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    मां की हत्या, पिता जेल में... तीन मासूमों की परवरिश अब दादी के कंधों पर; पति को कत्ल का पछतावा नहीं

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 11:31 AM (IST)

    बहजोई में विपिन कुमार ने पत्नी नेमवती की हत्या कर दी। आरोपी को पत्नी के अवैध संबंधों पर शक था और उसे इसका कोई पछतावा नहीं है। गिरफ्तारी से लेकर जेल जाने तक उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखी। इस घटना से तीन बच्चे अनाथ हो गए हैं, जिनकी परवरिश अब उनकी दादी कर रही हैं।

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    पुलिस गिरफ्त में आरोपित।

    संवाद सहयोगी, जागरण, बहजोई। बहजोई थाना क्षेत्र के गांव भवन में पत्नी की हत्या के मामले में पकड़े गए विपिन कुमार के चेहरे पर न पछतावा दिखा, न किसी प्रकार की शर्मिंदगी। पुलिस ने उसे भवन चौराहे से गिरफ्तार किया और पूछताछ में सामने आया कि वह पत्नी नेमवती पर अवैध संबंधों के आरोप लगाता था। इन्हीं शक-संदेहों के कारण वह लगातार विवाद करता था।

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    पुलिस से बोला आरोपित पति, अवैध संबंधों से परेशान था अब कोई शिकन नहीं

    पुलिस पूछताछ में उसने बेपरवाही से कहा कि गांव के कुछ लोगों ने उसे पत्नी के संबंधों को लेकर भड़काया था और इसी बात पर गुस्से में उसने लकड़ी के तख्ते से वार कर उसकी हत्या कर दी। गिरफ्तारी से लेकर न्यायालय में पेशी और जेल भेजे जाने तक उसके चेहरे पर एक बार भी पीड़ा या ग्लानि की झलक नहीं दिखी, बल्कि वह सामान्य भाव से चलता रहा।


    भवन चौराहे से गिरफ्तार हुआ विपिन कुमार

    विदित रहे कि शनिवार शाम हुई हत्या की इस वारदात में महिला के भाई धनारी थाना क्षेत्र के गांव भिरावटी निवासी अमरीश की तहरीर पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई और देर रात ही आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। उसने यह भी कहा कि उसे पत्नी की मृत्यु पर कोई अफसोस नहीं है।

    प्रभारी निरीक्षक संत कुमार ने बताया कि युवक के द्वारा की गई पत्नी की हत्या के मामले में महिला के भाई की शिकायत पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज की है और उसे गांव के ही चौराहे के निकट से गिरफ्तार किया है। जिसने पूछताछ में बताया की पत्नी के साथ अनबन रहती थी और अवैध संबंध के चलते हत्या की।

     

    मां की हत्या, पिता जेल में... तीन मासूमों की परवरिश अब दादी के कंधों पर


    बहजोई। बहजोई क्षेत्र के गांव भवन में पत्नी की हत्या से तीन मासूमों की जिंदगी अंधेरों में डूब गई है। मां नेमवती की हत्या हो चुकी है और पिता विपिन कुमार जेल भेजा जा चुका है। ऐसे में 11 वर्षीय सनी, आठ वर्षीय विक्रम और दो वर्षीय काव्या की परवरिश अब केवल दादी के कंधों पर आ गई है। घर में मातृवत स्नेह देने वाली मां चली गई और पिता का सहारा भी अपराध की सजा के साथ छिन गया, जिससे बच्चों की दुनिया एक ही दिन में उजड़ गई।

    वारदात के दिन स्कूल से लौटे सनी और विक्रम ने जब अपनी मां को बेसुध देखा था, उसी क्षण से दोनों भाइयों की जिंदगी का मासूम बचपन मानो रुक गया। काव्या इतनी छोटी है कि उसे अभी इस हादसे का अर्थ भी नहीं समझ आता, लेकिन उसकी हर पुकार अब दादी के आंचल में ही सिमट जाती है। स्वजन बताते हैं कि विपिन और नेमवती के बीच कुछ समय से कहासुनी चल रही थी, लेकिन किसी ने कल्पना नहीं की थी कि मामला हत्या तक पहुंच जाएगा।