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    संभल में 33 स्कूलों पर एक-एक लाख जुर्माना, एनसीईआरटी की किताबों से नहीं हो रही थी पढ़ाई

    Updated: Sun, 04 May 2025 07:43 PM (IST)

    Action of DM in Sambhal जिले के अधिकांश स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने पर ही जोर दिया जा रहा है। डीएम ने 12 अप्रैल को जिला स्तरीय अधिकारियों की जांच टीम गठित कर स्कूलों में जांच कराई। जिसमें पता चला अधिकांश स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाई नहीं कराई जा रही है।

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    स्कूलों के खिलाफ जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया ने हंटर चलाया

    जागरण संवाददाता, संभल : Action of DM in Sambhal : मनमानी और शोषण करने वाले सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड से सम्बद्ध स्कूलों के खिलाफ जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया ने हंटर चलाया है। उनके इस कदम से छात्र-छात्राएं और अभिभावक काफी प्रसन्न हैं तो स्कूलों का प्रबंधन काफी सहम गया है।

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    एनसीईआरटी की पुस्तकों को लेकर आंख-मिचौली खेल रहे सीबीएसई और आइसीएसई स्कूलों पर सख्त रुख अपनाया गया है। डीएम डा. राजेंद्र पैंसिया ने 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि एक सप्ताह में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) कार्यालय में जमा करनी होगी। कार्रवाई 12 अप्रैल, 2025 को की गई जांच की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। रिपोर्ट में स्कूलों में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें पढ़ाने की जानकारी दी गई थी। स्कूल संचालक निर्धारित पुस्तक विक्रेताओं से ही पुस्तकें खरीदने को मजबूर कर रहे थे।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाने पर जोर दिया गया है। जिला प्रशासन भी लगातार स्कूल संचालकों से इन्हीं पुस्तकों से पढ़ाई कराने को कह रहा है। इसके पीछे तर्क है कि एनसीईआरटी की पुस्तकें सस्ती होने के साथ ही शिक्षा नीति के पाठयक्रम के अनुकूल हैं। लेकिन, जिले के अधिकांश स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने पर ही जोर दिया जा रहा है।

    डीएम ने 12 अप्रैल को जिला स्तरीय अधिकारियों की जांच टीम गठित कर स्कूलों में जांच कराई। जिसमें पता चला, अधिकांश स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकों से पढ़ाई नहीं कराई जा रही है। अभिभावकों को निर्धारित दुकान पर जाने की सलाह दी जा रही थी। वहां महंगे दाम पर निजी प्रकाशकों की पुस्तकें मिलती हैं।

    जिला शुल्क नियामक समिति के सामने 17 अप्रैल को रिपोर्ट रखी गई। समिति ने रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद डीएम को कार्रवाई के लिए सुझाव दिया। डीएम ने 33 स्कूलों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उनका कहना है कि स्कूल प्रबंधकों व प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है कि वे जुर्माने की राशि एक सप्ताह में डीआइओएस कार्यालय में जमा करें और उसकी रसीद प्रस्तुत करें। दोबारा पकड़े जाने पर स्कूल की मान्यता भी रद हो सकती है।