पौध रोपण से जल संरक्षण के साथ मिलेगी बाढ़ से निजात
सम्भल : कभी कभी नदी व नालों के जल स्तर में अचानक वृद्धि हो जाने से उसके किनारे बसे गांवों व शहरों मे
सम्भल : कभी कभी नदी व नालों के जल स्तर में अचानक वृद्धि हो जाने से उसके किनारे बसे गांवों व शहरों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जो कई बार तो यह बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लेती है। जिसमें काफी जानमाल की क्षति का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति नदियों में पानी के अचानक वेग बढ़ने से होती है। यह सब समस्याएं हमारे द्वारा वृक्षों के कटान की वजह से हो रही है। कुछ वर्ष पहले तक बरसात भी काफी अच्छी होती थी। इससे भूमि में जल का स्तर बना रहता था और पेड़ पौधों की वजह से वातावरण में नमी भी रहती थी। जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न नहीं होती थी। यह सब इसलिए होता था। क्योंकि उस समय पौध रोपण तो होता था। मगर लोग उनका कटान नहीं करते थे। लोग अपने दैनिक कार्य के हिसाब से ही लकड़ी का उपयोग करते थे। जिससे किसी भी प्रकार की वीभत्स स्थिति उत्पन्न नहीं हो पाती थी, लेकिन अब तो स्थिति बिल्कुल उल्टी है। इस समय पेड़ों का कटान बहुत ही अंधाधुंध तरीके से किया जा रहा है। जिससे मिट्टी की पकड़ कमजोर हो रही है। ऐसे में वह पानी के हल्के से बहाव के साथ बह जाती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी दिन प्रतिदिन कम हो रही है। पेड़ अपनी जड़ों के माध्यम से भूमि से जल अवशोषित करते हैं। जिसे वह वातावरण में वाष्प बनाकर छोड़ देते हैं। जिससे वातावरण में नमी बनी रहती है। जो बारिश कराने में सहायक होती है। पेड़ की जड़ को खोदने पर आपने देखा होगा कि वह मिट्टी में एक जाल सा बना लेती हें। जो जड़ों का जाल बनाकर मिट्टी को जकड़ कर रखती है। ऐसे में मिट्टी भी अलग थलग नहीं रहती हैं। यह मिट्टी पानी को सोख तो लेती है। मगर उसे बहने नहीं देती। वही यदि बरसात के बाद नदियों में जल स्तर बढ़ता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। तो नदियों के किनारे पर लगे पेड़ पानी के वेग को कम कर देते हैं। जिससे नदियों में उफन कर इधर उधर जाने वाले पानी से किसी भी प्रकार की वीभत्स स्थिति उत्पन्न नहीं हो पाती हैं।
कुछ समय पहले जब नदियों में अचानक जल स्तर बढ़ा था तो उसके आसपास के आवासीय इलाके में पानी भर गया था। नहीं वहां खेतों में होने वाली फसले इस पानी से तबाह हो गई। लोगों ने अपना घर बार छोड़ दिया और सिर छिपाने को ठिकाना तलाशते रहे। कुछ अपनी रिश्तेदारी में चले गए थे तो कुछ जिला प्रशासन द्वारा बनाए गये आश्रय स्थलों में रुकने को मजबूर हो गए थे। इन परिस्थितियों में उनके पालतू पशुओं को भी काफी दिक्कतों होती थी। कुछ बाढ़ में बह गए तो कुछ की मौत हो गई। इन समस्याओं का एक ही उपाय है कि पौध रोपण किया जाए। जिससे इन प्रकार की स्थिति उत्पन्न न हो सके। ऐसा होने से हमारी पृथ्वी की उर्वरा शक्ति भी काफी बढ़ेगी। वही बाढ़ की वजह से होने वाली तबाही को भी काफी हद तक रोका जा सकेगा। बस थोड़ी सी जागरुकता की जरूरत है।
फोटो :9- प्रमुख सचिव ने ब्लाक परिसर में किया पौध रोपण
सम्भल : पौध रोपण के लिए सभी ओर एक अभियान सा चलाया जा रहा हैं। जिसमें अपनी भागेदारी दर्ज करा रहे हैं। मंगलवार को प्राविधिक शिक्षा उप्र शासन के प्रमुख सचिव व जनपद के नोडल अधिकारी मुकुल सिंघल ने विकास खंड सम्भल कार्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद प्रमुख सचिव ने ब्लाक परिसर में पौध रोपण करके मुहिम की सराहना की। उन्होंने वहां मौजूद वन क्षेत्राधिकारी से भी पेड़ों के बारे में भी जानकारी हासिल की।
आम जन की बढ़ी भागीदारी
सम्भल : दैनिक जागरण के मिशन एक लाख वृक्ष से राजनीतिक, सामाजिक व शैक्षिक संगठन के अलावा अब आम आदमी भी इसके प्रति जागरूक हुआ है। वह बिना किसी सरकारी सहयोग स्वयं ही पौध रोपण कर रहे हैं। मंगलवार को नगर के हयातनगर निवासी कुछ लोग एकत्र हुए और बहजोई मार्ग पर सड़क किनारे खाली पड़ी जगह पर पौध रोपण किया। जिसमें उन्होंने पर्यावरण को साफ व स्वच्छ रखने के लिए पौध रोपण को दूसरे व्यक्तियों को भी जागरूक करने का संकल्प लिया। उन्होंन कहा कि सभी लोगों को कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। जिसकी देखभाल बच्चे भी भांति करेंगे तो वह सदा फल फूलता रहेगा। जिसका लाभ किसी एक को नहीं बल्कि पूरे समाज को मिलेगा।
पेड़ों से हमें ऑक्सीजन, फल, फूल, छांव मिलने के साथ ही वह पर्यावरण साफ करने में मदद करते हैं। जागरण की मुहिम से समाज में कुछ जागरुकता आएगी।
केके गुप्ता
पौध रोपण अब वातावरण हरियाली से संपूर्ण होगा। बस पौध रोपण के साथ उनकी सुरक्षा की जरूरत है। दैनिक जागरण की मुहिम से लोग प्रेरित होंगे।
जय प्रकाश गुप्ता
पौधे लगाकर इस मुहिम से जुड़ने का प्रयास किया गया हैं। इस प्रयास को सफल बनाने के लिए जागरुकता अभियान चलाया जाएगा। जिससे अधिक से अधिक पौध रोपण किया जा सके।
दुष्यंत कुमार
वातावरण हर तरफ से प्रदूषित हो रहा है। जिस पर रोक लगाया जाना बहुत जरुरी है। इसके लिए अधिक संख्या में पौधरोपण ही एक मात्र उपाय है। जिससे पर्यावरण को साफ करने में मदद मिलेगी।
गोपेश कुमार
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