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    संभल हिंसा का एक साल: 365 दिनों में क्या-क्या बदला? 35 आरोपियों को मिल चुकी जमानत

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 08:49 PM (IST)

    संभल में हरिहर मंदिर-जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा की वर्षगांठ पर सुरक्षा कड़ी रही। शहर में हाई अलर्ट रहा और 224 कैमरों से निगरानी की गई। पुलिस और प्रशासन ने गश्त की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। पिछले साल हुई हिंसा के बाद पुलिस ने कई मुकदमे दर्ज किए थे और गिरफ्तारियां भी हुई थीं। शहर में सामान्य जनजीवन चलता रहा।

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    जागरण संवाददाता, संभल । हरिहर मंदिर बनाम जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा को एक साल पूरा हो गया है। इसको लेकर शहर में सुरक्षा बंदोबस्त रही। पूरे शहर में हाई अलर्ट रहा और जिले भर के अफसर खुद सड़कों पर उतरे और हालात पर बारीकी से निगाह बनाए रखी। 224 सीसीटीवी कैमरों से शहर की हर गतिविधियों पर निगरानी जारी है। खुफिया तंत्र भी हर संदिग्ध व्यक्ति पर नजर बनाए हुए है। संवेदनशील इलाकों में पुलिस की गश्त बढ़ गई है। प्रशासन ने पूरे शहर से आपसी सौहार्द के साथ रहने की अपील भी की।

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    बता दें कि 19 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद में एडवोकेट कमीश्नर सर्वे के लिए पहुंच थे। हालांकि वहां भीड़ एकत्र हो गई थी और सर्वे अधूरा छोड़ टीम वहां से चली गई थी। सर्वे पूरा करने के लिए टीम 24 नवंबर 2024 की सुबह सात फिर जामा मस्जिद पहुंची थी, लेकिन इस बार भीड़ बेकाबू हाे गई थी और हिंसा भड़क गई थी। इसमें उपद्रवियों ने पुलिस और अधिकारियों पर पथराव करने के साथ ही फायरिंग और वाहनों में आग लगा दी थी।

    पथराव व फायरिंग में 25 से अधिक पुलिस के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी घायल हुए थे। पुलिस ने सात मुकदमे दर्ज किए। जिनमें करीब 3750 अज्ञात व 37 नामजद आरोपियों को चिह्नित किया गया था। इनमें जामा मस्जिद इतंजामिया कमेटी के अध्यक्ष जफर अली, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल सहित कई नाम शामिल हैं।

    पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी की गठन किया था। हिंसा वाले क्षेत्र से पाकिस्तान और अन्य विदेशी कारतूस बरामद हुए थे। वहीं लखनऊ से भी न्यायिक आयाेग की टीम ने चार बार संभल पहुंचकर हिंसा प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया था और लोगों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए थे। 24 मार्च को एसआईटी की पूछताछ के बाद जफर अली को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

    अब तक 133 आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। जबकि जफर अली समेत 35 आरोपित जमानत पर बाहर आ गए हैं। विवेचना में विधायक पुत्र सुहैल इकबाल का नाम बाहर हो गया है, जिसकी पुष्टि पुलिस ने भी की। अब ठीक एक साल पूरा होने पर सोमवार को पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क नजर आया। पुलिस के साथ ही पीएसी और आरआरएफ के जवान हर चौराहे, बाजार और भीड़भाड़ वाले मार्गों पर तैनात रहे।

    जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। दोनों अधिकारी सुबह से ही पुलिस बल के साथ शहर में मौजूद रहे। चौधरी सराय पुलिस चौकी से पैदल मार्च करते हुए उन्होंने शंकर चौराहा, अस्पताल चौराहा, अर्जेटी तिराहा, आर्य समाज रोड, खग्गू सराय, नखासा चौराहा, एकता पुलिस चौकी, सर्राफ बाजार, नगर कोतवाली, डाक खाना, टंडन तिराहा के साथ जामा मस्जिद रोड से होते हुए सत्यव्रत पुलिस चौकी पर पहुंच गए।

    यहां पर अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। सीसीटीवी कंट्रोल रूम से हर हलचल पर नजर रखी गई। अधिकारियों ने थाना प्रभारियों को निर्देश दिया कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जाए और इंटरनेट मीडिया की निगरानी भी बढ़ाई जाए।

    अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से संवाद भी किया और शांति बनाए रखने की अपील की। इस दौरान उनके साथ एडीएम प्रदीप वर्मा, सिटी मजिस्ट्रेट सुधीर कुमार सोनी, सीएमओ डा. तरूण पाठक, एसडीएम रामानुज, एएसपी कुलदीप कुमार, ईओ डा. मणिभूषण तिवारी, सीओ आलोक भाटी, सीओ कुलदीप सिंह, हजरतनगर गढ़ी थाना प्रभारी अनुज तोमर, कोतवाल गजेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

    जगह-जगह पुलिस के साथ पीएसी और आरआरएफ के जवान रहे मुस्तैद
    पिछली हिंसा की घटना को लेकर शहर अभी भी संवेदनशील श्रेणी में माना जाता है, इसलिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए सामान्य दिन से दोगुना बल लगाया। कई मार्गों पर रुक-रुककर चेकिंग अभियान भी संचालित किया गया। वाहनों की तलाशी ली गई और बाहरी जिलों से आने-जाने वालों पर विशेष ध्यान दिया गया।

    सुरक्षा के बीच शहर की सामान्य दिनचर्या भी चलती रही। दुकानें खुली रहीं, बाजारों में लोगों की आवाजाही बनी रही और व्यवसायिक गतिविधियां सामान्य रूप से संचालित होती रहीं। दिनभर शहर का माहौल शांत रहा और कहीं भी किसी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली।