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    सरकारी विभागों में लग रहे निजी वाहन, लाखों के कर की मार, अधिकारियों के लिए चल रहीं 50 से अधिक गाड़ियां

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 04:38 PM (IST)

    संभल जिले में सरकारी विभागों में निजी वाहनों का उपयोग कर कर चोरी हो रही है। राजस्व विकास विभाग समेत कई विभागों में 50 से ज्यादा निजी वाहन चल रहे हैं जिससे सरकार को लाखों का नुकसान हो रहा है। वाणिज्यिक वाहनों की जगह निजी वाहनों का इस्तेमाल हो रहा है। परिवहन विभाग ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।

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    सरकारी विभागों में लग रहे निजी वाहन, लाखों के कर की मार

    जागरण संवाददाता, संभल। जनपद में ट्रांसपोर्टरों और विभागों की मिलीभगत से वाहनों के संचालन में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है। नियमों के विपरीत कई विभागों में कामर्शियल वाहनों के नाम पर निजी वाहन चलाए जा रहे हैं, जिससे शासन को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है।

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    विकास विभाग के अधिकारी जैसे खंड विकास अधिकारी या अन्य अधिकारियों के लिए कामर्शियल वाहन की जगह निजी वाहनों का जमकर प्रयोग हो रहा है। राजस्व विभाग के अधीन एसडीएम, डिप्टी कलक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार समेत अधिकारियों के अधीन 22 वाहन संचालित हो रहे हैं, जिनमें अधिकतर बोलेरो हैं और इनमें ज्यादातर वाहनों पर सफेद नंबर प्लेट लगी हुई हैं, जो दर्शाता है कि ये निजी वाहन हैं। क्यों नियमानुसार कामर्शियल वाहनों पर पीली नंबर प्लेट होती है।

    सरकारी विभागों में कांट्रैक्ट के आधार पर कामर्शियल वाहनों का ही अनुबंध कर प्रयोग होना चाहिए, लेकिन ट्रांसपोर्टरों के खेल के चलते निजी वाहनों का प्रयोग कर किराया का भुगतान कामर्शियल दर से हो रहा है।

    इस प्रकार के वाहन विकास विभाग के अंतर्गत समाज कल्याण विभाग, परियोजना निदेशक डीआरडीए, जिला पूर्ति अधिकारी, पंचायत राज अधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, जल निगम, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और लोक निर्माण विभाग समेत कई अधिकारियों के अधीन चल रहे हैं।

    विकास विभाग के अधीन ही करीब 20 से अधिक वाहन हैं, जिनमें गिने-चुने ही कामर्शियल हैं, बाकी निजी वाहन ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से किराए पर रखे गए हैं। इन पर तकरीबन 30 हजार रुपये प्रति माह या इससे ज्यादा का भुगतान किया जाता है और डीजल का खर्च भी विभागीय खाते से वहन किया जाता है, जबकि कागजों में इस पूरे खेल की तस्वीर कुछ और दिखाई जाती है।

    विभागों की ओर से सफाई यह दी जाती है कि निविदा के समय कामर्शियल वाहन वाले ट्रांसपोर्टर नहीं आते, लिहाजा मजबूरी में निजी वाहन किराए पर लिए जाते हैं।

    सरकारी ठप्पा लगाकर दौड़ रहीं निजी गाड़ियां

    जिले में वीआइपी कल्चर का असर तेजी से बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में निजी वाहन मालिक अपनी गाड़ियों पर उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार लिखवाकर सड़क पर दौड़ा रहे हैं। इन वाहनों पर हूटर, सायरन और मोडिफाइड उपकरण तक लगाए गए हैं, जो कि नियमानुसार गलत है।

    आगरा-मुरादाबाद नेशनल हाईवे से लेकर प्रमुख लिंक मार्गों पर तमाम बोलेरो और अन्य गाड़ियां मिल जाएंगी, जो कभी किसी बड़े अधिकारी के यहां किराये पर चली थीं, लेकिन अब निजी उपयोग में होने के बावजूद उन पर आज भी सरकारी ठप्पा लगा है।

    कांट्रैक्ट के आधार पर विभाग में वाहन चलाने के लिए सिर्फ कामर्शियल वाहन ही अनुमन्य होते हैं निजी वाहन नहीं। निजी वाहनों पर उत्तर प्रदेश सरकार या भारत सरकार लिखना, हूटर और सायरन लगाना नियम विरुद्ध है। यह प्रवृत्ति गलत है और इसके लिए जुर्माने और वाहन सीज तक की कार्रवाई का प्रविधान है। परिवहन विभाग जल्द ही विशेष अभियान चलाकर ऐसे वाहनों की पहचान करेगा और उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। पूर्व में भी ऐसे वाहनों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है।

    -अमिताभ चतुर्वेदी, एआरटीओ, संभल।