बाबा तामेश्वरनाथ का महिमा महान
जागरण संवाददाता, संतकबीरनगर:
खलीलाबाद-धनघटा मार्ग के आठ किमी पर दक्षिण की तरफ तामेश्वर नाथ धाम स्थित है। जिला मुख्यालय से यहां पहुंचने के लिए मैनसिर चौराहा और इसके पूरब नौरंगिया होते हुए जाना पड़ता है। तामेश्वर नाथ धाम के नाम से पुलिस चौकी भी स्थापित है। पुलिस चौकी के सामने शिव मंदिर का मुख्य द्वार है। धनघटा की तरफ से भी आने वाले श्रद्धालुओं को मैनसिर चौराहा और इसके पूरब नौरंगिया होते हुए जाना पड़ता है।
दूसरी काशी का दर्जा
देवाधिदेव महादेव बाबा तामेश्वरनाथ धाम को द्वितीय काशी का दर्जा प्राप्त है। द्वापर युग में पाडवों के अज्ञातवास के दौरान माता कुंती ने यहा शिव की आराधना कर राजपाट के लिए आशीर्वाद मांगा था। राजकुमार सिद्धार्थ यहा वल्कल वस्त्र त्याग कर मुंडन कराने के पश्चात तथागत बने। धाम का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यहां स्वत: शिवलिंग प्रगट होने का प्रमाण मिलता है। इस स्थान को पूर्व में ताम्र गढ़ के नाम से जाना जाता था। यहां स्थापित शिव लिंग को दूसरे स्थान पर ले जाने का भी प्रयास हुआ लेकिन संभव नही हो सका। खलीलाबाद नगर को बसाने वाले खलीलुरर्हमान ने भी काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस शिव लिंग की महत्ता की जानकारी होने पर डेढ़ सौ वर्ष पूर्व तत्कालीन बांसी नरेश राजा रतन सेन सिंह ने यहा मंदिर का स्वरूप दिया। बाद में सेठ रामनिवास रुंगटा ने औलाद की मुराद मांगी। उन्होंने औलाद प्राप्ति के बाद मंदिर को विस्तार दिया। -
तैयारियों पर एक नजर
तामेश्वरनाथ धाम पर महाशिवरात्रि व सावन मास में जलाभिषेक के लिए भारी संख्या में भक्त जुटते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या देखते हुए समिति द्वारा व्यापक तैयारियां की गई है। व्यवस्था में गोस्वामी वंशज पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। मुख्य मंदिर के साथ यहां पर छोटे-बड़े कुल सोलह मंदिर है। सभी मंदिरों में श्रद्धालुओं के पूजा-अर्चना की मुकम्मल व्यवस्था है। मंदिर में बैरीकेटिंग कर महिला-पुरुष की अलग-अलग व्यवस्था की गई। साथ ही भक्तों के ठहरने आदि का उचित प्रबंध किया गया है।
तामेश्वर नाथ धाम पर पहुंच कर मन को शांति मिलती है। मेरा दस वर्ष से अधिक समय से यहां आना हो रहा है। यहां जलाभिषेक करने से आत्मा को शांति मिलती है। बाबा तामेश्वर नाथ का दर्शन दिनचर्या में शामिल है।
श्रीमती श्यामा मिश्र
तामेश्वरनाथ धाम में रात्रि से ही भक्तों का आगमन प्रारंभ हो जाएगा। पूजन-अर्चन के साथ भोर में दो बजे के बाद कपाट खोल दिया जाएगा। इसके पश्चात जलाभिषेक शुरू होगा। महारूद्राभिषेक, शिव स्तुति के लिए व्यवस्था की गई है।
नागेंद्र भारती, व्यवस्थापक
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