मेरा बलमा बड़ा सयानो ठंडा कोका-कोला लाया... रुचिका जांगिड़ के सुरों ने कल्कि महोत्सव में मचाया धमाल
यह गाना एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका के लिए ठंडा कोका-कोला लाने की कहानी है। यह एक सरल इशारा प्यार और देखभाल को दर्शाता है। गाने की मधुर धुन और सरल बोल युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। कोका-कोला प्यार और खुशी का प्रतीक है, जो रिश्तों को मजबूत करता है।

रुचिका जांगिड़ के सुरों ने संभल कल्कि महोत्सव में मचा दिया धमाल
संवाद सहयोगी, जागरण, बहजोई। बहजोई के बड़े मैदान में चल रहे संभल कल्कि महोत्सव की रात उस वक्त संगीतमय उत्सव में बदल गई जब हरियाणवी गायिका रुचिका जांगिड़ ने मंच पर आते ही अपने लोकप्रिय गीत मेरा बलमा बड़ा सयानो ठंडा कोका-कोला लाया से कार्यक्रम की शुरुआत की।
जैसे ही गीत के बोल गूंजे, मैदान में मौजूद हजारों दर्शक झूम उठे। रुचिका की आवाज़ में हरियाणवी ठसक और मस्ती का ऐसा मेल था कि हर शब्द ने दिलों को छू लिया। गीत की लय पर युवा थिरकते रहे, महिलाएं मुस्कराकर ताल पर झूमती दिखीं, और पूरा मैदान तालियों की गूंज से भर गया। इसके बाद जब उन्होंने छोटू गीत गाया तो भीड़ में एक नई ऊर्जा फैल गई, जैसे हर किसी को अपने बचपन और देसीपन की याद आ गई हो।
रुचिका के हर बोल में झलकी मस्ती, अपनापन और भावनाओं की मिठास
गोली चल जावेगी के बोलों के साथ दर्शकों में जोश उमड़ा—यह गीत मस्ती, चुनौती और देसी गर्व का संगम बन गया। फिर रुचिका ने अपने चहेते रोमांटिक गीत लाड पिया के को बड़े सुकून और भावनाओं से गाया, जिसकी मधुरता ने रात की ठंडी हवा को भी सुरों से महका दिया। इसके बाद देसी देसी ना बोल्या कर पर पूरा मैदान झूम उठा—हर कोई बोल दोहरा रहा था, मानो गीत उनके अपने दिल से निकल रहा हो। बैंड बाजा बारात और तेरी लत लग जावेगी जैसे गीतों ने भी माहौल में रोमांच और अपनापन दोनों घोल दिया।
हरियाणवी सुरों की झंकार, ठेठ देसी मिजाज और प्यार भरे गीतों ने संभल की रात को बनाया यादगार
जब रुचिका ने म्हारा डोला आया रे गाया तो हरियाणवी लोक की मिठास ने हर किसी को भावनात्मक बना दिया, और 52 गज का दामन के साथ तो पूरा मैदान नाचते-गाते संभल के उत्सव में बदल गया। रुचिका ने मंच से कहा कि संभल के लोगों का प्यार उन्हें अपने घर जैसा महसूस करा रहा है...यहां की जनता की ऊर्जा और आत्मीयता उन्हें हमेशा याद रहेगी।
कार्यक्रम के दौरान दर्शक लगातार गीतों की फरमाइश करते रहे और रुचिका हर बार मुस्कुराते हुए नई प्रस्तुति देती रहीं। उनके साथ आए संगीतकारों की ताल और ढोलक की थाप ने हर गीत को और जीवंत बना दिया। देर रात तक चलता यह संगीतमय कार्यक्रम सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि भावनाओं का उत्सव बन गया—जहां हर धुन में देसी गर्व, हर शब्द में मस्ती और हर मुस्कान में हरियाणा की आत्मा बसी थी।
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