संभल में 356 बीघा जमीन घोटाला, 58 फर्जी किसान और पांच अफसरों पर चार्जशीट, सात साल बाद सामने आया फर्जीवाड़ा
गुन्नौर में दिल्लीपुर सुखेला गांव में चकबंदी विभाग के कर्मियों ने 356 बीघा सरकारी जमीन को 58 फर्जी किसानों के नाम पर दर्ज कर हड़पने की साजिश रची। वर्ष 2012 में शुरू हुई चकबंदी प्रक्रिया में यह घोटाला सामने आया। पुलिस ने पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, लेकिन 58 किसानों की पहचान नहीं हो पाई है।
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शिवकुमार कुशवाहा, जागरण, बहजोई। गुन्नौर तहसील के गांव दिल्लीपुर सुखेला में सरकारी भूमि को हड़पने के लिए चकबंदी कर्मचारियों ने सुनियोजित साजिश रची थी। वर्ष 2012 में शुरू हुई चकबंदी प्रक्रिया के दौरान चकबंदी विभाग के कर्मियों ने 356 बीघा सरकारी भूमि को 58 किसानों के नाम पर दर्ज कर लिया, ताकि बाद में उन भूमियों पर कब्जा दिलाया जा सके। सात वर्ष तक दबे इस घपले का पर्दाफाश वर्ष 2025 में हुआ।
पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि इस फर्जीवाड़े का उद्देश्य सरकारी जमीन को निजी हाथों में पहुंचाना था। पुलिस ने अगस्त 2025 में पांच आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की है। जांच के दौरान सबसे अधिक समय उन 58 किसानों की पहचान में लगा, जिनके नाम अभिलेखों में दर्ज किए गए थे, लेकिन गांव में इनमें से कोई भी नहीं मिला। इसी कारण पुलिस ने सभी किसानों के नाम अपने आरोपपत्र से हटा दिए।
| 07 | वर्ष तक दबे रहे घपले का 2025 में हुआ राजफाश |
| 2012 | में शुरू हुई थी चकबंदी प्रक्रिया |
| 67 | लोगों के विरुद्ध 2018 में दर्ज हुई थी रिपोर्ट |
जांच में नौ लोगों की भूमिका सामने आई, जिनमें से चार को गिरफ्तार किया गया और एक फरार सहायक चकबंदी अधिकारी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपित लेखपाल मोरध्वज सिंह निवासी गांव मई थाना हरदुआगंज जनपद अलीगढ़, लेखपाल कालीचरण निवासी आवास विकास कालोनी जनपद कासगंज, लिपिक रामौतार निवासी मोहल्ला सतपुरी नई नरौरा जनपद बुलंदशहर और चपरासी रामनिवास के साथ-साथ सहायक चकबंदी अधिकारी सुरेंद्र सिंह यादव निवासी पूराडाल थाना कूटन जिला जौनपुर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिन्हें पूर्व में जेल भेजा गया था लेकिन अब सभी जमानत पर बाहर हैं।
वहीं, जिन चार कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी थी, उनमें जितेंद्र कुमार निवासी सीमोर अलीगंज थाना एटा, मुकेश बाबू निवासी गांव गठिया थाना गढ़िया रंगीन जनपद शाहजहांपुर, चकबंदी लेखपाल राजीव कुमार निवासी नगला खाकम थाना बनियाठेर जनपद संभल और चकबंदी कर्ता पवन कुमार की मृत्यु होने के चलते चार्जशीट से हटा दिए गए हैं। पुलिस को अब तक चकबंदी कार्यालय से चोरी हुआ अभिलेखों का बस्ता नहीं मिल सका है।
घपले को दबाने के लिए पहले अभिलेख, फिर गायब कराई गई पत्रावली
चकबंदी विभाग के कर्मियों ने जैसे ही सरकारी भूमि के अभिलेखों में फर्जी प्रविष्टियां कीं, उसी दौरान पूरे प्रकरण को छिपाने के लिए कार्यालय से अभिलेखों का बस्ता चोरी कर लिया गया। बाद में यह मामला अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) को भेजा गया, जहां तकनीकी कारणों से जांच लंबित रही। वर्ष 2018 में जांच वापस संभल पुलिस को सौंपी गई। इस बीच एसपी कार्यालय से पत्रावली गायब हो गई। सीओ संभल की जांच में सहायक लिपिक अरविंद कुमार त्यागी और ललित कुमार दोषी पाए गए, जिन्हें एसपी ने निलंबित कर दिया और तीन मार्च 2025 को प्रधान लिपिक वीरपाल की तहरीर पर बहजोई कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज की गई। यह जांच अब भी जारी है।
दो अगस्त 2018 को दर्ज हुई थी पहली रिपोर्ट
दो अगस्त 2018 को हल्का लेखपाल कुलदीप सिंह ने कोतवाली गुन्नौर में 67 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें 58 किसान और नौ चकबंदी विभाग के कर्मचारी थे। जांच में सामने आया कि वर्ष 2012 में चकबंदी कर्ता पवन कुमार, सहायक चकबंदी अधिकारी सुरेंद्र यादव, लेखपाल कालीचरण, राजीव कुमार और मोरध्वज की तैनाती के दौरान 356 बीघा सरकारी भूमि 58 किसानों के नाम दर्ज की गई थी। शिकायत पर विभागीय जांच शुरू हुई, पर किसी भी किसान की वैध पत्रावली नहीं मिली। अभिलेखों की चोरी के बाद मामला पुलिस जांच में परिवर्तित हुआ।
तीन सदस्य समिति ने की थी जांच, पांच हुए थे निलंबित
डीएम के आदेश पर गठित तीन सदस्यीय समिति—उपसंचालक चकबंदी राम मंगल सिंह, एसओसी लालता प्रसाद और गुन्नौर के चकबंदी अधिकारी धीरेंद्र सिंह ने छह मार्च 2018 को जांच शुरू की थी। समिति ने दो मई 2018 को रिपोर्ट प्रस्तुत की और फर्जी प्रविष्टि को सही पाया। रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन लेखपाल कालीचरण, मोरध्वज, लिपिक रामौतार, चपरासी रामनिवास और मुकेश बाबू को निलंबित किया गया था। बाद में विभागीय जांच लंबित रहने पर सभी को बहाल कर दिया गया था।
यह मामला वर्ष 2012 का है। वर्ष 2018 में रिपोर्ट दर्ज हुई थी और तकनीकी कारणों से जांच लंबित रही। वर्ष 2025 में पूरा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ और अगस्त 2025 में पांच आरोपितों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की गई। 58 किसानों की पहचान नहीं हो सकी, क्योंकि वे गांव में मौजूद नहीं थे। चार आरोपित गिरफ्तार किए गए, जबकि एक ने न्यायालय से गिरफ्तारी पर स्टे लिया था।
- अखिलेश प्रधान, थाना प्रभारी/विवेचक, गुन्नौर।

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