सब सूख गए... लेकिन एक कुएं में मिला खूब सारा पानी, डीएम-एसपी के साथ ASI टीम सबसे पहले यहां पहुंची
एएसआई टीम ने डीएम और एसपी के साथ संभल के फिरोजपुर किले नैमिषारण्य तीर्थ जाग्रत कुएं और प्रसिद्ध तोता-मैना की कब्र का निरीक्षण किया। टीम ने संरचनाओं की स्थिति और संरक्षण के उपायों का अध्ययन किया। चोर कुएं (बावड़ी) की निर्माण शैली की भी जांच की गई। जिलाधिकारी ने बताया कि जाग्रत कुआं खास है क्योंकि इसमें पानी मिला। एएसआई रिपोर्ट में संरक्षण और सुरक्षा के उपाय सुझाएगी।

संवाद सहयोगी, संभल। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की टीम ने डीएम और एसपी के साथ मिलकर ऐतिहासिक धरोहरों का निरीक्षण किया। यह दौरा क्षेत्र में संरक्षित स्मारकों की स्थिति का जायजा लेने और उनके संरक्षण के उपायों की योजना बनाने के उद्देश्य से किया गया। टीम ने सबसे पहले पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित फिरोजपुर किले का गहन निरीक्षण किया। इसके बाद नैमिषारण्य तीर्थ पर जाग्रत कुएं का निरीक्षण किया। प्रसिद्ध तोता-मैना की कब्र और उससे 10 कदम की दूरी पर स्थित चोर कुएं (बावड़ी) का बारीकी से सर्वेक्षण किया।
दरअसल संभल में एक के बाद एक नए मामलों का खुलासा हो रहा है। पहले खग्गूसराय में 46 वर्षों से बंद मंदिर और कुआं मिला। उसके बाद चंदौसी में बावड़ी सामने आई। अब शासन की नजर भी संभल पर है। तीन दिन पहले ही एएसआइ की टीम संभल में स्थित 68 तीर्थों और 19 कूपों के अलावा अन्य ऐतिहासिक धरोहरों का निरीक्षक कर चुकी है।
इसी क्रम में बुधवार को फिरोजपुर के ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और उनकी ऐतिहासिक महत्ता को समझने के लिए एएसआइ की एक विशेषज्ञ टीम ने जिलाधिकारी डा. राजेंद्र पैंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार के साथ निरीक्षण किया। टीम का नेतृत्व एएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया, जिन्होंने स्मारकों की संरचना, स्थिति और संभावित खतरों का गहन अध्ययन किया।
सबसे पहले यहां पहुंची टीम
सबसे पहले टीम ने फिरोजपुर के ऐतिहासिक किले का निरीक्षण किया। किला क्षेत्र पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इसकी स्थापत्य कला क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास की झलक पेश करती है। टीम ने किले की दीवारों, संरचनाओं और अन्य महत्त्वपूर्ण हिस्सों की जांच की। अधिकारियों ने इस दौरान किले के जीर्णोद्धार के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रगति का भी जायजा लिया।

किले के निरीक्षण के बाद टीम नैमिषारण्य तीर्थ पहुंची। अधिकारियों ने पहले वहां दर्शन किए। इसके बाद वर्षों बाद खोले गए जाग्रत कुएं को देखा, जिसमें वर्षों बाद भी साफ पानी नजर आया। टीम ने उसका भी मुआयना किया। इसके बाद टीम तोता-मैना की प्रसिद्ध कब्र पर पहुंची। यह धरोहर क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है।
बावड़ी की भी जांच की...
कब्र की संरचना और आसपास के क्षेत्रों की स्थिति का अध्ययन किया गया। टीम ने कब्र से 10 कदम की दूरी पर स्थित चोर कुएं (बावड़ी) की भी गहन जांच की। बावड़ी की निर्माण शैली और उसके ऐतिहासिक उपयोग पर विशेष ध्यान दिया गया। एएसआइ की टीम जल्द ही एक रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसमें धरोहरों की वर्तमान स्थिति, उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम और सुरक्षा को इंतजाम किए जाएंगे।

एएसआइ की टीम के साथ हम फिरोजपुर किला पहुंचे थे। जिसे सय्यद फिरोज नामक व्यक्ति ने सन 1656 या 59 के मध्य बनवाया था। उसका निरीक्षक किया। उसके बाद शहजादी सराय स्थित नैमिषारण्य तीर्थ पर जाग्रत कुएं को देखा। यह कुआं इसलिए खास है क्योंकि अभी तक सारे कुएं सूखे मिले, लेकिन यह ऐसा कुआं है, जिसमें पानी मिला। इसके बाद तोता मौना की कब्र और चोर कुएं का निरीक्षण किया है। - डा. राजेंद्र पैंसिया, जिलाधिकारी, संभल।

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