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    आखिरकार 2670 करोड़ में यारा की हुई टीएलसी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 14 Jan 2018 11:30 PM (IST)

    सम्भल : बबराला में कई दशक पुरानी टाटा की टीएलसी कंपनी आखिरकार 11 अगस्त 2016 को बिकने

    आखिरकार 2670 करोड़ में यारा की हुई टीएलसी

    सम्भल : बबराला में कई दशक पुरानी टाटा की टीएलसी कंपनी आखिरकार 11 अगस्त 2016 को बिकने के बाद मकर संक्रांति के दिन पूरी तरह से नार्वे के यारा की हो गई। 2670 करोड़ रुपये के इस सौदे की नींव 11 अगस्त को मुंबई में उस समय हो गई थी जब टाटा ने अपने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मी¨टग में कई कंपनियों के साथ इसका भी सौदा कर दिया था। 12 अगस्त को जागरण ने इस प्रक्रिया को प्रमुखता के साथ उठाया भी था। बिकने के तकरीबन 17 माह बाद मकर संक्रांति को यारा के जिम्मेदारों ने टीसीएल को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। कागजी प्रक्रिया में लगा यह लंबा समय अब समाप्त हो चुका है। कागजों के आदान प्रदान के बाद एक बात तो पूरी तरह से स्पष्ट है कि टीसीएल के कर्मचारियों पर कोई आंच नहीं आएगी और पूर्व की तरह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहेंगे।

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    सम्भल के बबराला स्थित टीसीएल टाटा केमिकल लिमिटेड को नार्वे की यारा इंटरनेशनल कंपनी ने इसे 2670 करोड़ रुपये में खरीद लिया। 19 साल पहले टाटा ने गुन्नौर तहसील के बबराला में खाद फैक्ट्री डाली थी। यहां रैक के लिए रेलवे लाइन के साथ ही पूरा शहर बसा हुआ है। टीएलसी के नाम से इस फैक्ट्री परिसर में स्कूल कालेज, बाजार, सिनेमाहाल, गेस्ट हाउस, खेल मैदान, मैरेज हाल, आफिसर्स आवास, पार्क, पेट्रोल पंप सहित सभी सुख सुविधा से सुसज्जित है। इस फैक्ट्री में तकरीबन आठ सौ से अधिकारी व कर्मचारी कार्य भी करते हैं। इसके अलावा परिसर में ही राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध डीएवी पब्लिक स्कूल भी संचालित हैं जिसमें 1200 से अधिक बच्चे भी अध्ययनरत हैं। कंपनी के बिकने की जानकारी होने के बाद यहां असमंजस की स्थिति बन गई। टीएलसी को नार्वे के यारा इंटरनेशनल ने 26 अरब 70 करोड़ में खरीदा है। अब नार्वे की कंपनी इस पुराने कंपनी को ही विस्तार देगी या उसकी कोई अन्य योजना है इस बारे में कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। टीसीएल के प्रशासनिक अधिकारी आरएन राय कहते हैं कि प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। कंपनी का हस्तांतरण पूरी तरह से हो चुका है। नार्वे के यारा कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी यहां का दौरा कर प्रक्रिया को पूरी तरह से विराम दे दिया है। 17 माह पहले यह बिकी और अब इसका हस्तांतरण हो चुका है।

    गुगल ने बिकने की खबर को दी थी प्राथमिकता

    टाटा की टीएलसी के बिकने की खबर गुगल पर भी सत्रह माह पहले लोड कर दी गई थी। 11 अगस्त 2016 को जैसे ही कंपनी ने इसकी पूरी जानकारी गुगल पर डाल दी तो चीजें क्लीयर हो गईं। यारा कंपनी की पूरी डिटेल के साथ ही खरीद के सौदे को भी सार्वजनिक किया गया था।

    मंदी के कारण लिया गया था फैसला

    गुगल पर पड़ी रिपोर्ट के हवाले से यह तथ्य प्रकाश में आया था कि मुंबई में निदेशक मंडल ने मंदी को देखते हुए यह फैसला लिया है। कंपनी के निदेशकों की मुंबई में हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है। इसकी पूरी जानकारी को कंपनी के अधिकारियों ने गुगल पर ही अपलोड कर विश्व को इसकी जानकारी दे दी थी।