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    Sambhal News : प्रशासन ने नहीं सुनी तो चंदा करके खुद बंदरों को पकड़वा रहे ग्रामीण, 20 साल से गांव में हैं वानरों का आतंक

    Updated: Mon, 14 Oct 2024 05:46 PM (IST)

    ब्लाक क्षेत्र के गांव असदपुर में बंदरों की बढ़ती संख्या और उनके आतंक से परेशान ग्रामीणों ने बंदर पकड़वाने के लिए खुद ही बीड़ा उठाया। बंदरों को पकड़ने के लिए उन्होंने गांव के हर घर में जाकर चंदा किया। चंदे से तीस हजार रुपये की रकम इकट्ठा हुई। इसके बाद ग्रामीणों ने मथुरा से बंदरों की पकड़ने वाली टीम से संपर्क किया।

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    परेशान ग्रामीणों ने खुद ही उठाया बंदरों को पकड़ने का बीड़ा

    बीरेंद्र पुरी, जुनावई। गांव असदपुर के ग्रामीणों ने घर-घर जाकर तीस हजार रुपये का चंदा इकट्ठा करके बंदरों को पकड़वाया। मथुरा से गांव पहुंची बंदर पकड़ने की टीम 150 बंदरों को पकड़कर ले गई और जंगल क्षेत्र में जाकर छोड़ दिया। हालांकि गांव में बंदरों का आतंक अभी भी बरकरार है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन को समस्या से निजात दिलाए जाने की मांग की जा चुकी है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने सुनवाई नहीं की।

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    ब्लाक क्षेत्र के गांव असदपुर में बंदरों की बढ़ती संख्या और उनके आतंक से परेशान ग्रामीणों ने बंदर पकड़वाने के लिए खुद ही बीड़ा उठाया। बंदरों को पकड़ने के लिए उन्होंने गांव के हर घर में जाकर चंदा किया। चंदे से तीस हजार रुपये की रकम इकट्ठा हुई। इसके बाद ग्रामीणों ने मथुरा से बंदरों की पकड़ने वाली टीम से संपर्क किया। टीम ने एक बंदर को पकड़ने के लिए 180 रुपये का खर्चा बताया।

    इस तरह पकड़ते हैं बंदरों को 

    पांच दिन पहले टीम गांव पहुंची और पिंजरा लगाकर बंदरों को पकड़ने के प्रयास में जुट गई। इसमें ग्रामीण भी सहयोग करते हैं। बंदर पकड़ने के लिए पहले छोटे पिंजरे में फल रखकर उसे खुला छोड़ देते हैं और छिपकर बैठ जाते हैं। जैसे ही बंदर फल खाने पिंजरे में पहुंचता है तो उसके ऊपर जाल डाल देते हैं।

    इस तरह पांच दिन में लगभग 150 बंदरों को पकड़ा जा चुका है। जिन्हें अमरोहा जनपद के बीहड़ इलाके में छोड़ रहे हैं। हालांकि बंदरों का आतंक अभी कम नहीं हुआ है। 150 के करीब बंदर अभी भी गांव में छिपे हुए हैं। उधर, ग्रामीणों ने जितना चंदा किया था, उसकी रकम 150 बंदरों को पकड़ने में ही खर्च हो गई। हालांकि अभी भी ग्रामीणों ने हार नहीं मानी है और दोबारा चंदा करके गांव को बंदर मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

    पिछले बीस वर्षों से गांव में आतंक मचा रहे हैं बंदर

    गांव में पिछले 20 वर्षों से बंदर आतंक मचा रहे हैं। हालांकि पहले बंदरों की इतनी संख्या नहीं थी। समय बीतने के साथ ही इनकी जनसंख्या इतनी हो गई कि गांव के हर घर में बंदरों के झुंड बैठे नजर आने लगे। पुरुषों के साथ महिलाएं और बच्चे इनसे भयभीत होने लगे। रात दिन बंदरों का झुंड एक घर से दूसरे घर में छलांग लगा रहे हैं।

    ग्रामीणों का कहना है कि बंदरों के डर से हम किसी मेहमान को घर नहीं बुला पाते हैं। क्योंकि गली मुहल्लों, चौराहों और घरों के बाहर बैठे बंदरों के झुंड ने परेशान करके रख दिया है।अब सभी ग्रामीणों के सहयोग से चंदा हुआ है तो उम्मीद है कि इन्हें बंदरों से निजात मिलेगी।

    केस- 1

    28 सितंबर को गांव निवासी सुधीर का छह वर्षीय बेटा विराट छत पर खड़ा था। बंदर ने उसपर झपट्टा मारा तो वह छह से सड़क पर गिर गया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।

    केस- 2

    2 अक्टूबर को गांव निवासी ही मटरू की 65 वर्षीय पत्नी पार्वती घर के बाहर खड़ी थीं। अचानक एक बंदर आया और उनपर हमला कर घायल कर दिया। वह अभी भी अपना उपचार करा रही हैं।

    ग्राम पंचायत स्तर पर भी बंदरों को पकड़ने के लिए कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। अगर कोई प्रावधान होता तो कार्रवाई की जाती।

    नरेश कुमार, खंड विकास अधिकारी, गुन्नौर

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