Uttarkashi Disaster: उत्तराखंड आपदा से घर लौटा अदनान, संभल के दो युवक अब भी लापता
उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से संभल के तीन युवकों में से एक अदनान तो बच गया पर उसके दो साथी फुरकान और सलमान अभी भी लापता हैं। अदनान ने बताया कि कैसे वह मलबे में दब गया था और राहत टीम ने उसे बचाया। लापता युवकों के परिवार वाले अब भी उत्तरकाशी में उनकी तलाश कर रहे हैं और उनके सुरक्षित लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
संवाद सूत्र, जागरण, सरायतरीन। उत्तराखंड के धराली में वेल्डिंग का काम करने गए तीन दोस्तों में से अदनान तो मौत के मुंह से निकल आया, लेकिन उसके दोनों साथी फुरकान और सलमान अब भी लापता हैं। अदनान जब अपने घर लौटा तो पूरे गांव में उसे देखने वालों का तांता लग गया, लेकिन उसकी आंखों में अब भी उस दिन का डर तैर रहा है। एक ऐसा मंजर जिसे वह कभी भूल नहीं पाएगा। वह अभी सदमे में है।
नखासा थाना क्षेत्र के गांव रुकनुद्दीन सराय निवासी अदनान धराली में आई आपदा के दौरान मलबे में दब गया था। राहत टीम ने उसे निकाआ और उत्तरकाशी स्थित शिविर में इलाज कराया। छह दिन बाद वह अपने घर लौटा तो स्वजन ने राहत की सांस ली। बातचीत करते हुए डरे सहमे अदनान ने बताया कि पांच अगस्त की दोपहर थी मैं घटना स्थल से करीब दो किलोमीटर दूर अपने कमरे में बैठा था। खाना खा रहा था। मेरे साथी सलमान और फुरकान सामान लेने नीचे मार्केट गए थे। सब कुछ सामान्य था, लेकिन अचानक मौसम का मिजाज बदला।
उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से मचा था कहर
आसमान में काले बादल घिर आए और कुछ ही पलों में अजीब-सी सीटी जैसी आवाज सुनाई देने लगी। बातचीत के दौरान वह थोड़ी देर के लिए रुकता है, जैसे मन में उस आवाज को फिर सुन रहा हो। मंजर को याद करते हुए आगे उसने बताया कि फिर चारों तरफ शोर मच गया। लोगों की चीख-पुकार, बहते पानी और टूटते ढांचों की आवाजें... मैं भी नीचे भागा, अपने साथियों को ढूंढने। यह कहते हुए अदनान का गला भर आया। बताया कि जैसे ही मैं नीचे पहुंचा, मेरा पैर फिसला। फिर मुझे कुछ याद नहीं। जब आंख खुली, तो मैं मलबे में दबा था। सांस लेना मुश्किल था। बस धुंधला-धुंधला दिख रहा था। तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ा। बाद में पता चला कि राहत टीम थी, जिसने मुझे खींचकर बाहर निकाला।
अदनान ने दी जानकारी
धुंघली आंखों से मुझे सब मैदान सा दिखाई देने लगा। फिर मुझे हेलीकाप्टर से उत्तरकाशी ले जाया गया। वहां एक शिविर में मेरा इलाज हुआ। शरीर पर चोटें थीं, लेकिन सबसे बड़ा जख्म तो दिल में है। अदनान की आंखों में अब भी उस दिन के नजारे तैरते हैं। उसने कहा कि वह मंजर मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। पहाड़ों से बहते पानी का रौद्र रूप, चारों ओर टूटा-बिखरा सामान, लोगों की चीखें... मौत हमारे इतने करीब थी कि लगता था अब अगली सांस नहीं आएगी।
शिविर में इलाज के दौरान मुझे मौका मिला तो अपने भाई को फोन किया
अदनान ने बताया कि शिविर में इलाज के दौरान मुझे मौका मिला तो अपने भाई को फोन किया। जैसे ही मैंने अपनी आवाज सुनाई, फोन पर भाई के रोने की आवाज आई। साेमवार की रात जब अदनान अपने बड़े भाई फुरकान के साथ घर लौटा तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। मंगलवार की सुबह रिश्तेदार, पड़ोसी सभी उसे देखने आए, लेकिन इस खुशी के साथ गहरी चिंता भी है क्योंकि फुरकान और सलमान का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। अदनान के पिता ने बेटे को गले लगाते हुए कहा कि तू लौट आया, ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है।
लापता बेटों की तलाश में देहरादून तक भटके स्वजन, अब भी लौटने की आस
उत्तराखंड के धराली हादसे में लापता दो युवकों की तलाश में उनके स्वजन अब भी उम्मीद का दामन थामे हुए हैं। हर बीतते दिन के साथ इंतजार और भारी होता जा रहा है। गांव के लोग भी लगातार उत्तरकाशी में मौजूद अपनों से संपर्क कर हालात की जानकारी ले रहे हैं। गांव रुकनुद्दीन सराय निवासी अदनान के भाई फुरकान ने बताया कि वह सलमान और फुरकान के स्वजन के साथ उत्तरकाशी गए थे, ताकि लापता दोनों युवकों को ढूंढ सकें।
शिविर में सुरक्षाकर्मियों से उन्होंने हेलीकाप्टर के जरिये धराली जाने की गुजारिश की, लेकिन खराब हालात का हवाला देकर यह अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने उत्तरकाशी के तमाम अस्पतालों में खोजबीन की, मगर कोई सुराग नहीं मिला। यहां तक कि देहरादून के अस्पतालों में भी तलाश की गई, लेकिन हर जगह निराशा हाथ लगी। थके-हारे वे दोबारा उत्तरकाशी शिविर लौटे।
सोमवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने खराब मौसम का हवाला देकर उन्हें घर लौटने की सलाह दी। ऐसे में फुरकान अपने भाई अदनान को लेकर घर वापस आ गए, लेकिन सलमान और फुरकान के स्वजन अब भी वहीं जमे हैं। उन्हें अब भी पूरी आस है कि उनके बेटे किसी तरह सकुशल लौट आएंगे।
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