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स्प्रिंकलर से सिचाई में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे किसान

चन्दौसी जनपद में अभी भी सिचाई अधिकतर निजी नलकूप से की जा रही है। जबकि सिचाई की स्प्रिंकलर

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:08 AM (IST)
स्प्रिंकलर से सिचाई में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे किसान
स्प्रिंकलर से सिचाई में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे किसान

चन्दौसी: जनपद में अभी भी सिचाई अधिकतर निजी नलकूप से की जा रही है। जबकि सिचाई की स्प्रिंकलर विधि भी काफी कारगर है। इसे बौछारी सिचाई पद्धति भी कहा जाता है। सरकार के भारी अनुदान दिए जाने पर भी जनपद के किसान इसमें दिलचस्पी नहीं रहे हैं।

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किसान आज भी परंपरागत तरीके से ही सिचाई करता आ रहा है। वह नलकूप के माध्यम से बाड़ अथवा नाली बनाकर सिचाई करता है। इसमें 30 से 40 फीसदी पानी का नुकसान होता है। साथ ही समय भी काफी लगता है। जबकि सिचाई की स्प्रिंकलर सिचाई कर किसान अगर प्रयोग करे तो उसे काफी लाभ हो सकता है। जिन क्षेत्रों में बारिश के पानी से सिचाई होती है वहां यह विधि काफी कारगर है। इस विधि में खेत में पाइप विछाकर नोजल के द्वारा सिचाई की जाती है। नोजल को पाइप में निश्चित दूरी पर लगाया जाता है। इसके ऊपर लगा फव्वारा चारों ओर घूमता रहता है। जिससे फसल को बारिश की तरह पानी मिलता है। इसमें विधि में सबसे खास बात यह है कि फसल को शत प्रतिशत पानी मिलता है। इसमें पानी की बर्बादी बहुत कम होती है। नलकूप से ऊंचे नीचे खेतों में सिचाई करना दुश्वारी का काम है और पानी भी अधिक खर्च होता है। ऐसे खेतों के लिए यह विधि काफी कारगर मानी गई है। नर्सरी की सिचाई के लिए भी यह उपयुक्त माना गया है। इसमें मुख्य रुप से मोटर, नोजल, फव्वारा व पाइप की खेत की लंबाई चौड़ाई के अनुसार जरूरत पड़ती है। पाइप खेत के अंदर दबे रहते है। शेष सामान किसान सिचाई के बाद अपने घर ले जा सकता है।

इसके लिए सरकार लघु सीमान्त किसानों को 90 फीसद तथा शेष किसानों को 80 फीसदी अनुदान दे रही है। इसके बाद भी जनपद के किसान इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। कृषि विभाग भी लगातार इस योजना का प्रचार प्रचार कर रहा है। इसके बाद भी किसान इस विधि का अपनाने के लिए तैयार नहीं है। इनसेट-

गन्ने और धान की फसल में नहीं कारगर

चन्दौसी: स्प्रिंकलर से सिचाई करने पर पानी बचाया जा सकता है। जिस क्षेत्रों में दलहन की खेती हो रही है वहां पर किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सम्भल जिले में न के बराबर ही किसानों ने अभी तक इसका सिचाई के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसका मुख्य कारण यह है कि सम्भल जिले में धान, मक्का और गन्ने की खेती प्रमुख है। इनसेट-

बिजली आपूर्ति सुधरी, तो होने लगा पानी का दोहन

चन्दौसी: भाजपा सरकार में ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली आपूर्ति में सुधार हुआ है। किसानों की सिचाई भी आसानी से हो जा रही है। ऐसे तमाम किसान है जिनके पास जमीन कम है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने नलकूप लगा रखे और बिजली अधिक होने के चलते हर समय वह नलकूप को चलाते रहते है। अगर फसल को पानी की जरूरत भी नहीं है तब भी सिचाई की जा रही है। इससे भारी मात्रा में पानी का दोहन हो रहा है। कोट-

सम्भल जिले में धान, गन्ना, मक्का की फसल अधिक होती है। इन फसलों को पानी की अधिक जरूरत है। इसलिए किसान स्प्रिंकलर से सिचाई नहीं कर रहे हैं। किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कुछ किसानों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। 80 से 90 फीसद का अनुदान स्प्रिंकलर लगाने पर सरकार दे रही है।

डॉ. नरेंद्र प्रताप, जिला कृषि अधिकारी सम्भल।


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