Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आटा गांव में 1.5 महीने में दो दर्जन से अधिक बंदरों की मौत, DM राजेंद्र पैंसिया ने रहस्य खाेलने के लिए बनाई टीम

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:57 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के संभल जिले के आटा गांव में दो दर्जन से अधिक बंदरों की रहस्यमय मौत की जांच के लिए वन विभाग और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीम पहुंची। जिलाध ...और पढ़ें

    Hero Image

    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, चंदौसी। आटा गांव में बीते डेढ़ माह से दो दर्जन से अधिक बंदरों की रहस्यमय तरीके से मौत हो चुकी है। बीते 19 दिसंबर को भी गांव में चार बंदरों के शव मिले थे। मामले में संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने वन विभाग और पशुपालन विभाग की संयुक्त टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद सोमवार को दोनों विभागों की टीमों ने गांव पहुंचकर लोगों से जानकारी ली। इसके साथ ही उनसे सहयोग की अपील भी की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दो दर्जन से अधिक बंदरों की हो चुकी मौत का मामला


    पंचायत घर में बातचीत के दौरान मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया कि इससे पहले भी बंदरों की मौत की सूचना पर विभाग की टीम ने गांव का निरीक्षण किया था, लेकिन तब कोई भी बंदर मृत नहीं मिला था। बाद में कुछ बंदर पूरी तरह सूखी अवस्था में मिले थे, जिनका पोस्टमार्टम कराना संभव नहीं था। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि यदि आगे कोई बंदर मृत मिले तो उसे न छुएं और न ही जमीन में दफनाएं। शव पर कपड़ा डालकर सुरक्षित रखें और तत्काल पशुपालन विभाग को सूचना दें। विभाग स्वयं आकर शव को ले जाएगा और जांच कराएगा।

    विभाग को दें इसकी जानकारी

    डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव से भी कहा कि वे मामले को दबाएं नहीं, बल्कि विभाग को जानकारी दें, तभी किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा। वहीं डिप्टी सीवीओ अजय कुमार ने बताया कि गांव में पशुओं की जांच के लिए विभाग की ओर से कैंप भी लगाया गया। इसमें 14 ग्रामीणों ने अपने पशुओं का इलाज कराया। इस मौके पर नरौली के पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अवधेश पटेल, वन विभाग के दो वन दरोगा और गांव के कई प्रमुख लोग मौजूद रहे।

    ई बंदरों में मिले थे ये लक्षण

    गौरतलब है कि नवंबर माह में गांव के मंदिर परिसर, खंडहरों, खाली प्लाटों और जंगल की ओर कई बंदरों के शव मिले थे। कई बंदर मौत से पहले नशे या गंभीर बीमारी जैसी अवस्था में दिखाई दिए थे। कुछ बंदरों और उनके बच्चों में तेज बुखार, सुस्ती और खाना-पीना छोड़ देने के लक्षण भी सामने आए थे। ग्रामीणों ने मानवीय आधार पर मृत बंदरों को दफन कर दिया था। इस संबंध में कई बार पशुपालन विभाग और ग्राम प्रधान को सूचना दी गई, लेकिन हर बार टीम मौके पर पहुंचकर सब कुछ सामान्य बताकर लौट जाती रही।

    शुक्रवार को एक बार फिर बंदरों के शव मिलने के बाद मामला तूल पकड़ गया। इसके बाद जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने प्रकरण का संज्ञान लेते हुए वन विभाग और पशुधन विभाग की संयुक्त टीम गठित कर पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।