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    यूपी में डिजिटल जनगणना से पहले तय होंगी गांव के नगरीकरण सीमाएं, सर्वे की तैयारियां शुरू

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 05:07 PM (IST)

    संभल जिला प्रशासन डिजिटल जनगणना से पहले गांव और नगर की सीमाओं को स्पष्ट करने में जुटा है। इसका उद्देश्य यह तय करना है कि कौन सा गांव किस नगर की सुविधा ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, संभल। डिजिटल जनगणना से पहले जिला प्रशासन गांव और नगर की व्यावहारिक सीमाओं को स्पष्ट करने में जुटा है ताकि यह तय हो सके कि कौन सा गांव किस नगर की सुविधाओं का लाभ ले रहा है और वास्तविक रूप से किस श्रेणी में आता है।

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    नगर सीमा में फैलते गांवों, नगरीकरण की स्थिति, नगर निकायों से जुड़े गांवों की पहचान और किस ब्लाक में कितना नगरीकरण हुआ है, इसका विस्तृत आंकलन किया जा रहा है। जनगणना के दौरान ग्रामीण और शहरी आबादी की वास्तविक रेखा तय होगी और नगरों के आसपास बसे गांवों का स्टेटस स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाएगा।

    दरअसल, भारत सरकार की ओर से जारी कार्यक्रम के अंतर्गत आगामी जनगणना को पूरी तरह डिजिटल स्वरूप में संपन्न कराने की दिशा में जनपद के जिला मुख्यालय पर तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

    जिला जनगणना अधिकारी एडीएम प्रदीप वर्मा के नेतृत्व में जनगणना कार्य से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का डाटा तैयार किया जा रहा है, ताकि 01 जनवरी 2026 से शुरू होने वाली जनगणना की प्रक्रिया को समयबद्ध और सुव्यवस्थित तरीके से पूरा किया जा सके।

    फिलहाल प्रारंभिक तैयारियों के तहत जिला प्रशासन को प्रत्येक ग्राम पंचायत, गांव, नगर पंचायत और नगर पालिका से जुड़े अद्यतन आंकड़े संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस प्रारंभिक कवरेज में यह स्पष्ट किया जा रहा है कि कितने गांव ऐसे हैं जिनकी आबादी नगर निकायों के नजदीक स्थित है और व्यवहारिक रूप से नगर निकाय की सुविधाओं का लाभ ले रही है।

    इसके साथ ही यह भी चिन्हित किया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कितना नगरीकरण हो चुका है, नगरों का विस्तार व्यावहारिक रूप में कहां तक फैल चुका है और किन-किन ब्लाक क्षेत्रों में कितने गांव नगरीकरण की सीमा में आ चुके हैं।

    प्रशासनिक स्तर पर यह अभ्यास इसलिए जरूरी माना जा रहा है ताकि डिजिटल जनगणना के दौरान ग्रामीण और शहरी आबादी का सही वर्गीकरण हो सके।

    केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 01 जनवरी 2026 से 31 मार्च 2027 के बीच प्रशासनिक दृष्टि से भौगोलिक सीमाओं का कोई फेरबदल नहीं किया जा सकेगा, अर्थात इस अवधि में गांव, नगर, तहसील, विकास खंड या अन्य प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में किसी भी प्रकार का बदलाव प्रतिबंधित रहेगा। इससे जनगणना के आंकड़ों की शुद्धता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सकेगी।

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 के बाद यह पहली बार है जब जनपद संभल में जनगणना कराई जाएगी, जबकि इसी वर्ष 2011 में जनपद का गठन हुआ था, जब बदायूं जिले की गुन्नौर तहसील और मुरादाबाद जिले की संभल व चंदौसी तहसीलों को मिलाकर जनपद संभल बनाया गया था।

    उस समय जनपद की जनसंख्या लगभग 21.92 लाख दर्ज की गई थी, जबकि वर्तमान अनुमान के अनुसार जनसंख्या 25 लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है।

    जनगणना को लेकर प्रारंभिक तैयारियां की जा रही हैं और 01 जनवरी 2026 से कार्य शुरू होगा। वर्तमान में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के व्यावहारिक विस्तार से जुड़े आंकड़े संकलित किए जा रहे हैं।

    तय अवधि में प्रशासनिक सीमाओं में कोई फेरबदल नहीं होगा, जिससे जनगणना के आंकड़े पूरी तरह सटीक और उपयोगी होंगे। प्रदीप वर्मा, एडीएम/ जिला जनगणना अधिकारी, संभल।

    2011 की जनगणना के अनुसार-

    • जनपद का कुल क्षेत्रफल 2453.30 वर्ग किमी 
    • कुल जनसंख्या- 21,92,933
    • पुरुष 11,61,093
    • महिला 10,31,840
    • अनुपात 1000: 889
    • गांवों की संख्या 1022
    • पंचायतों की संख्या 670
    • नगर पालिका 3
    • नगर पंचायत 8
    • तहसील - संभल, चंदौसी, गुन्नौर
    • ब्लाक 8
    • थानों की संख्या 21