'रिक्शे' वाला बयान... यूपी का वो शहर जहां पल-पल बदल रही सियासत, दिलचस्प होगा 2027 का चुनावी रण
संभल में राजनीतिक माहौल तेजी से बदल रहा है। जामा मस्जिद के सदर जफर अली के चुनाव लड़ने की घोषणा और विधायक इकबाल महमूद के बयान पर विवाद ने सरगर्मी बढ़ा दी है। 2027 का विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने की संभावना है, क्योंकि कई नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। असपा नेताओं ने जफर अली से मुलाकात कर उन्हें पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है।

सौरव प्रजापति, संभल। हिंसा का दंश झेलने वाले संभल शहर में अब हर रोज सियासत की नई कहानी लिखी जा रही है। क्योंकि यहां पर राजनीति करने वाले धुरंधर मौके को भांप कर खुद को चर्चा में लाने की जुगत में लग गए हैं। एक तरफ जहां जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर संभल शहर की सीट पर घमासान बढ़ाया है तो वहीं शहर विधायक इकबाल महमूद के रिक्शे वाले का बेटा, रिक्शा वाला ही रहेगा के बयान पर भी सियासी लोग उन्हें घेरने में लगे हुए हैं। बैनर छपवाकर सड़कों पर भी विरोध कर रहे हैं। अगर, हर रोज यहां की सियासत यूं ही बदलती रही तो आने वाले 2027 का विधानसभा चुनाव इस बार बड़ा दिलचस्प हो जाएगा।
10 अक्टूबर को विधायक इकबाल महमूद ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि कार्यक्रम में अपने बेटे सुहैल इकबाल को विधानसभा चुनाव के मैदान में उतारने का एलान कर दिया था, उन्हीं के एलान के बाद यहां की सियासी हवा बदलते हुए नजर आ रही है। यह हवा किस दिशा से चल रही है, ये तो अभी स्पष्ट नहीं लेकिन, अगर माहौल यूं ही चलता तो जिले की सबसे बड़ी हाट सीट संभल शहर ही बनेगी। क्योंकि यहां पर एलानिया राजनीति का दौर चल रहा है। शहर विधायक की घोषणा के बाद जामा
मस्जिद के सदर जफर अली ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। अगर, यह भी शहर की सीट से दांव लाएंगे तो सीधा नुकसान शहर विधायक को ही झेलना पड़ेगा। क्योंकि मुस्लिम मतदाताओं के बंटना का खतरा बढ़ जाएगा। खास बात यह है कि सियासत का यह क्रम 19 अक्टूबर को उसे समय और बढ़ गया जब शहर में सदर विधायक के खिलाफ रिक्शे वाले का बेटा रिक्शावाला ही बनेगा वाले बयान पर मुशीर खां तरीन ने रिक्शे वालों के साथ रैली निकाली।
हर रोज सियासी गलियारों में हो रहे इन घटनाक्रम से शहर विधायक की मुश्किलें आने वाले चुनाव को लेकर बढ़ती जा रही हैं। भले ही शहर विधायक अभी मीडिया से इन घटनाक्रमों को लेकर मुखातिब नहीं हुए हैं लेकिन, अंदरूनी रूप से इन प्रकरणों को लेकर अपनी राजनीति विरासत को लेकर चिंतित जरूर होने लगे हैं। बता दें कि सदर विधायक इकबाल महमूद लगातार सातवीं बार के विधायक है और सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री का ओहदा भी संभाला है।
जामा मस्जिद के सदर जफर अली से मिले असपा के लोग, सदस्यता ग्रहण करने पर चर्चा
जामा मस्जिद के सदर जफर अली द्वारा विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद राजनीति दलों के लोग उनके संपर्क में हैं। इस क्रम में असपा (आजाद समाज पार्टी) के पदाधिकारियों ने जफर अली से मुलाकात की है। इस मुलाकात में पार्टी के पदाधिकारियों ने उन्हें सदस्यता ग्रहण कराने की बात भी कहीं मगर, जफर अली ने फिलहाल इंकार कर दिया है।
जफर अली ने दैनिक जागरण से बताया कि चुनाव लड़ेंगे, किसी से नहीं रूकेंगे। बोले, यूं तो कई पार्टियां संपर्क में हैं मगर, अभी सिर्फ नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी के लाेग ही मिलने के लिए आ हैं। उसने शिष्टाचार भेंट हुई है। पार्टी की सदस्य नहीं ली है। अभी चुनाव में काफी समय भी है। इसलिए अभी कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगा। हां, ये निश्चिंत है कि चुनाव हरहाल में लड़ेंगे।
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