ट्रेन 14 घंटे थी लेट, आयोग ने पहले लगाया जुर्माना; फिर रेलवे के तीन अफसरों के खिलाफ जारी कर दिया वारंट
संभल के परमानंद वार्ष्णेय ने मनमाड़ से मथुरा के लिए टिकट लिया था लेकिन ट्रेन 14 घंटे लेट होने पर उन्हें हवाई यात्रा करनी पड़ी। उपभोक्ता आयोग ने रेलवे को हर्जाना देने का आदेश दिया था जिसकी अवहेलना पर रेल सचिव स्टेशन मास्टर के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया है। आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए अगली सुनवाई 25 जुलाई को तय की है।

जागरण संवाददाता, संभल। न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने आदेश की अवहेलना पर भारत सरकार के रेल सचिव, स्टेशन मास्टर मनमाड़ (महाराष्ट्र) और मंडल वाणिज्य प्रबंधक भुसावल (महाराष्ट्र) के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। संभल के परमानंद वार्ष्णेय ने बीते वर्ष तीन जनवरी को मनमाड़ से मथुरा आने के लिए 2,257 रुपये का टिकट लिया था।
ट्रेन 14 घंटे लेट होने के बाद उन्हें 18,912 रुपये खर्च कर हवाई यात्रा करनी पड़ी। आयोग ने 29 अगस्त 2024 को रेलवे को 21,169 रुपये दो माह में लौटाने, रेल सचिव और स्टेशन मास्टर को पांच हजार रुपये वाद व्यय और 10 हजार रुपये मानसिक क्षति के रूप में देने का निर्देश दिया था। फैसले में सात प्रतिशत व्याज भी देने को कहा था।
परमानंद वार्ष्णेय ने दायर वाद मे कहा था कि उन्होंने 14 सितंबर 2023 को आनलाइन टिकट खरीदा था। ट्रेन दो-तीन जनवरी की रात 12:10 बजे मनमाड़ से चलनी थी। वह निर्धारित समय से पहले दो जनवरी की रात करीब 10 बजे स्टेशन पहुंच गए थे, लेकिन निर्धारित समय बीतने के बाद भी तीन घंटे तक ट्रेन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।
सुबह 7:50 बजे जानकारी दी गई कि ट्रेन आने वाली है, लेकिन वह सूचना भी गलत निकली और ट्रेन नहीं आई। इसके बाद उन्होंने टिकट वापस किए, लेकिन रेलवे ने किराये की धनराशि वापस नहीं की। इसके बाद परमानंद वार्ष्णेय को परिवार के साथ हवाई यात्रा करनी पड़ी।
अधिवक्ता पारस वार्ष्णेय ने बताया कि आयोग के 29 अगस्त के आदेश के खिलाफ भारत सरकार की ओर से राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपील दायर की गई, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। आदेश की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने सख्त रुख अपनाया है।
अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तिथि तय की है। वरिष्ठ अधिवक्ता देवेन्द्र वार्ष्णेय ने बताया कि आयोग को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वारंट जारी करने के साथ एक महीने से तीन साल तक की सजा सुनाने का भी अधिकार है। टिकट निरस्त पर धनराशि वापसी के नियम-ट्रेन तीन घंटे या ज्यादा लेट होने पर टिकट वापस करने पर शतप्रतिशत धनराशि वापस मिलेगी।
आफ लाइन टिकट वाले काउंटर से धनराशि ले सकते हैं। आनलाइन टिकट वालों के खाते में धनराशि आएगी। -यात्रा शुरू करने से पहले टिकट निरस्त करने पर धनराशि वापस करने का अलग-अलग नियम है। कंफर्म टिकट और वेटिंग टिकट का भी नियम अलग है। आमतौर पर ट्रेन के रवाना होने के 48 घंटे पहले टिकट निरस्त करने पर 25 प्रतिशत का चार्ज लगता है। 48 से 12 घंटे पहले भी 25 प्रतिशत और 12 से चार घंटे पहले तक 50 प्रतिशत, चार्ट बनने के बाद कोई रिफंड नहीं मिलता है।
वेटिंग टिकट निरस्त करने पर कुछ चार्ज लग सकता है, लेकिन यह टिकट की स्थिति और निरस्तीकरण के समय पर निर्भर करता है। इसके अलावा तत्काल टिकट निरस्त करने पर कोई रिफंड नहीं होता है। -रिफंड मिलने में समस्या आ रही है तो वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
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