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    कैंसर दिवस पर विशेष: कैंसर से जंग में आत्मबल बना पुष्पा का हथियार

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 04 Feb 2021 01:07 AM (IST)

    पुष्पा को सात साल पहले कैंसर का पता चला। जानकारी होते ही उनके पति योगेंद्र शर्मा व उनके बेटे मनोज व अनोज काफी घबरा गए लेकिन पुष्पा का आत्मबल इतना मजबूत था कि उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि पति व बेटों को भी समझाया।

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    कैंसर दिवस पर विशेष: कैंसर से जंग में आत्मबल बना पुष्पा का हथियार

    सम्भल (राघवेंद्र शुक्ल)। कैंसर, नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं लेकिन, इससे पीड़ित लोग अपने आत्मबल व जज्बे के दम पर न सिर्फ लंबा जीवन जी सकते हैं बल्कि उसे हरा भी सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हैं सम्भल के सिंहपुर सानी निवासी 65 वर्षीय पुष्पा शर्मा।

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    पुष्पा को सात साल पहले कैंसर का पता चला। जानकारी होते ही उनके पति योगेंद्र शर्मा व उनके बेटे मनोज व अनोज काफी घबरा गए लेकिन, पुष्पा का आत्मबल इतना मजबूत था कि उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि पति व बेटों को भी समझाया। इसके बाद परिवार की मदद से कैंसर के साथ उनका संघर्ष शुरू हो गया। पति उन्हें दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले गए। वहीं से इलाज शुरू हुआ। अब पुष्पा के स्वास्थ्य में 70 से 80 फीसद तक सुधार हो चुका है। पुष्पा नियमित योग करती हैं और घर के छोटे-मोटे काम में हाथ बंटाकर खुद को व्यस्त रखती हैं। उनका कहना है कि इस घातक बीमारी से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मानसिक मजबूती। साथ ही अपनों का साथ मिले तो किसी भी मुश्किल से निपटा जा सकता है। अब भी उनके पति समय-समय उन्हें इलाज के लिए दिल्ली लेकर जाते हैं और बेटे भी पूरा ख्याल रखते हैं। सम्भल के लिए नासूर है कैंसर

    जिले में कैंसर का प्रकोप बहुत ज्यादा है। खराब पानी की वजह से जनपद के दो दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं, जहां यह कहर बनकर टूटता है। हर साल सम्भल में 20 से ज्यादा मौतें इसी वजह से हो जाती हैं। सम्भल के सिंहपुर सानी, देहपा, लखौरी, असमोली का बड़ा ताजुद्दीन, असमोली आदि ऐसे गांव हैं जहां सबसे ज्यादा मौतें हुई। दस साल में कैंसर की वजह से 100 से अधिक की मौत हो चुकी हैं। हालांकि तमाम लोगों ने कैंसर को हराया भी है। तीन साल पहले जिले में कैंसर के मुद्दे को तत्कालीन सांसद सत्यपाल सैनी ने लोकसभा में भी उठाया था।

    कहां कितना असर

    चार साल के अंदर लखौरी गांव में 12 लोगों की कैंसर की वजह से मौत हो गई है। दो साल पहले पचास वर्षीय राजवीर सिंह की मौत हो गई। उसके बाद एक साल में हरचरन, राहुल, सरला देवी, किशनदेई, सुखवीर सहित कई लोगों की मौत हो चुकी है। कारण एक ही है गंदा पानी। वहीं असमोली के काफूरपुर में भी दो साल पहले ख्याल सिंह की मौत हो गई। तीन साल पहले इसी गांव की रामदुलारी की भी मौत हो चुकी है। मझोला फत्तेहपुर निवासी महेश की तकरीबन तीन साल पहले कैंसर की वजह से मौत हुई। बड़ा ताजउद्दीन गांव में पानी सबसे ज्यादा खराब है। दो साल पहले गांव के ब्रहम सिंह, सरदार सिंह, रामवती, ओमवती, फूलवती की मौत हो चुकी है। आठ साल के अंदर यहां 14 मौतें हो चुकी हैं।

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    इनका संघर्ष जारी

    सिहंपुर निवासी नीरज सिंह (80), फतेहपुर में सतपाल सिंह (40), नूरजहां (50), राजपाल (55), आमना (60), उलज्जा (50)। क्या है कारण

    गंदा पानी कैंसर की बड़ी वजह है। इसके अलावा धूमपान भी इसका प्रमुख कारण है। सम्भल के कई गांवों में कैंसर के जो केस हैं उसके पीछे गंदा पानी ही प्रमुख है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि पानी की जांच होनी चाहिए और कैंसर पीड़ित के गांवों में विशेष योजना चले ताकि उन्हें शुद्ध पानी मिल सके। डॉ. प्रमेंद्र सिह, फिजिशियन

    ------- क्या होंगे उपाय

    कैंसर को लेकर इन गांवों में विशेष अभियान चलाए जाएंगे। कैंसर के प्रमुख कारणों की पड़ताल कर स्वास्थ्य विभाग को वहां जांच के लिए भेजा जाएगा। गांवों में जो भी सहूलियत प्रशासन स्तर से मिलनी चाहिए, वह सब उपलब्ध कराई जाएंगी।

    अविनाश कृष्ण सिह, डीएम सम्भल

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