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    बिहार चुनाव में ECI के किस फैसले को संभल के सांसद ने बताया गलत? बोले- हम बेहद निराश हैं

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने बिहार चुनाव में बुर्का पहने महिलाओं की जाँच पर चुनाव आयोग के फैसले को गलत बताया। उन्होंने इसे एक समुदाय को निशाना बनाने वाला कहा और आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। बर्क ने एसआईआर की आवश्यकता पर भी प्रश्नचिह्न लगाया और चुनाव आयोग से निष्पक्ष रहने की मांग की, ताकि सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार हो।

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    जागरण संवाददाता, संभल। समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान के दौरान बुर्का पहने महिलाओं की जांच करने के भारत के चुनाव आयोग के फैसले को गलत ठहराया है। उन्होंने इसे एक विशिष्ट समुदाय को निशाना बनाने वाला बताते हुए चिंता व्यक्त की और चुनाव आयोग की कार्रवाई की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

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    रविवार को दीपा सराय स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बर्क ने कहा हम बेहद निराश हैं। चुनाव आयोग के फैसले बार-बार उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। पूरा विपक्ष बेवजह आयोग के खिलाफ नहीं है। उसकी कार्यप्रणाली को लेकर चिंताएँ वाजिब हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर उन्होंने कहा चुनाव आयोग साल भर काम करता है, फिर अचानक एसआईआर की ज़रूरत क्यों पड़ी?

    राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक उठाया है और हमें आधार लिंकेज के ज़रिए कुछ राहत मिली है। लेकिन अब आयोग का कहना है कि वह एसआईआर को सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे ईमानदार चुनावों के समर्थक हैं, लेकिन ऐसे उपायों का क्रियान्वयन पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए।

    बर्क ने यह भी कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले भारत में अभी भी महिलाओं का एक बड़ा वर्ग पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार रहता है, जिसमें घूँघट पहनना भी शामिल है। बोले, 140 करोड़ की आबादी वाले भारत में अभी भी महिलाओं का एक बड़ा वर्ग पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन व्यतीत करता है, जिसमें घूंघट पहनना भी शामिल है।

    बोले, यह सिर्फ़ बिहार की बात नहीं है। इसका असर पूरे देश में महसूस किया जा रहा है। जिस तरह से एसआईआर लागू किया जा रहा है, वह विपक्ष को निशाना बनाकर चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा लगता है। हम मांग करते हैं कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और तटस्थ रहे और यह सुनिश्चित करे कि वह जो भी नीति अपनाए, वह सिर्फ़ किसी खास समुदाय या राजनीतिक समूह पर ही नहीं, बल्कि हर नागरिक पर समान रूप से लागू हो।