'मजहब के खिलाफ शब्द, इसलिए हम नहीं गाएंगे वंदेमातरम', संभल के सांसद जियाउर्रहमान का बयान
संभल के सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वंदे मातरम् का विरोध करते हुए कहा कि इसमें उनके धर्म के खिलाफ शब्द हैं। उन्होंने राष्ट्रगान का सम्मान करने की बात कही, लेकिन वंदे मातरम् को गाने से इनकार कर दिया। उन्होंने 1986 के केरल केस में उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी को भी यह गीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

सांसद जियाउर्रहमान बर्क। जागरण
जागरण संवाददाता, संभल। सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने वंदे मातरत को डेढ़ सौ साल पूरे होने के सवाल पर कहा कि इस गीत के खिलाफ हमारे दादा डा. शफीकुर्रहमान बर्क भी थे और हम भी हैं। वंदे
मातरम में हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं। इसलिए हम इस गीत को नहीं गाएंगे। बोले, हम राष्ट्रगान का पूरा सम्मान करते हैं और उसका गान भी करते हैं। वंदे मातरम कोई गान नहीं बल्कि गीत है।
वंदे मातरत को डेढ़ सौ साल पूरे होने पर मीडिया के सवाल पर बोले संभल के सांसद जियाउर्रहमान
दीपा सराय स्थित अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद ने कहा कि वंदे मातरम को गाने के लिए कोई भी किसी को बाध्य नहीं कर सकता है। हमारा मजहब सिर्फ एक अल्लाह की इबादत करने की इजाजत देता है, इसलिए वे किसी अन्य स्थान को सजदा नहीं कर सकते हैं। ये मैं या हमारा संविधान नहीं बल्कि 1986 में केरल केस में जब बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था, उस समय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि वंदे मातरम के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है।
दादा ने भी किया था वंदे मातरम का विरोध
बता दें कि सांसद के दादा डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने भी स्वयं सांसद रहते हुए संसद में वंदे मातरम का विरोध किया था और सदन छोड़कर बाहर चले गए थे। उसी बात का समर्थन अब उनके पौत्र सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने किया है।

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