सांसद बर्क का आवास मामले में सुनवाई आज: बिना नक्शा पास कराए बनाया मकान, जांच रिपोर्ट होगी पेश
MP ziaur rahman barq | सांसद जियाउर्रहमान बर्क के बिना नक्शा पास कराए बनाए गए मकान के मामले में जांच रिपोर्ट के आधार पर आज अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इसी दिन इस मामले की सुनवाई भी निर्धारित है। इससे पहले नक्शे से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत न करने पर एसडीएम ने सांसद पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया था।

जागरण संवाददाता, संभल। जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में 24 नवंबर, 2024 को हुई हिंसा में घिरे सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। जामा मस्जिद इंतेजामिया कमेटी के सदर जफर अली ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया है कि हिंसा से पहले और बाद में सांसद बर्क पल-पल की जानकारी लेते रहे।
उन्होंने (सांसद) 23 नवंबर की रात 12:32 बजे फोन पर कहा था कि 'मैं संभल से बाहर हूं। सर्वे नहीं होने देना। इसके लिए लोगों को इकठ्ठा करना होगा और सर्वे का पुरजोर विरोध करना होगा'। हिंसा के बाद भी वह लगातार संपर्क में रहे। हिंसा के अगले दिन 25 नवंबर को सांसद के कहने पर ही पुलिस पर फायरिंग करने का आरोप लगाया था।
जफर अली ने मीडिया के सामने कहा था कि हिंसा के दौरान मारे गए लोगों की मौत पुलिस की गोली से हुई है। इसपर उन्हें (जफर अली) पूछताछ के लिए कोतवाली बुलाया गया था। जफर अली को हिंसा भड़काने के आरोप में 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उनकी जमानत अर्जी को शुक्रवार को खारिज कर दिया गया।
कोर्ट में केस डायरी (सीडी) दाखिल
पुलिस ने अपर जिला सत्र एवं न्यायाधीश निर्भय नारायण सिंह की कोर्ट में केस डायरी (सीडी) दाखिल कर दी। जिसमें जफर अली और सांसद बर्क के बीच बातचीत का ब्योरा दिया गया है। जफर अली की काल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) को भी आधार बनाया गया है। सांसद भी हिंसा में आरोपित हैं। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट से स्टे ले चुके हैं। उन्हें आठ अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया है।
इस मामले में फोन रिसीव नहीं होने की वजह से सांसद का पक्ष नहीं मिल सका है। केस डायरी में उल्लेख है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा जफर अली से यह पूछा गया कि 24 नवंबर को सर्वे के दौरान वह मस्जिद के अंदर थे तो उन्हें कैसे पता चला कि पथराव कर रहे लोगों पर पुलिस ने ही गोली चलाई है। इसपर वे कोई जवाब नहीं दे सके।
उन्होंने पुलिस के सामने यह स्पष्ट किया कि सांसद के कहने पर ही उन्होंने ऐसा किया था। सीडीआर को आधार बनाते हुए पुलिस ने सांसद और मस्जिद के सदर को ही हिंसा का सूत्रधार माना है। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम सिंह सैनी ने बताया कि 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे को गोपनीय रखा गया।
बनाई गई थी छह सदस्यीय कमेटी
छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। कमेटी को ही सर्वे की जानकारी धी। इस कमेटी में जफर अली भी थे। इन्होंने ही हिंसा कराई है। इनके भड़काने पर पथराव, फायरिंग और आगजनी की गई। जामा मस्जिद के मंदिर होने का दावा 19 नवंबर को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट में दाखिल किया गया था।
कोर्ट ने उसी दिन अधिवक्ता रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था। पहले चरण का सर्वे उसी दिन किया गया। अगले चरण के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़की थी। जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी, 30 अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हुए थे। हिंसा में सात प्राथमिकी पुलिस ने दर्ज कराई हैं।
वहीं, चार मृतकों के स्वजन और एक घायल के स्वजन की ओर से प्राथमिकी कराई गई है। सभी प्राथमिकी में सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 37 नामजद और 3750 आरोपित अज्ञात है। पुलिस अब तक 81 आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है। जिनमें फरहाना को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। अन्य किसी को जमानत नहीं मिली है।
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