रिश्तों के वेश में आए थे 'हैवान': पहले आबरू लूटी, फिर तेल छिड़क कर फूंक दिया... रूह कंपाने वाला सच!
संभल के रजपुरा कांड में 7 साल बाद ऐतिहासिक न्याय! 2018 में महिला से सामूहिक दुष्कर्म और जिंदा जलाकर हत्या के मामले में चंदौसी कोर्ट ने 4 दोषियों को उम ...और पढ़ें

यहीं पर हुई थी घटना
शिवकुमार कुशवाहा, जागरण, बहजोई। आधी रात का सन्नाटा, खेतों के बीच बना अकेला घर और मदद के लिए तड़पती एक महिला...यही वह खौफनाक मंजर था, जिसने उस रात इंसानियत को शर्मसार कर दिया था। रिश्तों की आड़ में घर में घुसे हत्यारोपितों ने पहले अस्मिता को कुचला और फिर साक्ष्य मिटाने के लिए झोपड़ी में आग के हवाले कर दिया था। महिला फोन पर मदद की गुहार लगाती रही, नाम गिनाती रही, जिंदा जलाए जाने का डर जताती रही, लेकिन अंधेरे में उसकी आवाज कहीं नहीं पहुंच सकी।
झोपड़ी में लगी आग सिर्फ एक शरीर को नहीं जला रही थी बल्कि उस समय की सामाजिक संवेदनहीनता और भय की चुप्पी को भी उजागर कर रही थी। अब सात वर्ष पांच माह और चार दिन के लंबे अंतराल के बाद चंदौसी न्यायालय की ओर से आधी रात में दरिंदगी और जिंदा जलाकर की गई महिला की हत्या के मामले में पांच में से चार आरोपितों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है लेकिन इस पूरे वारदात का खौफनाक सच आज भी रूह कंपा देता है।
पुलि स ने नहीं उठाई काल
दरअसल, जनपद के रजपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव में 13 जुलाई 2018 की रात्रि करीब 2.45 बजे घटित हुई वारदात ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया था। खेतों के बीच बने मकान में अपने 12 वर्षीय बेटे और 8 वर्षीय बेटी के साथ रह रही महिला के घर रिश्ते का जेठ महावीर और उसके चार भतीजे जबरन घुस आए। आरोपितों ने महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। घटना के बाद महिला ने सबसे पहले मदद के लिए डायल 100 (अब 112) पर फोन मिलाया, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई।
पति से भी नहीं हुआ संपर्क
इसके बाद उसने अपने पति को फोन करने का प्रयास किया, जो मजदूरी के लिए बाहर गया हुआ था, लेकिन वहां भी संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद महिला ने अपने ममेरे भाई को फोन किया और रोते-सिसकते हुए पूरी आपबीती बताई। बातचीत के दौरान महिला ने स्पष्ट रूप से आरोपितों के नाम लिए और यह भी कहा कि वे लोग उसे जिंदा जलाने की धमकी देकर गए हैं। ममेरे भाई ने उसे दोबारा डायल 100 मिलाने को कहा, लेकिन महिला ने बताया कि फोन नहीं उठ रहा है।
मंदिर में लगाई आग
कुछ ही देर बाद आरोपित दोबारा लौटे और महिला को घर से करीब 20 मीटर दूर मंदिर के पास स्थित झोपड़ी नुमा कमरे में खींचकर ले गए। वहां बने हवन कुंड के पास महिला को बंद कर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी गई। भोर के समय मायके पक्ष के लोग मौके पर पहुंचे तो झोपड़ी जल रही थी। करीब पौन घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई गई, जिसके बाद अंदर महिला का जला हुआ शव मिला।मौके से केरोसिन की खाली केन बरामद हुई।
मंत्रियों और अधिकारियों ने भी किया था दौरा
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, जहां तीन चिकित्सकों के पैनल ने वीडियोग्राफी के साथ पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की मौत जलने से होना स्पष्ट हुआ और सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि के लिए स्लाइड तैयार कर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजी गई थी। हालांकि घटना के बाद राज्य मंत्री गुलाब देवी, एडीजी प्रेम प्रकाश, डीआईजी मुरादाबाद गुन्नौर विधायक अजीत कुमार उर्फ राजू यादव के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों के द्वारा गांव में घटनास्थल का दौरा किया गया था, जिसमें महिला आयोग की सदस्य भी मौके पर पहुंची थी।
रिकार्डिंग बनी सबसे बड़ा सबूत
घटना के अगले दिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे कई अहम तथ्य सामने आते चले गए। सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य महिला और उसके ममेरे भाई के बीच हुई वह फोन रिकार्डिंग बनी, जिसमें महिला ने सामूहिक दुष्कर्म की बात कहते हुए आरोपितों के नाम लिए थे और जिंदा जलाए जाने की आशंका जाहिर की थी। इस रिकार्डिंग ने पूरे मामले की दिशा तय कर दी।
यदि यह साक्ष्य सामने न आता तो हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की जा सकती थी। पुलिस ने महिला की आठ वर्षीय मासूम बेटी का बयान भी दर्ज किया, जिसने बताया कि रात में कुछ लोग घर आए और उसकी मां को बहाने से बाहर ले गए। यह बयान विवेचना के लिए बेहद अहम साबित हुआ। गांव में भय और सन्नाटे का माहौल रहा। अधिकांश ग्रामीण खुलकर बयान देने से बचते नजर आए।
पीड़ित परिवार ने सवाल उठाया कि यदि डायल 100 से समय पर मदद मिल जाती तो महिला की जान बच सकती थी। पुलिस ने काल डिटेल निकलवाने की प्रक्रिया शुरू की और यह जांच का विषय बना कि महिला की काल डायल 100 तक पहुंची थी या नहीं। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल पुलिस व्यवस्था बल्कि आपातकालीन सहायता प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
सीएम ने कप्तान को किया था निलंबित
उस समय प्रदेश के अलग-अलग स्थान पर हुई दुष्कर्म की वारदात को लेकर पुलिस और सरकार पहले ही बैक फुट पर थी तो संभाल के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की ओर से इस पूरे प्रकरण में पुलिस इसे सिर्फ हत्या के रूप देने की कोशिश की गई थी जिसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राधे मोहन भारद्वाज ने रजपुरा थाने में बैठकर एक बयान दिया कि महिला के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ है बल्कि उसकी हत्या की गई है। जिस पर जांच चल रही है।
हालांकि जैसे ही महिला की उसके ममेरे भाई से हुई बातचीत की काल रिकार्डिंग इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई तो पुलिस के पास कोई जवाब नहीं रहा और इसकी शिकायत शासन में पहुंची, जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा समीक्षा की गई और उन्होंने तत्काल प्रभाव से तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को निलंबित कर दिया था, हालांकि इससे पहले पुलिस अधीक्षक ने रजपुरा के थाना प्रभारी रहे निरीक्षक वरुण कुमार को लाइन हाजिर कर दिया था।
इससे पहले टीसीएल के चौकी प्रभारी वीरेंद्र सिंह के अलावा कांस्टेबल बसंत कुमार और हेमपाल को भी लाइन हाजिर किया गया था। तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने गांव पहुंचकर घटनास्थल का निरीक्षण किया था और पीड़ित परिवार से बातचीत की थी। उन्होंने सबसे पहले यह सूचना दी थी कि प्रारंभिक स्तर पर लापरवाही और गिरफ्तारी में देरी के आरोपों के चलते टीसीएल चौकी इंचार्ज और दो बीट कांस्टेबलों को लाइन हाजिर किया गया।
जिंदा जलाने का ममेरा भाई को नहीं था अंदेशा
इस वारदात के बाद जैसे ही पुलिस अपनी जांच में जुटी थी तो कुछ तथ्य ऐसे सामने आए थे, जिसमें पूरी वारदात में आरोपितों का दबंगई का खौफ दिखा था। बताया गया कि महिला का पति अक्सर बाहर रहता था और महिला अब गांव का अपना घर छोड़कर जंगल में घर बना कर रहने लगी थी क्योंकि गांव में कुछ लोग उसे परेशान करते थे और धमकी देते थे।
जिस दिन उसके साथ वारदात हुई तो उसने सबसे पहले अपने सगे भाई को फोन लगाया था। उसकी फोन से संपर्क नहीं हुआ तो उसने डायल 100 को फोन लगाया था लेकिन दावा था कि काल रिसीव नहीं हुई और उसके बाद उसने अपने ममेंरे भाई को फोन किया था। जहां उसने सभी आरोपितों के नाम लेते हुए कहा कि इन लोगों ने उसकी बेज्जती की है और वह जिंदा जलाने के लिए कह रहे हैं।
ममेरे भाई को इस बात का अंदेशा नहीं था कि वह जिंदा जला देंगे और उसने तत्काल में कोई फिक्र नहीं की हालांकि कुछ घंटे के बाद मायके वाले और ममेरे भाई मौके पर पहुंचे तो घर में कोई नहीं मिला और वह जिंदा जलती हुई मिली थी।
बेटी की गवाही और आडियो रिकार्डिंग रही निर्णायक
एडीजीसी हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया इस जघन्य अपराध के खुलासे और दोष सिद्धि में पीड़ित द्वारा अपने ममेरे भाई को घटना के तत्काल बाद की गई काल की आडियो रिकार्डिंग ने अहम भूमिका निभाई। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता ने काल पर सामूहिक दुष्कर्म की पूरी आपबीती बताई थी, जो बाद में मुकदमे में एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गई।
यह आडियो रिकार्डिंग घटना के समय, स्थान और अपराध की प्रकृति पुष्ट करने में सफल रही, जिसे न्यायालय ने गंभीरता से संज्ञान में लिया।इसके साथ ही महिला की सात वर्षीय बेटी और ममेरे भाई की गवाही मुकदमे में निर्णायक साबित हुई। दोनों प्रत्यक्ष व परिस्थितिजन्य गवाहों ने न्यायालय के समक्ष घटनाक्रम का विस्तृत और सुसंगत विवरण प्रस्तुत किया।
विशेष रूप से बच्ची की गवाही को न्यायालय ने संवेदनशीलता और विधिक मानकों के अनुरूप दर्ज किया। अभियोजन पक्ष ने भौतिक साक्ष्यों के रूप में मृतका के जले हुए कपड़े, घटनास्थल से बरामद दो बिछुए, एक कुंडल, बालों के अवशेष, मृतका का मोबाइल फोन तथा अभियुक्तों के घटना के समय पहने गए कपड़े न्यायालय में प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी दाखिल की गई।
इससे मृत्यु के कारण और परिस्थितियों की पुष्टि हुई। जांच के दौरान अभियुक्तों के कपड़ों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया था। प्रयोगशाला की रिपोर्ट में कपड़ों पर सीमेन के निशान पाए गए, जिससे सामूहिक दुष्कर्म की वैज्ञानिक पुष्टि हुई। पुलिस द्वारा बरामद किया गया पीड़ित का मोबाइल फोन और उससे संबंधित इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी अभियोजन के पक्ष में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुए।
बाल अपचारी का मामला अलग
एडीजीसी ने बताया कि इस प्रकरण में एक नाबालिग भी शामिल था। घटना के समय उम्र कम होने के कारण उसकी पत्रावली अन्य चार आरोपितों से अलग कर दी गई थी। उसका मामला अब न्यायालय में अलग से विचाराधीन है। उसमें तीन साक्षियों की गवाही हो चुकी है। उसमें भी जल्द फैसला आ सकता है।
इन धाराओं में पाए गए दोषी और ये सुनाई गईं सजा
| धारा 147: | दंगा करने में दोषी- एक-एक साल की सजा और एक-एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। |
| धारा 148: | घातक हथियार से लैस होकर घटना करना- दो-दो साल की सजा और दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। |
| धारा 201: | अपराध के सबूतों को छिपाना और धारा 34: एक ही आपराधिक इरादे से कार्य करना में चार-चार हजार रुपये जुर्माना और चार-चार साल की सजा सुनाई है। |
| धारा 302: | हत्या और धारा 149: गैरकानूनी सभा के सदस्य द्वारा अपराध मामले में आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। |
| धारा 376डी: | सामूहिक दुष्कर्म में आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। |
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