जिंदगी में पहली बार चेक किया अपना Cibil Score, रिपोर्ट देखकर युवक के उड़ गए होश
साइबर अपराध किस तरह किसी व्यक्ति की डिजिटल पहचान पर कब्जा कर उसके नाम पर लोन उठाकर उसे आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। धनारी क्षेत्र के युवक ने जब पहली बार अपना सिबिल स्कोर चेक किया तो पता चला कि उसके नाम पर 32 लोन दर्ज हैं जिनमें नौ सक्रिय हैं और 23 पहले लिए जा चुके हैं।

संवाद सहयोगी, बहजोई। साइबर अपराध किस तरह किसी व्यक्ति की डिजिटल पहचान पर कब्जा कर उसके नाम पर लोन उठाकर उसे आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। धनारी क्षेत्र के युवक ने जब पहली बार अपना सिबिल स्कोर चेक किया तो पता चला कि उसके नाम पर 32 लोन दर्ज हैं जिनमें नौ सक्रिय हैं और 23 पहले लिए जा चुके हैं।
इससे उसका सिबिल स्कोर गंभीर रूप से गिर चुका है और कई ईएमआइ बकाया चल रही हैं, जो यह साबित करती हैं कि आधार, मोबाइल नंबर, ओटीपी और बैंक संबंधी दस्तावेजों को लेकर लापरवाही किसी भी व्यक्ति को ऐसे फर्जीवाड़े का शिकार बना सकती है, इसलिए समय-समय पर सिबिल स्कोर, बैंक स्टेटमेंट और डिजिटल अलर्ट की जांच बेहद जरूरी है।
धनारी थाना क्षेत्र के गांव गढ़ा के वेद प्रकाश ने पुलिस को बताया कि उन्होंने कभी किसी बैंक, माइक्रोफाइनेंस कंपनी या किसी भी तरह के डिजिटल प्लेटफार्म पर लोन के लिए आवेदन नहीं किया, लेकिन जब वह अपने मित्र के कहने पर मंगलवार को पैन और आधार के माध्यम से अपना सिबिल स्कोर देख रहे थे तो रिपोर्ट नकारात्मक स्थिति में मिली। उन्होंने पाया कि उनके नाम पर नौ सक्रिय लोन चल रहे हैं जिनमें 1,60,057 रुपये ओवरड्यू हैं और 460 में से 269 ईएमआइ देरी से दर्ज हैं, जिससे उनके स्कोर को भारी नुकसान पहुंचा है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि पहले लिए गए 23 लोन जमा भी किए गए थे, लेकिन कुछ लोन समय पर जमा न होने से इनएक्टिव हो गए। वेद प्रकाश के नाम पर 34,730 रुपये की लिमिट वाला क्रेडिट कार्ड भी जारी हुआ है और विभिन्न माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से पर्सनल लोन, कंज्यूमर फाइनेंस, टू व्हीलर लोन और छोटे-छोटे माइक्रोलोन तक स्वीकृत दिखे हैं। पुलिस का मानना है कि इस प्रकार के मामलों में अपराधी पहले मोबाइल नंबर, ओटीपी और उससे जुड़े डिजिटल डाटा पर नियंत्रण करते हैं और फिर पैन, आधार व मोबाइल नंबर का उपयोग कर लगातार छोटे-छोटे लोन लेते रहते हैं क्योंकि माइक्रोलोन को अप्रूव करने में संस्थाओं को कम जोखिम दिखाई देता है।
वेद प्रकाश ने बताया कि उनके मोबाइल पर कभी कोई ओटीपी नहीं आया जिससे यह संदेह मजबूत होता है कि किसी समय उनका मोबाइल या उससे जुड़ा डाटा हैक या चोरी किया गया और इसी डाटा का उपयोग कर साइबर ठगों ने उनकी केवाईसी पूरी करते हुए लोन स्वीकृत करवा लिए।
सजगता और सतर्कता के अभाव में होते हैं शिकार
बहजोई : पुलिस के अनुसार यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है और लोग डिजिटल सुरक्षा को लेकर उतने सजग नहीं हैं जितना जरूरी है, जबकि नियमित रूप से सिबिल स्कोर की जांच, बैंक स्टेटमेंट पर नजर रखना, अनजान लिंक और ऐप से दूरी बनाना और आधार-पैन की फोटो साझा न करना इस प्रकार के फर्जीवाड़े से बचाव के सबसे आसान उपाय हैं।
इस मामले की जांच कराई जाएगी और यह देखा जाएगा कि किस प्रकार एक ही नाम पर इतने लोन स्वीकृत हुए जबकि व्यक्ति को इसकी जानकारी तक नहीं थी। इसमें मोबाइल हैकिंग, डाटा चोरी या किसी संगठित साइबर गिरोह की भूमिका क्या है, यह जांच के बाद ही पूरी तरह स्पष्ट हो सकेगा।- अनुकृति शर्मा एएसपी, दक्षिणी, संभल।

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