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    बढ़ता जल संकट भविष्य में खतरे की चेतावनी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 11 Jun 2019 11:42 PM (IST)

    मौजूदा समय में हमारा पर्यावरण जिन प्रमुख समस्याओं से जूझ रहा है। उसमें अथाह रूप से विद्यमान जल संपदा की मात्रा तथा गुणवत्ता में निरंतर कमी का होना भी प्रमुखता से शामिल है। चूंकि जल को इंसानी जीवन के आधार के रूप में देखा जाता है। इसके बाद भी जल की बर्बादी इस संकट को और विकराल रूप दे रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि प्रभावित जनसंख्या को जल संसाधन के प्रति अपने उदासीन रवैये का आभास नहीं है इसके बाद भी लोग जल का दोहन करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल जल संरक्षण के प्रति नागरिकों की असंवेदनशीलता ही शुद्ध पेयजल को इंसान की पहुंच से दूर कर रही है। हम सबको पता है और बाकायदा छोटी उम्र से ही हम सुनते आ रहे हैं कि

    बढ़ता जल संकट भविष्य में खतरे की चेतावनी

    बहजोई: मौजूदा समय में हमारा पर्यावरण जिन प्रमुख समस्याओं से जूझ रहा है। उसमें अथाह रूप से विद्यमान जल संपदा की मात्रा तथा गुणवत्ता में निरंतर कमी का होना भी प्रमुखता से शामिल है। चूंकि जल को इंसानी जीवन के आधार के रूप में देखा जाता है। इसके बाद भी जल की बर्बादी इस संकट को और विकराल रूप दे रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि प्रभावित जनसंख्या को जल संसाधन के प्रति अपने उदासीन रवैये का आभास नहीं है, इसके बाद भी लोग जल का दोहन करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

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    जल संरक्षण के प्रति नागरिकों की असंवेदनशीलता ही शुद्ध पेयजल को इंसान की पहुंच से दूर कर रही है। हम सबको पता है और बाकायदा छोटी उम्र से ही हम सुनते आ रहे हैं कि जल है तो कल है, बावजूद इसके जल की बूंदों को बेवजह बर्बाद करने का सिलसिला हर स्तर पर बदस्तूर जारी है। यह जानते हुए भी कि पृथ्वी पर पीने योग्य जल की उपलब्धता काफी कम है। हकीकत में केवल एक फीसदी ही पानी पीने योग्य है। पर, लोगों की मानसिकता अभी भी नहीं बदल रही है। जल संकट का हल्ला शुरू हुआ तो चितन-मंथन शुरू हो जाता है। प्रशासनिक अफसर भी तमाम योजनाएं बनाकर कवायद शुरू कर देते हैं। लेकिन, यह सब कागजों पर ही नजर आता है। हम भूल जाते हैं कि बहुमूल्य जल के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारियां हैं। जल की कमी आज लोगों की मुख्य समस्या है। पहले के लोगों को जल का संकट कभी नहीं होता था आज स्थिति यह है कि लोगों को पानी भी खरीद कर पीना पड़ रहा। सरकार जो भी सिस्टम बनाती है उसे हम सभी को पालन करना चाहिए। क्योंकि जल बचेगा तो विश्व सुरक्षित होगा। जल संरक्षण की बहुत आवश्यकता है। पानी की बर्बादी को रोकना होगा। हम सभी को पानी की कमी को समझते हुए प्रयोग करते समय ध्यान देना होगा की हम कितनी मात्रा में पानी बर्बाद कर रहें। इस कमी को रोकने के लिए बारिश का जल संरक्षित करना होगा। जल संकट का मौजूदा समय में आलम यह है कि कुआं और तालाब सभी सूख गए हैं।

    वाटर हृावेस्टिंग अनिवार्य होना चाहिए इसकी बहुत आवश्यकता है। पानी की लगातार बढ़ती कमी को देखते हुए हम सभी को जागरूक हो कर अपनेअपने क्षेत्र मे संरक्षित करने के तरीको के बारे में सोचना चाहिए और पानी बचाना चाहिए।

    शिखा वाष्र्णेय

    हम सभी को सरकार को दोष ना देकर पानी बचाने का काम सबसे पहले अपने-अपने घरों से शुरू करने की आवश्यकता है। हम सभी पानी बर्बाद कर रहें अगर पानी की बर्बादी को कम कर दे ,तो कुछ हद तक जल बचा सकेंगे तभी समस्याएं कम होगी।

    शालिनी वाष्र्णेय हर व्यक्ति को जागरूक होने की आवश्यकता है। पानी की इतनी कमी पहले कभी नहीं हुई और यह कमी साल-दर-साल बढ़ती ही जा रही। बारिश के पानी को बचाने के इंतजाम भी सभी को करने चाहिए।

    दामिनी वाष्र्णेय

    सरकार को दोष ना देकर हमें खुद पानी की बर्बादी होने से रोकना चाहिए। पानी की ऐसी स्थिति हो रही बोरिग करवाने पर भी पानी नहीं मिल रहा। हालात यही रहे तो बहुत जल्द लोग एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे।

    सतीश कुमार वाष्र्णेय

    पानी की कमी केवल इंसान को ही नहीं बल्कि पक्षियों को भी हो रहीं है। जल को बचाना आवश्यक है इसके लिए वृक्ष को भी बचाने की जरूरत है। पानी की समस्या आज सबसे गंभीर समस्या बनी हुई है लोगों को जागरूक होना होगा।

    यशवर्धन

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