कागजों में हो रहा शिकायतों का निस्तारण
सम्भल :आम जनता की शिकायतों का निस्तारण करने में असफल साबित हो रही है जनसुनवाई पोर्टल
सम्भल :आम जनता की शिकायतों का निस्तारण करने में असफल साबित हो रही है जनसुनवाई पोर्टल सिर्फ अधिकारियों का ऑफिस में बैठे-बैठे कागजी निस्तारण का जरिया बनते जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा जनता को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से जनसुनवाई पोर्टल प्रारंभ किया गया था। इन दिनों जनता को राहत देने की जगह विभागों द्वारा किये जा रहे मनमाने निस्तारणों से जनसुनवाई पोर्टल के प्रति जनता का विश्वास घटता जा रहा है। सफाई व्यवस्था से लेकर सड़क निर्माण व आवासों के लिए आ रही शिकायतों को बिना काम पूरा कराए ही निस्तारण दिखाया जा रहा है। ऐसे में जब लोग मामले का निस्तारण दर्शा रही रिपोर्ट को देखते हैं तो अचंभित हो जाते है। नतीजतन लोगों को सीधे अधिकारियों के दफ्तर में पहुंचकर शिकायत दर्ज करानी पड़ रही है। हाल में नगर पालिका में जन पोर्टल पर दर्ज की गई 308 शिकायतों में 276 शिकायतों का निस्तारण करा दिया गया है। इसके अलावा 22 शिकायतें लंबित पड़ी हैं।
आइजीआरएस के मामले में खानापूर्ति
: आइजीआरएस के मामलों की जांच करने में अधिकारी सभी नियमों को ताक पर रख देते हैं, यहां तक की पीडि़त के बयान लेना तक जरूरी नहीं समझा जाता है और मनमर्जी की रिपोर्ट लगा कर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। आम जनता की सुनवाई के लिए बना पोर्टल आम जनता को ही कहीं ना कहीं मानसिक तौर पर और भी दुखी और परेशान कर रहा है। लोगों का कहना है कि जनसुनवाई पोर्टल पर जनता द्वारा शिकायत भेजी जाती है, अफसरों द्वारा उनमें कमी निकलने का भरपूर प्रयास किया जाता है।
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निस्तारण की रिपोर्ट दर्शाने में आगे हैं अधिकारी
सम्भल : जनता द्वारा भेजे गये आवेदन जनता से अधिकारी के आफिस और अधिकारी के आफिस से जनता के पास निस्तारित लिखकर वापस भेजे जा रहे हैं। निस्तारित का वास्तविक अर्थ यह होता है कि समस्या का समाधान हो चुका है। पर यहां (जनसुनवाई पोर्टल पर) निस्तारित का अर्थ है कि अधिकारी या सम्बंधित विभाग द्वारा उस आवेदन पर कोई न कोई बहाना बनाकर वापस जस का तस आवेदनकर्ता के पास भेज दिया गया है। कई बार तो आवेदन केवल सरसरी निगाह से ही पढ़े जाते हैं और उसमें क्या लिखा है यह भी सम्बंधित विभाग नहीं जानता।
इनसेट----
मामला एक-
तहसील क्षेत्र के गांव निबौरा निवासी राम निवास ने आवास के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इसके बाद भी आवास नहीं मिला। इसके बाद राम निवास ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद भी आवास नहीं मिल सका। हैरानी की बात तो यह है कि अधिकारियों ने मामले का निस्तारण दिखाते हुए रिपोर्ट भेज दी। मामला दो-
शहर के मोहल्ला शहबाजपुरा निवासी खिजर गौस ने शहबाजपुर सुर्द सपरी वाली गली मार्ग के निर्माण कार्य कराने की मांग को लेकर जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। न तो सड़क का निर्माण कार्य शुरू हो सका है और ना ही किसी जिम्मेदार अधिकारी ने ध्यान दिया है। मामले का निस्तारण दिखाया गया है। मामला तीन-
कस्बा हयातनगर निवासी नीलांशु वाष्र्णेय ने गांव मुजफ्फरपुर में टूटी पड़ी सड़क का निर्माण कराए जाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की। ग्राम पंचायत अधिकारी पवांसा ने सड़क की जांच पड़ताल की। खंड विकास अधिकारी ने परियोजना निदेशक को भेजी रिपोर्ट में ग्राम पंचायत के बजट में उक्त सड़क होना संभव नहीं है दर्शाकर पीडब्लूडी से कार्य कराने के लिए कहा गया। हालांकि रिपोर्ट में अधिकारियों ने मामले का निस्तारण दिखा दिया। मामला चार
शहर के मोहल्ला कोटपूर्वी निवासी सुमित कुमार ने चर्च रोड की सफाई कराने के लिए पोर्टल पर शिकायत की थी। मार्ग पर गंदगी पसरी हुई है। सफाई व्यवस्था कराए जाने का पत्र लिखकर मामले का निस्तारण दिखा दिया गया।
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