संभल हिंसा काे बीता एक साल, अब तक हो चुकी हैं 130 गिरफ्तारियां, तस्वीर वाले 74 उपद्रवी अब भी पुलिस की पकड़ से दूर
संभल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा को एक साल हो गया है। पुलिस ने 130 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन पोस्टर में दिखने वाले 74 उपद्रवी अभी भी फरार हैं। पुलिस ने वीडियो फुटेज से उनकी पहचान की थी, लेकिन वे अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं। माना जा रहा है कि हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ था, जिनकी पहचान अभी बाकी है।

संवाद सहयोगी, संभल। जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा को एक वर्ष बीत गया, लेकिन पुलिस अभी तक उन 74 उपद्रवियों तक नहीं पहुंच सकी है, जिनके पोस्टर घटना के तुरंत बाद शहरभर में चस्पा किए गए थे। मामले में अब तक 130 आरोपित जेल भेजे जा चुके हैं, कुछ जमानत पर बाहर आ भी गए हैं, लेकिन पोस्टर वाले मुख्य साजिशकर्ता पुलिस के लिए अब भी पहेली बने हुए हैं। पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी है।
दरअसल, 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा को पूरा एक वर्ष हो चुका है। इस अवधि में पुलिस ने कठोर कार्रवाई करते हुए 12 प्राथमिकी दर्ज की थीं, जिनमें सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित 37 नामजद और करीब 3750 अज्ञात आरोपितों को शामिल किया गया। अब तक 130 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जिनमें से 23 आरोपित जमानत पर बाहर भी आ चुके हैं।
इसके बावजूद हिंसा भड़काने में अहम भूमिका निभाने वाले 74 उपद्रवी, जिनकी तस्वीरें पोस्टरों में जारी की गई थीं। आज भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। घटना के तुरंत बाद पुलिस ने वीडियो फुटेज, ड्रोन कैमरा और सीसीटीवी की मदद से सैकड़ों लोगों की पहचान की थी। इन्हीं फुटेज के आधार पर 74 संदिग्ध उपद्रवियों के पोस्टर तैयार कर शहर के चौराहों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए थे।
पुलिस ने लोगों से अपील भी की थी कि कोई भी व्यक्ति इन उपद्रवियों के बारे में सूचना देगा तो उसकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी। इसके बावजूद एक वर्ष बाद भी ये सभी उपद्रवी फरार हैं। पोस्टरों में दिखाई देने वाले सभी चेहरे बाहरी जिलों और अन्य राज्यों के हैं।
सूत्रों के मुताबिक इन्हीं बाहरी लोगों पर हिंसा फैलाने की मुख्य साजिश का आरोप है। घटना से एक दिन पहले ही कई संदिग्ध रात के समय शहर में पहुंचे और योजनाबद्ध तरीके से अगले दिन माहौल बिगाड़ने की तैयारी की। फुटेज में दिख रहे दाढ़ी वाले एक प्रमुख संदिग्ध की पहचान भी अब तक नहीं हो सकी है, जो हिंसा बीतने के एक वर्ष बार भी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

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