगीतमय कथा का शुभारंभ

    संत कबीर नगर:

    बखिरा बाजार स्थित नई बाजार शिव मंदिर के परिसर में गुरुवार को प्रज्ञा पुराण संगीतमयी कथा का शुभारंभ हुआ। इससे पूर्व कलश यात्रा निकाली गयी,जिसमें सैंकड़ों नर नारी शामिल रहे। वैदिक कर्मकांड हरिद्वार से पधारे पंडित विवेक शुक्ल, किशनजी व प्रज्ञा पीठ मेहदावल के प्रधान आचार्य पंडित सुरेंद्र धर द्विवेदी ने संपन्न कराया। मुख्य यजमान राजकुमार कसेरा व उनकी पत्‍‌नी रहीं।

    इस अवसर पर विजय कुमार,राम सूरत, कृष्ण कुमार,रवि, मीना, लक्ष्मी शंकर नायक, कृपा शंकर आदि सहयोग में लगे रहे।

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