कपिल सिंघल की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी, न्यायालय की कार्रवाई पर टिकी नजरें
भाजपा नेता के भाई कपिल सिंघल की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी है। अदालत में पेश न होने पर न्यायालय कुर्की का आदेश दे सकता है। कपिल सिंघल को भगोड़ा घोषित किया गया है और उस पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस ने मुनादी कर संपत्ति कुर्क करने की चेतावनी दी है। अदालत के आदेश का इंतजार किया जा रहा है ताकि कुर्की की कार्रवाई शुरू की जा सके।

जागरण संवाददाता, संभल। भाजपा पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंघल के भाई कपिल सिंघल पर न्यायालय द्वारा होने वाली आगे की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
12 सितंबर की निर्धारित अंतिम तिथि पर भी अदालत के सामने पेश न होने के कारण अब न्यायालय उसकी संपत्तियों की कुर्की का आदेश दे सकता है। बीएनएसएस 2023 की धारा 84 के तहत भगोड़ा घोषित किए जा चुके कपिल सिंघल के खिलाफ उद्घोषणा और अब धारा 84 के अंतर्गत कुर्की की प्रक्रिया लागू होगी।
दरअसल, कपिल सिंघल के खिलाफ संभल कोतवाली समेत आसपास के थानों में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। कैलादेवी थाने में चोरी के वाहन काटने और सीसीटीवी लगाने से जुड़े दो मुकदमे लंबित हैं। वहीं कोतवाली में धोखाधड़ी और मारपीट के मामले दर्ज हैं, जिनमें गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है।
इसके अलावा नखासा थाने में भी महिला के साथ मारपीट करने का मामला दर्ज है। इतने मुकदमों के बावजूद कपिल लंबे समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और अदालत के सम्मन व वारंट की लगातार अनदेखी करता रहा है।
करीब दो माह पूर्व कपिल ने अपने अधिवक्ता के जरिए सिविल न्यायालय में आत्मसमर्पण की अर्जी डाली थी, मगर तारीख आने पर वह अदालत में हाजिर नहीं हुआ। 13 जून को अदालत ने उसके खिलाफ वारंट जारी किए। इसके बाद भी वह नहीं पकड़ा गया।
लगातार गैरहाजिरी को देखते हुए 14 अगस्त को सिविल जज ने धारा 84 बीएनएसएस के तहत आदेश जारी कर उसे 12 सितंबर तक अदालत में उपस्थित होने की अंतिम मोहलत दी थी। पुलिस ने 2 सितंबर को कपिल के घर के बाहर ढोल-नगाड़ों के साथ मुनादी कराई और ऐलान किया कि अगर वह 12 सितंबर तक अदालत में पेश नहीं हुआ तो उसकी संपत्ति कुर्क कर ली जाएगी।
इस बीच कपिल सिंघल ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जांच दूसरे जिले में कराए जाने की मांग की। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ओर से 23 सितंबर को सुनवाई होगी। वहीं 12 सितंबर को निर्धारित तिथि पर भी कपिल कोर्ट नहीं पहुंचा था। अब कोतवाली पुलिस और विवेचक अब अदालत के आदेश का इंतजार कर रहे हैं ताकि कुर्की की कार्रवाई जल्द शुरू की जा सके।
क्या कहती है बीएनएसएस की प्रक्रिया
संभल: बीएनएसएस 2023 की धारा 84 का प्रावधान है कि अगर कोई आरोपित गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार है तो न्यायालय उद्घोषणा जारी कर सकता है। उद्घोषणा में आरोपित को निश्चित तिथि और समय पर अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया जाता है।
यह उद्घोषणा सार्वजनिक रूप से उसके घर और अदालत परिसर में चस्पा की जाती है और स्थानीय स्तर पर घोषित की जाती है। अगर आरोपित उद्घोषणा के बावजूद अदालत में पेश नहीं होता है तो धारा 85 के तहत उसकी संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया जा सकता है।
अदालत आदेश पारित करते समय लिखित रूप से कारण दर्ज करती है। कुर्की के बाद संपत्ति पर न्यायालय का अधिकार हो जाता है।
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