क्यों मनाई जाती है ईद ए मिलादुन्नबी, क्यों कहते हैं बारावफात
ईद और बकरीद के अलावा भी मुस्लिमों का एक मुख्य त्योहार है जिसे ईद ए मिलादुन्नबी कहा जाता है। ये मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है।
सम्भल, जेएनएन: ईद और बकरीद के अलावा भी मुस्लिमों का एक मुख्य त्योहार है, जिसे ईद ए मिलादुन्नबी कहा जाता है। ये मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रवि उल अव्वल की 12 तारीख को मनाएं जाने वाले इस त्योहार की अपनी अहमियत है। इस दिन आखिरी नबी और पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म हुआ था। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग जश्न मनाते हैं। मिठाइयां बांटने के साथ ही जुलूस निकालते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल की वजह से जुलूस नहीं निकलेंगे। लोग घरों के रहकर इबादत करेंगे।
इसलिए मनाते हैं ईद ए मिलादुन्नबी
हाफिज फैजान ने बताया कि ईद मिलादुन्नबी इस्लाम के इतिहास का सबसे अहम दिन माना जाता है। पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म इस तीसरे महीने के 12 वें दिन हुआ था। इस दिन को मनाने की शुरुआत मिस्त्र से 11वीं सदी में हुई थी। फातिमिद वंश के सुल्तानों ने इसे मनाना शुरू किया। पैगंबर के इस दुनिया से जाने के चार सदियों बाद इसे त्योहार की तरह मनाया जाने लगा। इस मौके पर लोग रात भर जागते हैं और मस्जिदों में कुरान और दीन की तालीम का जिक्र किया जाता है। मिलादुन्नबी के साथ इसलिए कहते हैं बारावफात
हाफिज हारिस ने बताया कि ईद मिलादुन्नबी के साथ-साथ इस दिन को बारावफात भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के साथ वफात भी हुई थी। रवि उल अव्वल के महीने में ही उन्होंने इस दुनिया को जाहिरी तौर पर अलविदा कह दिया था और इत्तेफाक से उनका जन्म भी आज ही के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को बारावफात के नाम से भी जाना जाता है।
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