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    'दादा की फाइल दोबारा खोली जाए', संभल के डीएम से मिलने दिल्ली से आया परिवार, कहा- हटाई जाए अवैध मजार

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 02:08 PM (IST)

    दिल्ली से आए एक परिवार संभल के डीएम से मिला और अपने दादा की फाइल दोबारा खोलने की गुहार लगाई। उन्होंने एक अवैध मजार को हटाने की भी मांग की, जिससे उन्हें परेशानी हो रही है। परिवार का कहना है कि उनके दादा के साथ अन्याय हुआ था और उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए, इसलिए मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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    जागरण संवाददाता, संभल। संभल के मूलनिवासी और वर्ष 2005 में पलायन करने वाले वर्तमान में दिल्ली के उत्तम नगर में रह रहे कपिल रस्तोगी अपनी पत्नी सोनम रस्तोगी और बच्ची के साथ गुरुवार को बहजोई में डीएम डा. राजेंद्र पैंसिया से मिले, जिन्होंने अपने दादा राम शरण रस्तोगी की 1978 के दंगे में हुई निर्मम हत्या के मामले में एक शिकायती पत्र सौंपा।

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    उन्होंने बताया कि 29 मार्च 1978 को नखासा क्षेत्र में उनकी दुकान पर दंगाइयों ने हमला किया था। दुकान में लूटपाट, मारपीट और आगजनी हुई थी। विरोध करने पर दंगाइयों ने उनके दादा को चाकुओं से गोद-गोदकर हत्या कर दी और शव को तराजू के पल्लों से बांधकर सामने स्थित कुएं में फेंक दिया था। दंगा शांत होने के तीसरे दिन पुलिस द्वारा शव निकाले जाने पर शरीर पर अनेक चाकू घाव, पैरों में मेहले से टूटे निशान पाए गए थे।

    कपिल रस्तोगी ने डीएम को बताया कि हत्या के बाद उनके पिता ने मुकदमा अपराध संख्या 135/78, धारा 302, 201 आइपीसी 30- मार्च 1978 दर्ज कराया था, लेकिन उस समय किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई और न ही तत्कालीन शासन से कोई न्याय या आर्थिक सहायता मिल सकी।

    2005 में दंगाइयों की ओर से लगातार धमकियां मिलने पर उनके पिता को परिवार सहित संभल से पलायन करना पड़ा। 2018 में उनके पिता का निधन हो गया और आज भी परिवार को भय व अन्याय की टीस बनी हुई है।

    उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संबंध में उन्होंने सुना है कि पुराने दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही गई है, जिसके बाद ही उन्होंने हिम्मत जुटाकर यह प्रार्थना पत्र दिया है।

    डीएम से मांग की कि उनके दादा की हत्या की फाइल को फिर से खोला जाए और दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही जिस कुएं से शव बरामद हुआ था, उस पर वर्षों से अवैध रूप से मजार बना दी गई है।

    अवैध कब्जा हटाकर कूप को खुदवाया जाए और उसके स्थान को उनके दादा स्मारक के रूप में विकसित करते हुए चौराहे का नाम राम शरण चौराहा रखा जाए। जब तक यह नहीं होगा, तब तक परिवार को नहीं लगेगा कि उन्हें न्याय मिला है।

    दंगों के बाद छोड़ना पड़ा था संभल

    उन्होंने शासन-प्रशासन से यह भी मांग की है कि 1978 में हत्या व दंगों के बाद उनके परिवार को संभल छोड़ना पड़ा था, इसलिए उन्हें फिर से संभल में बसाने की व्यवस्था की जाए और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उस समय दर्ज सभी रिपोर्टों की प्रतियों व उनके दादा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया।

    इस संबंध में डीएम ने बताया कि शिकायत के आधार पर ही कुएं को खोदने का कार्य किया जा रहा है, जो भी शिकायत मिल रही है उसकी जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।