सावधान! दूध और पनीर खरीदने से पहले रहिए सतर्क, यूपी के इस जिले में तो 52 प्रतिशत सैंपल फेल
खाद्य पदार्थों में मिलावट एक गंभीर समस्या है। पिछले दो वर्षों में लिए गए नमूनों में से 52% खराब पाए गए, जिनमें दूध और पनीर सबसे अधिक असुरक्षित हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग लगातार छापेमारी कर रहा है और मिलावटखोरों पर जुर्माना लगा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। विभाग ने लोगों से संदिग्ध खाद्य पदार्थों की सूचना देने की अपील की है।

शिवकुमार कुशवाहा, बहजोई। रोजमर्रा की थाली तक पहुंचने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और मिलावटी सुरक्षा लगातार संदेह के घेरे में है जोकि आपकी सेहत के लिए जानलेवा साबित जो सकती है क्योंकि पिछले दो वित्तीय वर्षों में लिए गए कुल 832 नमूनों में से 221 नमूने मानक के विपरीत और 30 पूरी तरह असुरक्षित पाए गए अर्थात 52 प्रतिशत नमूने खराब निकले हैं। दूध, पनीर, सरसों का तेल और मिठाई जैसे पदार्थों में दूध और पनी सबसे अधिक खतरनाक श्रेणी में हैं।
यह स्थिति सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि परिवार की जेब और सामाजिक सुरक्षा पर भी सीधा असर डालती है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष असुरक्षित सैंपलों की संख्या बढ़ी है जो साफ चेतावनी देता है कि खरीदारी में सतर्कता और जागरूकता अब अनिवार्य है।
दरअसल, जनपद की तीनों तहसीलों में खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से लगातार छापेमारी करते हुए मिलावटी पदार्थों पर नकेल काशी जाती है। आंकड़े बताते हैं कि लगातार छापेमारी के बाद मानक के विपरीत प्राप्त हुई जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई है लेकिन स्थिति तब गंभीर हो जाती है जब रोजमर्रा की खाद्य वस्तुओं में दूध और पनीर की गुणवत्ता ठीक नहींहै।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अनुसार वित्तीय वर्षों 2024-25 और 2025-26 कुल 2,715 निरीक्षण और 832 नमूने लिए गए, जिनमें से 476 नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इन रिपोर्टों में 221 नमूने मानक के विपरीत और 30 नमूने पूरी तरह असुरक्षित श्रेणी में पाए गए। जिन खाद्य पदार्थों का रोजमर्रा में सबसे अधिक उपयोग होता है, उन्हीं में मिलावट की सबसे गंभीर स्थिति दर्ज हुई है।
दूध में 65 से अधिक नमूने फेल या असुरक्षित पाए गए जबकि पनीर सबसे अधिक जोखिम वाली श्रेणी में रहा जहां 20 से अधिक नमूने मानक से नीचे मिले। सरसों के तेल के नमूनों में भी मिलावट का स्तर लगातार पाया गया और दोनों वर्षों में कुल 14 नमूने मानक के विपरीत और कुछ असुरक्षित श्रेणी में सामने आए। दूध से बनी मिठाइयों और अन्य मिठाइयों में भी नमूने लगातार फेल हुए हैं, जो त्योहारों और दैनिक उपभोग दोनों के लिए खतरा बढ़ाने वाली स्थिति है।
422 मामलों में डाला गया है 1.62 करोड़ रुपये का जुर्माना
बहजोई : वहीं बात करे विभागीय कार्रवाई की तो विभाग ने इन दोनों वर्षों में कुल 422 मामलों में निर्णय सुनाया और सख्ती बरतते हुए कुल 1.62 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना प्रतिष्ठान संचालकों पर लगाया। पिछली वित्तीय वर्ष 1,08,05, 000 रुपये का जुर्माना डाला गया था जबकि इस वित्तीय वर्ष में 54,50,000 रुपये का जुर्माना डाला गया है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में आधा है।
पनीर में पाम आयल और दूध में पानी व रिफाइंड मिलाने का होता है खेल
बहजोई : खाद्य सुरक्षा विभाग की माने तो पनीर में आमतौर पर फैट बढ़ाने के लिए पाम तेल और रिफाइंड का प्रयोग मिलावट करों के द्वारा किया जाता है क्योंकि पनीर को दूध में पानी मिलाकर तो नहीं बनाया जा सकता। हालांकि दूध में पानी मिलने का खेल रहता है और उसमे रिफांइड मिला करके उसकी फैट बढ़ा देते हैं। इतना ही नहीं उसको प्रिजर्व करने के लिए हाइड्रोजन डालना भी बेहद खतरनाक है, जोकि प्रतिबंधित यह सभी मिलावटी पदार्थ लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
महत्वपूर्ण अंगों पर घातक प्रभाव डालते हैं मिलावटी पदार्थ
बहजोई : डा. मनोज चौधरी बताते हैं कि मिलावटी खाद्य पदार्थ सीधे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव डालते हैं। दूध और पनीर में पाई जाने वाली मिलावट पेट से संबंधित गंभीर समस्याएं पैदा करती है। इनमे मौजूद हानिकारक रसायन दस्त, उल्टी, संक्रमण और बच्चों में कुपोषण का कारण बन सकते हैं।
कई बार यूरिया, स्टार्च या कृत्रिम केमिकल की मिलावट गुर्दों पर सीधा असर डालती है और लंबे समय तक सेवन करने से किडनी की क्षमता घटने लगती है। सरसों के तेल में मिलावट हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा देती है। इसमें मिलाए जाने वाले खतरनाक पदार्थ ब्लड प्रेशर बढ़ाते हैं और हार्ट रिद्म को असामान्य कर सकते हैं। मिलावटी मिठाइयों में उपयोग होने वाले रंग और रसायन लिवर पर गंभीर प्रभाव डालते हैं और कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
विभाग मिलावटखोरी के विरुद्ध जीरो टालरेंस पर काम कर रहा है। लगातार निरीक्षण, छापेमारी और नमूना जांच की प्रक्रिया तेज की गई है। जहां भी सैंपल मानक के विपरीत पाए जाते हैं वहां तुरंत वाद दायर कर सख्त कार्रवाई की जाती है। आम लोगों से अपील करते हैं कि संदिग्ध खाद्य पदार्थ दिखाई दें तो तुरंत विभाग को सूचना दें जिससे समय पर कार्रवाई हो सके। - मानवेंद्र सिंह, सहायक आयुक्त, खाद्य सुरक्षा विभाग, संभल।
खाद्य सुरक्षा विभाग - दो वर्षों का प्रदर्शन
खाद्य सुरक्षा विभाग : दो वर्षों के आँकड़े (2024-25 एवं 2025-26)
| श्रेणी | 2024-25 | 2025-26 | कुल |
|---|---|---|---|
| सामान्य कार्यवाही | |||
| निरीक्षण | 1,614 | 1,101 | 2,715 |
| छापेमारी | 451 | 320 | 771 |
| नमूने | 473 | 359 | 832 |
| रिपोर्ट प्राप्त | 253 | 223 | 476 |
| मानक विपरीत | 122 | 99 | 221 |
| असुरक्षित नमूने | 13 | 17 | 30 |
| न्यायिक कार्यवाही | |||
| एडीएम न्यायालय वाद | 211 | 95 | 306 |
| न्यायिक वाद | 11 | 07 | 18 |
| निर्णय आया | 286 | 136 | 422 |
| जुर्माना | ₹1,08,05,000 | ₹54,50,000 | ₹1,62,55,000 |
| विशिष्ट उत्पादों के फेल/असुरक्षित नमूने | |||
| दूध - नमूने फेल | 25 | 36 | 61 |
| दूध - असुरक्षित | 00 | 04 | 04 |
| पनीर - नमूने फेल | 15 | 02 | 17 |
| पनीर - असुरक्षित | 03 | 01 | 04 |
| दूध मिठाइयाँ - फेल | 05 | 09 | 14 |
| दूध मिठाइयाँ - असुरक्षित | 00 | 01 | 01 |
| सरसों तेल - फेल | 11 | 02 | 13 |
| सरसों तेल - असुरक्षित | 01 | 01 | 02 |
| अन्य मिठाइयाँ - फेल | 03 | 02 | 05 |
| अन्य मिठाइयाँ - असुरक्षित | 01 | 00 | 01 |

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