'बाबर के नाम पर नहीं बननी चाहिए मस्जिद' जगदगुरु रामभद्राचार्य ने जताया विरोध, ममता बनर्जी पर की टिप्पणी
संभल में कल्कि महोत्सव का समापन हुआ, जिसमें जगदगुरु रामभद्राचार्य ने 2028 तक कल्कि धाम का निर्माण पूरा करने का संकल्प लिया। उन्होंने बाबर के नाम पर मस ...और पढ़ें

जगदगुरु रामभद्राचार्य
जागरण संवाददाता, संभल। सात दिवसीय कल्कि महोत्सव का रविवार को समापन हो गया। समापन कार्यक्रम के दौरान जगदगुरु रामाभद्राचार्य ने श्रीकल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद से वचन लिया कि श्रीकल्कि धाम का निर्माण कार्य 2028 बैसाख मास के शुक्ल पक्ष द्वादशी तक पूर्ण कराने को कहा। साथ ही कहा कि वह कल्कि धाम निर्माण के लिए उनके साथ पूरे मनोयोग से खड़े हैं। उन्होंने यहां पर कल्कि कथा पर विराम भी लगा दिया।
कल्कि महोत्सव का समापन, 2028 बैसाख मास तक धाम का निर्माण पूरा करने का वचन
तहसील क्षेत्र के गांव ऐंचोड़ा कंबेाह स्थित श्री कल्कि धाम में आयोजित सात दिवसीय श्री कल्कि महाेत्सव के समापन में जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कल्कि पुराण कथा के दौरान कहा कि यहां के जैसे भाव मैंने कहीं नहीं देखे। आज सारा पंडाल भर गया है, मैं बहुत खुश हूं और कल्कि भगवान के चरणों में प्रणाम करता हूं। उन्होंने कहा कि जिनके चिल्लाने से कलियुग भाग जाता है उन्हें कल्कि भगवान कहते हैं। कल्कि पुराण की रचना पांच हजार वर्ष पहले हुई थी। विपक्षियों ने तो हमारे धर्म ग्रंथों को नष्ट करने का काम किया था।
जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज बोले- बाबर के नाम पर नहीं बननी चाहिए मस्जिद
जगदगुरु बोले, ममता बनर्जी कान खोलकर सुनिए हमें मस्जिद बनाने से कोई आपत्ति नहीं है। बाबर ने हमारे देश में आक्रमण किया था, उसके नाम से मस्जिद नहीं बन सकती है। अब तो यहां झंडा भारत माता का ही फहरेगा। बाबरी मस्जिद तो हमने तोड़ दी। मस्जिद बनाओ तो अब्दुल कलाम के नाम से बनाओ हम कब मना करते हैं। अन्न भारत का खाते हो, पानी भारत का पीते हो, मरोगे भी भारत में और गुण पाकिस्तान का गाते हो। तीन सौ करोड़ नहीं यह तीन हजार करोड़ में भी नहीं होगा।
अब दिल्ली राजधानी नहीं संभल राजधानी बन रहा है
इसके साथ ही कहा कि मैं ममता बनर्जी को बहन नहीं कह सकता। अब तो वह गद्दारों की बहन हैं, हमारी नहीं। वह अपना वोट बनाने के लिए अपना देश गिरवी रख देंगी। भारत के इन बिचौलियों का संभल से बिगुल बजेगा। अब दिल्ली राजधानी नहीं संभल राजधानी बन रहा है। मैं घोषणा करता हूं कि जगदगुरु और प्रमोद कृष्णम की जोड़ी हमेशा चलेगी और निरंतर मैं इनके संपर्क में रहूंगा। मैंने इन्हें अपना भाई माना है। इसके साथ ही जगदगुरु आचार्य रामभद्राचार्य महाराज ने श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम से वचन लेते हुए कहा कि श्री कल्कि धाम का निर्माण 2028 के बैसाख मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि तक पूर्ण होना चाहिए।
महंत नृत्यगोपाल दास ने दी शुभकामनाएं
तहसील क्षेत्र के गांव ऐंचोड़ा कंबोह में स्थित कल्कि धाम में आयोजित श्री कल्कि महोत्सव पर श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम को पत्र भेजा है। जिसमेंं उन्हें इस आयोजन के लिए आशीर्वाद देने के साथ शुभकामनाएं दी हैं। पत्र में कल्कि धाम में उनके प्रयास से विश्व की पहली श्रीकल्कि कथा का आयोजन किया जा रहा है।
यह केवल कल्कि धर्म परंपरा ही नहीं बल्कि संपूर्ण संत समाज और भारतीय आध्यात्मिक चेतना के लिए एक ऐतिहासिक, अलौकिक एवं युगांतकारी क्षण है। इस दिव्य कथा महोत्सव के आयोजक के रूप में आपका संकल्प, निष्ठा और धैर्य अतुलनीयहै। उन्होंने कहा कि मैं महंत नृत्यगोपाल दास इस पावन अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं, साधुवाद और आशीर्वाद देता हूं।
कवियों की रचनाएं सुन भाव विभोर हुए श्रोता
संभल। कल्कि महोत्सव के दौरान छठें दिन शनिवार की शाम को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें डा. हरिओम पंवार, अनिल अग्रवंशी, कवि सुमनेश शर्मा, कवि मनोज वर्मा, कवियत्री शालिनी सिंह, कवि अवनीत सिंह समर्थ, कवि अशोक कृष्णम व कवि विकास त्यागी ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पाणिनि की अष्टाध्यायी को पौराणिक कथाओं से जोड़ना अनुचित : सौरभ कांत शर्मा
बहजोई। कवि व साहित्यकार डा. सौरभ कांत शर्मा ने जगदगुरु रामभद्राचार्य के उस दावे का विरोध किया है। जिसमें उन्होंने कंबोज का नाम मुगलकाल में ऐंचोड़ा कंबोह होने की संभावना जताते हुए इसे महर्षि पाणिनि की अष्टाध्यायी के 175वें सूत्र से जोड़कर यह व्याख्या की कि पंजाब के दक्षिण पूर्व में जहां दो गंगाओं का संगम होगा, वहां भगवान का जन्म होगा।
उन्होंने कहा कि अष्टाध्यायी व्याकरण की पुस्तक है कोई पौराणिक कथा संग्रह नहीं, इसके चतुर्थ अध्याय में तद्वित और तद्राज प्रत्ययों व उनके प्रयोग का विधान है। जिसमें कंबोज शब्द का मात्र व्याकरणात्मक संदर्भ आया है। इसे किसी स्थान विशेष से जोड़कर कल्कि अवतार की भविष्यवाणी बताना ग्रंथों का घालमेल और हास्यास्पद व्याख्या है। इसलिए वे इस प्रकरण पर आपत्ति व विरोध दर्ज कराते हैं।

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