बाबर मजहबी रहनुमा नहीं, उसके नाम पर मस्जिद क्यों? मुस्लिम धर्मगुरु मुफ्ती आलम रजा नूरी ने उठाए सवाल
संभल के धर्मगुरु मुफ्ती आलम रजा नूरी ने पश्चिम बंगाल में छह दिसंबर को हमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि म ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, संभल। सिरसी के धर्मगुरु मुफ्ती आलम रजा नूरी ने पश्चिम बंगाल में छह दिसंबर को हमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखे जाने कहा कि मस्जिद अल्लाह का घर, इबादत की पवित्र जगह है और जहां जरूरत हो, मस्जिद बननी भी चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि नींव छह दिसंबर और बाबर के नाम पर ही क्यों रखी गई।
उन्होंने कहा कि बाबर मुसलमानों का मजहबी रहनुमा नहीं था। वह एक मुस्लिम योद्धा और बादशाह था, जिसे राणा सांगा ने अपने राजनीतिक हितों के लिए बुलाया था। बाबर ने इस्लाम के लिए कोई बड़ा कारनामा अंजाम नहीं दिया। उसके नाम पर मस्जिद की नींव रखना और वह भी राज्य चुनाव से चार महीने पहले, अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
कहीं न कहीं दाल में कुछ काला है और कोई राजनीतिक दल हमायूँ कबीर का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने खुद को पश्चिम बंगाल का ओवैसी बताने वाले हमायूँ कबीर के दावे को भी गलत बताया।
उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी एआईएमआईएम के सदर हैं। मुसलमानों के सियासी रहनुमा हैं। हाई एजुकेशन, दीनी-मजहबी इल्म और कानूनी तालीम के साथ वह संविधान की रोशनी में मुसलमानों के मसाइल को ताक़त के साथ रखते हैं। हमायूँ कबीर का उनसे कोई मुकाबला नहीं है। उनका राजनीतिक कैरियर तो एक दल-बदलू नेता के तौर पर ही जाना जाता है।
मुफ्ती नूरी ने कहा कि मस्जिद के नाम पर राजनीति करना इस्लाम की तालीमात के खिलाफ है। राजनीति करना अच्छी बात है, लेकिन मस्जिद और मुस्लिम कौम को बदनाम करके राजनीति चमकाना शोभा नहीं देता। अल्लाह के नाम को और मस्जिद को टारगेट करके राजनीति करना इस्लाम इजाजत नहीं देता, जबकि धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल कर राजनीतिक फायदा उठाने की हरकत से बचना चाहिए।
उधर, संभल के धर्मगुरु एवं जिला हज ट्रेनर वसी अशरफ ने कहा कि यह कदम मजहबी जहर घोलने के लिए उठाया गया है। मुस्लिम धर्म को बदनाम करने की साजिश है और सबकुछ राजनीति की वजह से किया जा रहा है।

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